ETV Bharat / state

यूपी के कई जिले में बाढ़ से बेहाल जिंदगी, पीड़ितों ने कहा- अबतक मदद के लिए नहीं आए नेता-अधिकारी - हरदोई में बाढ़ कहर

यूपी के हरदोई सहित कई जिलों में बाढ़ ने जमकर कहर बरपाया है. लेकिन ऐसे में सबसे बड़ा सवाल अधिकारियों और नेताओं पर खड़ा हो रहा है. सैकड़ों घर के हजारों लोग बाढ़ के पानी से घिरे हुए हैं. इनका जीवन दूभर हो गया. खाने-पीने से लेकर तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन अबतक इनका हाल जानने के लिए, ना तो कोई अधिकारी पहुंचा है और ना ही कोई राजनेता.

यूपी के कई जिले में बाढ़ से बेहाल जिंदगी
यूपी के कई जिले में बाढ़ से बेहाल जिंदगी
author img

By

Published : Oct 27, 2021, 9:36 PM IST

Updated : Oct 27, 2021, 10:20 PM IST

हरदोई : हरदोई जिले में बाढ़ ने अपना रौद्र रूप दिखाया है. बाढ़ के प्रकोप से लोगों का हाल बेहाल है. तमाम परेशानियों ने एक साथ हमला बोल दिया है. हजारों लोग ना तो चैन से सो पा रहे हैं, और ना ही जी पा रहे हैं. चारो तरफ पानी से घिरे इन लोगों को खाने-पीने से लेकर तमाम संकटों का सामना करना पड़ रहा है. तमाम बीमारियों से लेकर जहरीले जीव जंतु तक हमेशा डर बना रहता है. दहशत के साए में जी रहे इन लोगों ने ईटीवी भारत से अपने दर्द को बयां किया. कहा- साहब... जान हथेली पर लेकर जी रहे हैं, मौत कभी भी दस्तक दे सकती है.

दरअसल, जिले की सवायजपुर तहसील पांच नदियों से घिरी हुई है. यहां हर वर्ष बाढ़ की समस्या से सैकड़ों परिवारों के हजारों लोग प्रभावित होते हैं. लेकिन आज तक किसी भी जनप्रतिनिधि व प्रशासनिक अधिकारी ने इन इलाकों को विकसित करने की जहमत नहीं उठाई. आज भी पिछले चार दिनों से गर्रा नदी का रौद्र रूप देखने को मिल रहा है. इसकी जद में सैकड़ों परिवारों के हजारों लोग प्रभावित हुए हैं. इन लोगों को अभी तक किसी भी प्रकार की राहत सामग्री नहीं मुहैया कराई गई है. वहीं आज जिले के एक समाजसेवी राजवर्धन सिंह ने नाव से जोखिम भरा सफर तय करके टापू बने गांवों में पीड़ितों को राहत सामग्री मुहैया कराने की जहमत उठाई है. समाजसेवी के साथ इन जलमग्न इलाकों में ईटीवी की टीम ने भी जाकर करीब 7 से 8 घंटे तक यहां का जायजा लिया.

बाढ़ से बेहाल जिंदगी.

बाढ़ के सैलाब के आगे नतमस्तक हुआ प्रशासन

हरदोई जिले से 70 किलोमीटर दूर बेस कटरी क्षेत्र है. यह जिले की सबसे बड़ी और अत्यधिक जनसंख्या वाली विधानसभा सवायजपुर में आता है. यहां हर वर्ष नदियों में जलस्तर बढ़ने से हजारों लोग प्रभावित होते हैं. कभी गंगा में तो कभी रामगंगा में जलस्तर बढ़ने से यहां दर्जनों गांव पानी की जद में आ जाते हैं. इस बार गर्रा नदी ने अपना रौद्र रूप दिखाया है. जिसके बाद करीब 15 किलोमीटर से ज्यादा का क्षेत्र जलमग्न हो गया है. कटारी क्षेत्र के कई गांव ऐसे हैं जो पानी से घिरकर टापू बन चुके हैं. हालात ये हैं कि यहां कोई जनप्रतिनिधि व अधिकारी फंसे लोगों के पास आने की जहमत नहीं कर रहा है. अभी तक सैकड़ों परिवारों के हजारों पीड़ित लोगों को किसी भी प्रकार की कोई राहत नहीं दी जा सकी है. लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर अभी तक न तो बाढ़ चौकियों का निर्माण कराया जा सका है, और न ही स्टीमर व नाव की ही व्यवस्था की गई है. लोग अपने निजी प्रयासों से नाव चलाकर एक दूसरे का सहारा बन रहे हैं.

