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जानिए क्यों खास है हरदोई का 70 साल पुराना ये शिव मंदिर! - 70 साल पुराना हरदोई का शिव मंदिर

उत्तर प्रदेश हरदोई जिले के संकटहरण शिव मंदिर का इतिहास करीब 70 साल पुराना है. मंदिर के पुजारी का कहना है कि यहां जो कोई भी सच्चे मन से कुछ भी मांगता है शिव जी उसकी मनोकमना जरूर पूरी करते हैं.

क्यों खास है हरदोई का ये शिव मंदिर.
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Published : Aug 17, 2019, 11:05 AM IST

हरदोई: जिले के बावन ब्लाक में स्थित संकटहरण शिव मंदिर अपने आप में एक खास महत्व रखता है. इस मंदिर में यूं तो पूरे साल भर ही भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन सावन के महीने में इस मंदिर की शोभा में चार चांद लग जाते हैं. इस मंदिर के प्रांगण का इतिहास तो 70 वर्ष पुराना है, लेकिन यहां मौजूद शिवलिंग के इतिहास के बारे में आज तक कोई भी पता नहीं लगा सका है.

क्यों खास है हरदोई का ये शिव मंदिर, देखिए ये खास रिपोर्ट.

पुजारी ने बताया मंदिर का इतिहास-
मन्दिर के मुख्य पुजारी उदय प्रताप गिरी का कहना है इस मंदिर का प्रांगण और इमारत तकरीबन 70 साल पुरानी है. वहीं मन्दिर के इतिहास के बारे में उन्होंने बताया कि लगभग 70 वर्ष पहले बावन के एक सेठ लाला हीरालाल इधर से गुजरे. उनके बेटे को फांसी होने वाली थी. इस बात से वे बहुत परेशान थे.

पुजारी के मुताबिक सेठ को यहां एक छोटी सी शिवलिंग दिखी. यहां उन्होंने शिव जी से अपने बेटे को फांसी से बचाने की प्रार्थना की. पुजारी ने बताया कि भोलेनाथ की कृपा से उनके लड़के की फांसी बच गई और तब सेठ ने छोटे से मन्दिर का निर्माण करवाया था. धीरे-धीरे यहां पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु अपनी आने लगे.

दिन के तीनों पहर में बदलता है इस मंदिर का रंग-
पुजारी ने बताया शुरुआती दौर में इस शिवलिंग को जब देखा गया था तब इसका आकार बहुत ही छोटा था. समय के साथ-साथ इसका आकार भी बढ़ता जा रहा है. वहीं इसका रंग भी दिन के तीनों पहर बदलता है.

हरदोई: जिले के बावन ब्लाक में स्थित संकटहरण शिव मंदिर अपने आप में एक खास महत्व रखता है. इस मंदिर में यूं तो पूरे साल भर ही भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन सावन के महीने में इस मंदिर की शोभा में चार चांद लग जाते हैं. इस मंदिर के प्रांगण का इतिहास तो 70 वर्ष पुराना है, लेकिन यहां मौजूद शिवलिंग के इतिहास के बारे में आज तक कोई भी पता नहीं लगा सका है.

क्यों खास है हरदोई का ये शिव मंदिर, देखिए ये खास रिपोर्ट.

पुजारी ने बताया मंदिर का इतिहास-
मन्दिर के मुख्य पुजारी उदय प्रताप गिरी का कहना है इस मंदिर का प्रांगण और इमारत तकरीबन 70 साल पुरानी है. वहीं मन्दिर के इतिहास के बारे में उन्होंने बताया कि लगभग 70 वर्ष पहले बावन के एक सेठ लाला हीरालाल इधर से गुजरे. उनके बेटे को फांसी होने वाली थी. इस बात से वे बहुत परेशान थे.

पुजारी के मुताबिक सेठ को यहां एक छोटी सी शिवलिंग दिखी. यहां उन्होंने शिव जी से अपने बेटे को फांसी से बचाने की प्रार्थना की. पुजारी ने बताया कि भोलेनाथ की कृपा से उनके लड़के की फांसी बच गई और तब सेठ ने छोटे से मन्दिर का निर्माण करवाया था. धीरे-धीरे यहां पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु अपनी आने लगे.

दिन के तीनों पहर में बदलता है इस मंदिर का रंग-
पुजारी ने बताया शुरुआती दौर में इस शिवलिंग को जब देखा गया था तब इसका आकार बहुत ही छोटा था. समय के साथ-साथ इसका आकार भी बढ़ता जा रहा है. वहीं इसका रंग भी दिन के तीनों पहर बदलता है.

Intro:आकाश शुक्ला हरदोई। 9919941250

हरदोई। जिले के बावन ब्लाक में स्थित संकटहरण शिव मंदिर अपने आप मे एक खास महत्व रखता है। इस मंदिर में यूँ तो पूरे साल भर ही भक्तों का आवागमन लगा रहता है लेकिन सावन के महीने में यहाँ की शोभा में चार चांद ही लग जाते हैं। लाखों की संख्या में भक्तों का तांता पूरे महीने यहां लगा रहता है।इस मंदिर के प्रांगण का इतिहास तो 70 वर्ष पुराना है लेकिन यहां मौजूद शिवलिंग के इतिहास के बारे में विज्ञान भी आज तक पता नहीं लगा सकी है।Body:वीओ--1--मन्दिर के मुख्य पुजारी उदय प्रताप गिरी (पप्पू बाबा) का कहना है इस मंदिर का प्रांगण व इमारत तकरीबन 70 साल पुरानी है। मन्दिर के इतिहास के बारे में उन्होंने बताया कि लगभग 70 वर्ष पहले बावन के एक सेठ लाला हीरालाल इधर से गुजरे।उनके बेटे को फंसी होने वाली थी इस बात से वे बहुत परेशान थे। पुजारी के मुताबिक वो उनके लड़के को फांसी होने बाली थी। सेठ यहाँ पर लघुशंका के लिए बैठे तो उन्हें एक छोटी सी शिवलिंग के दर्शन करते हुए कहा कि अगर इस शिवलिंग के अंदर सच्चाई है तो मेरे लड़के की फांसी छूट जाएगी।पंडित ने बताया कि भोलेनाथ की कृपा से उनके लड़के की फांसी बच गयी थी।तब सेठ ने छोटे से मन्दिर का निर्माण करवाया और मन्दिर का प्रचार प्रसार हुआ। धीरे धीरे आज हज़ारो की संख्या में कई जनपदों से भक्त आकर संकटहरण भोलेनाथ के चरणों मे अपना सिर झुकाते है।

विजुअल विद वॉइस ओवर


वीओ--2--पंडित ने जानकारी दी की शुरुआती दौर में इस शिवलिंग को जब देखा गया था तब इसका आकार बहुत ही छोटा था।आज समय बीतते इसका आकार बहुत बद्व चुका है।वहीं समय के साथ साथ ये बढ़ता ही जा रहा है।वहीं इसका रंग भी दिन के तीनों पहर बदलता है।इस शिवलिंग का चोर भी आज तक नहीं मिला।इसकी खुदाई भी हुई लेकिन इसका अंत नहीं ढूंढा जा सका।

बाईट--पप्पू बाबा--मंदिर के पुजारी
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