ईटीवी भारत की टीम से बाढ़ पीड़तों ने अपना दर्द बयां किया. लोगों का कहना था कि उनका पूरा घर पानी की जद में है. डूबे घरों में रहकर किसी तरह से गुजर बसर करने को मजबूर हैं. इन सभी लोगों ने प्रशासन और अधिकारियों को खूब कोसा. उनका कहना था- कोई जिम्मेदार अफसर अब तक उनका हाल पूछने तक नहीं आया है. आलम ये है कि लोग पेड़ों पर बैठकर शौंच करने को मजबूर हैं. गंदगी के कारण तमाम तरह की बीमारियों से घिरे हुए हैं.


समाजसेवी राजवर्धन बने सहारा

राष्ट्रीय स्तर पर अपने समाज सेवी कार्यों को लेकर चर्चाओं में रहे व मिशन आत्मसंतुष्टि के संचालक राजवर्धन सिंह राजू ने इन बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत प्रदान करने का प्रण लिया है. राजवर्धन ने यहां अपनी निजी एम्बुलेंस, नाव, लाइफ सपोर्ट जैकेट व रसोई घर आदि की व्यवस्थाएं की हैं. राजवर्धन का कहना है कि वे निरंतर यहां आ रहे हैं और नाव के जरिये रोजाना लोगों के पास जाकर उन्हें खाना, इलाज और पैसे आदि देने का काम कर रहे हैं.

इसे भी पढे़ं-ओवैसी पर वसीम रिजवी का बड़ा हमला, हिंदुओं के कत्ल की पूछी तारीख

ईटीवी की टीम ने लिया जायजा

राजवर्धन सिंह राजू के साथ ही एक दिन का सफर ईटीवी की टीम ने भी तय किया. जलमग्न इलाकों का जायजा लेकर यहां का हाल जाना व प्रशासन के राहत देने के दावों की हकीकत से भी रूबरू हुए. डगमग करती नाव के सहारे करीब 5 किलोमीटर सफर तय कर हम डहेलिया गांव में पहुंचे. यह गांव एक टापू सा प्रतीत हो रहा था. चारों तरफ भरे पानी के बीच इस गांव में करीब 8 हजार लोग रहते हैं. इनकी समस्या व तकलीफ इनके सिवा दूसरा कोई नहीं समझ सकता. आज चार दिन बीतने के बाद भी ये सभी गांव वाले सरकारी मदद के अभाव में हैं. कोई भी जनप्रतिनिधि अब तक इनके यहां नहीं पहुंचा. हालांकि सवायजपुर के ऐसे गांव जहां पानी अभी धीरे-धीरे आ रहा है, जहां तक जाना आसान है वहां तो मौजूदा विधायक ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई. लेकिन ऐसे दर्जनों गांव जो पानी के बीच में फंसे हुए हैं और जहां हजारों लोग आपदा के शिकार हुए पड़े हैं, वहां किसी भी जिम्मेदार ने अबतक जाने की जहमत नहीं उठाई है.

कानपुर में बाढ़ का प्रकोप

कानपुर महानगर के नवाबगंज थाना क्षेत्र के अंतर्गत कोहना के ग्रामीण इलाकों में भी आज गंगा का जलस्तर बढ़ने से पानी पहुंचने लगा है. बुधवार को वहां पर खाली कराने के साथ ही अलर्ट भी जारी कर दिया गया है. खुद डीसीपी पश्चिम मौके पर पहुंचे और उन्होंने हालातों का जायजा लिया. इसके साथ ही लोगों से हर संभव मदद का विश्वास भी दिलाया. जिलाधिकारी को भी वहां की स्थिति के बारे में जानकारी दी. आपको बता दें लगातार बढ़ रहे जलस्तर को देखते हुए जिलाधिकारी ने भी अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए थे कि जल्द से जल्द खतरे के निशान वाली जगह को खाली करा दिया जाए. इसके साथ ही गांव वालों को भी अलर्ट कर दिया जाए कि वह भी जलभराव की स्थिति में अपने सामान और स्वयं की सुरक्षा का ध्यान रखें. वही आज नवाबगंज थाना क्षेत्र के जागेश्वर चौकी क्षेत्र में जब जलभराव की जानकारी डीसीपी पश्चिम बीवी जीटीएस मूर्ति को हुई तो वे खुद जायजा लेने के लिए मौके पर पहुंचे. जिला अधिकारी से बात कर उन्होंने जलभराव की स्थिति में अवगत कराया. वही पुलिसकर्मियों ने लोगों की मदद करने का आश्वासन दिया.

कन्नौज में भी बाढ़ ने मचायी तबाही

कन्नौज जिले के पहाड़ों पर हुई अतिवृष्टि के चलते गंगा का जलस्तर तेजी से लगातार बढ़ रहा है. इससे इत्रनगरी से होकर गुजरी गंगा व उसकी सहायक काली नदी उफान पर है. गंगा तट किनारे बसे गांवों के अंदर बाढ़ का पानी घुस गया है. इससे कासिमपुर गांव में बसे करीब तीस घर जलमग्न हो गए हैं. पानी भरने की वजह से लोग पलायन करने को मजबूर हैं. ग्रामीण नावों पर गृहस्थी का सामान रखकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंच रहे हैं. साथ ही जुकईया, चौराचांदपुर, बक्सीपुरवा, गुलाबपुरवा, कटरी, गंगपुर गांव तक पानी पहुंच गया है. बाढ़ के पानी से करीब 50 हजार बीघा से ज्यादा फसल बर्बाद हो गई है. वहीं प्रशासन बाढ़ पीड़ित ग्रामीणों की मदद करने का दावा कर रहा है, लेकिन पीड़ित ग्रामीण प्रशासन के दावों को झूठला रहे है.

गांव में पानी भरने से पलायन करने को मजबूर ग्रामीण

बुधवार को गंगा का जलस्तर 125.670 मीटर नापा गया. जो खतरे के निशान 125.970 से मजह 0.30 सेंटीमीटर दूर है. बता दें, बाढ़ आने पर गंगा किनारे बसे 18 गांव सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं. कासिमपुर, बक्सीपुरवा, गुलाबपुरवा, जुकईया व चौराचांदपुर में पानी भर गया है. सबसे ज्यादा हालात कासिमपुर गांव के खराब है. यहां पर बाढ़ का पानी आने से करीब 30 मकान डूब गए हैं. लोग सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए पलायन कर रहे हैं. ग्रामीण नावों व अन्य साधनों से गृहस्थी का सामान लादकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंच रहे हैं. किसानों की फसलें बर्बाद होने से चिंतित हैं. जिला प्रशासन ने 6 गांवों को हाई फ्लड जोन घोषित कर रखा है.

पीड़ितों का कहना है कि जितनी खेती बोई थी सब नष्ट हो गया है. जहां रहने की व्यवस्था होती है वहीं रुक जाते हैं. बताया कि प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं मिली है. अधिकारी आते भी हैं तो सड़क से ही देखकर वापस चले जाते हैं. जिसको जहां सुरक्षित स्थान मिल रहा है, वह वहीं तंबू लगाकर रह रहा है. वहीं सदर एसडीएम उमाकांत तिवारी को डीएम ने बाढ़ से निपटने की जिम्मेदारी सौंपी है. उन्होंने बताया कि बाढ़ पीड़ितों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचा दिया गया है. बाढ़ से जिन फसलों को नुकसान हुआ है, उसका आंकलन भी किया जा रहा है. सर्वे के बाद पीड़ितों को मुआवजा दिया जाएगा. बाढ़ पीड़ितों को ग्राम प्रधान के माध्यम से भोजन की व्यवस्था कराई जा रही है. बाढ़ से 6 गांव ज्यादा प्रभावित हैं. इन छह गांवों में अलर्ट जारी कर दिया गया है.

उन्नाव में बाढ़ का तांडव

उन्नाव जिले में भी गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. उन्नाव में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से मात्र 4 सेंटीमीटर दूर है. ऐसे में गंगा कटरी में रहने वाले लोगों की धड़कनें बढ़ गई हैं. लोगों के घरों में पानी घुसने से वह पलायन करने को मजबूर हैं. वहीं प्रशासन की टीमें लगातार गंगा कटरी में रहने वाले लोगों से संपर्क बनाए हुए हैं. हालांकि गंगा कटरी के लोगों का कहना है कि यहां प्रशासन के लोग आते तो हैं, लेकिन कोई भी किसी प्रकार की कोई मदद नहीं कर रहा है. बढ़ते जलस्तर को देखते हुए गंगा के किनारे रहने वाले लोग मजदूरी करने भी नहीं जा पा रहे हैं. इससे उन्हें अपनी जीविका चलाने में काफी दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं.

आपको बता दें, पिछले 24 घंटे में 34 सेंटीमीटर गंगा के पानी में बढ़ोतरी हुई है. वही उन्नाव में 112 सेंटीमीटर पर चेतावनी बिंदु है. जबकि 113 सेंटीमीटर पर खतरे के निशान को प्रदर्शित किया जाता है. उन्नाव के शुक्लागंज में गंगा के किनारे स्थित रविदास नगर, आलमनगर, गोताखोर कॉलोनी आदि इलाकों में गंगा का पानी, यहां के रहने वाले लोगों के घरों में घुस गया है. इससे यहां की गलियां जलमग्न हो गई हैं. लोगों को घरों से निकलने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ रहा है. यहां के रहने वाले लोग छत पर रहकर अपनी रात गुजार रहे हैं. कई परिवार यहां से पलायन भी कर चुके हैं. बिजली से कोई खतरा न हो, इसको लेकर सैकड़ों घरों की लाइट काट दी गई है. इस वजह से यहां के लोगों को रात के अंधेरे में रात गुजारनी पड़ रही है. गंगा किनारे रहने वाले सरफराज आलम ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, जिसकी वजह से वह कहीं काम पर नहीं जा पा रहे हैं. उनके पास जो राशन था वह खत्म होने को है. साथ ही उन्होंने बताया कि यहां पर डीएम व उनकी टीम आती तो है, लेकिन अभी तक उन्हें किसी प्रकार की कोई मदद नहीं मिली है. उन्हें डर सता रहा है कि पता नहीं कब गंगा का जलस्तर एकदम से बढ़ जाए और उनका घर पानी से धराशायी हो जाए. जबकि पानी उनके घर के अंदर प्रवेश कर चुका है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

हरदोई : हरदोई जिले में बाढ़ ने अपना रौद्र रूप दिखाया है. बाढ़ के प्रकोप से लोगों का हाल बेहाल है. तमाम परेशानियों ने एक साथ हमला बोल दिया है. हजारों लोग ना तो चैन से सो पा रहे हैं, और ना ही जी पा रहे हैं. चारो तरफ पानी से घिरे इन लोगों को खाने-पीने से लेकर तमाम संकटों का सामना करना पड़ रहा है. तमाम बीमारियों से लेकर जहरीले जीव जंतु तक हमेशा डर बना रहता है. दहशत के साए में जी रहे इन लोगों ने ईटीवी भारत से अपने दर्द को बयां किया. कहा- साहब... जान हथेली पर लेकर जी रहे हैं, मौत कभी भी दस्तक दे सकती है.

दरअसल, जिले की सवायजपुर तहसील पांच नदियों से घिरी हुई है. यहां हर वर्ष बाढ़ की समस्या से सैकड़ों परिवारों के हजारों लोग प्रभावित होते हैं. लेकिन आज तक किसी भी जनप्रतिनिधि व प्रशासनिक अधिकारी ने इन इलाकों को विकसित करने की जहमत नहीं उठाई. आज भी पिछले चार दिनों से गर्रा नदी का रौद्र रूप देखने को मिल रहा है. इसकी जद में सैकड़ों परिवारों के हजारों लोग प्रभावित हुए हैं. इन लोगों को अभी तक किसी भी प्रकार की राहत सामग्री नहीं मुहैया कराई गई है. वहीं आज जिले के एक समाजसेवी राजवर्धन सिंह ने नाव से जोखिम भरा सफर तय करके टापू बने गांवों में पीड़ितों को राहत सामग्री मुहैया कराने की जहमत उठाई है. समाजसेवी के साथ इन जलमग्न इलाकों में ईटीवी की टीम ने भी जाकर करीब 7 से 8 घंटे तक यहां का जायजा लिया.

बाढ़ से बेहाल जिंदगी.

बाढ़ के सैलाब के आगे नतमस्तक हुआ प्रशासन

हरदोई जिले से 70 किलोमीटर दूर बेस कटरी क्षेत्र है. यह जिले की सबसे बड़ी और अत्यधिक जनसंख्या वाली विधानसभा सवायजपुर में आता है. यहां हर वर्ष नदियों में जलस्तर बढ़ने से हजारों लोग प्रभावित होते हैं. कभी गंगा में तो कभी रामगंगा में जलस्तर बढ़ने से यहां दर्जनों गांव पानी की जद में आ जाते हैं. इस बार गर्रा नदी ने अपना रौद्र रूप दिखाया है. जिसके बाद करीब 15 किलोमीटर से ज्यादा का क्षेत्र जलमग्न हो गया है. कटारी क्षेत्र के कई गांव ऐसे हैं जो पानी से घिरकर टापू बन चुके हैं. हालात ये हैं कि यहां कोई जनप्रतिनिधि व अधिकारी फंसे लोगों के पास आने की जहमत नहीं कर रहा है. अभी तक सैकड़ों परिवारों के हजारों पीड़ित लोगों को किसी भी प्रकार की कोई राहत नहीं दी जा सकी है. लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर अभी तक न तो बाढ़ चौकियों का निर्माण कराया जा सका है, और न ही स्टीमर व नाव की ही व्यवस्था की गई है. लोग अपने निजी प्रयासों से नाव चलाकर एक दूसरे का सहारा बन रहे हैं.

ईटीवी भारत की टीम से बाढ़ पीड़तों ने अपना दर्द बयां किया. लोगों का कहना था कि उनका पूरा घर पानी की जद में है. डूबे घरों में रहकर किसी तरह से गुजर बसर करने को मजबूर हैं. इन सभी लोगों ने प्रशासन और अधिकारियों को खूब कोसा. उनका कहना था- कोई जिम्मेदार अफसर अब तक उनका हाल पूछने तक नहीं आया है. आलम ये है कि लोग पेड़ों पर बैठकर शौंच करने को मजबूर हैं. गंदगी के कारण तमाम तरह की बीमारियों से घिरे हुए हैं.


समाजसेवी राजवर्धन बने सहारा

राष्ट्रीय स्तर पर अपने समाज सेवी कार्यों को लेकर चर्चाओं में रहे व मिशन आत्मसंतुष्टि के संचालक राजवर्धन सिंह राजू ने इन बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत प्रदान करने का प्रण लिया है. राजवर्धन ने यहां अपनी निजी एम्बुलेंस, नाव, लाइफ सपोर्ट जैकेट व रसोई घर आदि की व्यवस्थाएं की हैं. राजवर्धन का कहना है कि वे निरंतर यहां आ रहे हैं और नाव के जरिये रोजाना लोगों के पास जाकर उन्हें खाना, इलाज और पैसे आदि देने का काम कर रहे हैं.

इसे भी पढे़ं-ओवैसी पर वसीम रिजवी का बड़ा हमला, हिंदुओं के कत्ल की पूछी तारीख

ईटीवी की टीम ने लिया जायजा

राजवर्धन सिंह राजू के साथ ही एक दिन का सफर ईटीवी की टीम ने भी तय किया. जलमग्न इलाकों का जायजा लेकर यहां का हाल जाना व प्रशासन के राहत देने के दावों की हकीकत से भी रूबरू हुए. डगमग करती नाव के सहारे करीब 5 किलोमीटर सफर तय कर हम डहेलिया गांव में पहुंचे. यह गांव एक टापू सा प्रतीत हो रहा था. चारों तरफ भरे पानी के बीच इस गांव में करीब 8 हजार लोग रहते हैं. इनकी समस्या व तकलीफ इनके सिवा दूसरा कोई नहीं समझ सकता. आज चार दिन बीतने के बाद भी ये सभी गांव वाले सरकारी मदद के अभाव में हैं. कोई भी जनप्रतिनिधि अब तक इनके यहां नहीं पहुंचा. हालांकि सवायजपुर के ऐसे गांव जहां पानी अभी धीरे-धीरे आ रहा है, जहां तक जाना आसान है वहां तो मौजूदा विधायक ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई. लेकिन ऐसे दर्जनों गांव जो पानी के बीच में फंसे हुए हैं और जहां हजारों लोग आपदा के शिकार हुए पड़े हैं, वहां किसी भी जिम्मेदार ने अबतक जाने की जहमत नहीं उठाई है.

कानपुर में बाढ़ का प्रकोप

कानपुर महानगर के नवाबगंज थाना क्षेत्र के अंतर्गत कोहना के ग्रामीण इलाकों में भी आज गंगा का जलस्तर बढ़ने से पानी पहुंचने लगा है. बुधवार को वहां पर खाली कराने के साथ ही अलर्ट भी जारी कर दिया गया है. खुद डीसीपी पश्चिम मौके पर पहुंचे और उन्होंने हालातों का जायजा लिया. इसके साथ ही लोगों से हर संभव मदद का विश्वास भी दिलाया. जिलाधिकारी को भी वहां की स्थिति के बारे में जानकारी दी. आपको बता दें लगातार बढ़ रहे जलस्तर को देखते हुए जिलाधिकारी ने भी अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए थे कि जल्द से जल्द खतरे के निशान वाली जगह को खाली करा दिया जाए. इसके साथ ही गांव वालों को भी अलर्ट कर दिया जाए कि वह भी जलभराव की स्थिति में अपने सामान और स्वयं की सुरक्षा का ध्यान रखें. वही आज नवाबगंज थाना क्षेत्र के जागेश्वर चौकी क्षेत्र में जब जलभराव की जानकारी डीसीपी पश्चिम बीवी जीटीएस मूर्ति को हुई तो वे खुद जायजा लेने के लिए मौके पर पहुंचे. जिला अधिकारी से बात कर उन्होंने जलभराव की स्थिति में अवगत कराया. वही पुलिसकर्मियों ने लोगों की मदद करने का आश्वासन दिया.

कन्नौज में भी बाढ़ ने मचायी तबाही

कन्नौज जिले के पहाड़ों पर हुई अतिवृष्टि के चलते गंगा का जलस्तर तेजी से लगातार बढ़ रहा है. इससे इत्रनगरी से होकर गुजरी गंगा व उसकी सहायक काली नदी उफान पर है. गंगा तट किनारे बसे गांवों के अंदर बाढ़ का पानी घुस गया है. इससे कासिमपुर गांव में बसे करीब तीस घर जलमग्न हो गए हैं. पानी भरने की वजह से लोग पलायन करने को मजबूर हैं. ग्रामीण नावों पर गृहस्थी का सामान रखकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंच रहे हैं. साथ ही जुकईया, चौराचांदपुर, बक्सीपुरवा, गुलाबपुरवा, कटरी, गंगपुर गांव तक पानी पहुंच गया है. बाढ़ के पानी से करीब 50 हजार बीघा से ज्यादा फसल बर्बाद हो गई है. वहीं प्रशासन बाढ़ पीड़ित ग्रामीणों की मदद करने का दावा कर रहा है, लेकिन पीड़ित ग्रामीण प्रशासन के दावों को झूठला रहे है.

गांव में पानी भरने से पलायन करने को मजबूर ग्रामीण

बुधवार को गंगा का जलस्तर 125.670 मीटर नापा गया. जो खतरे के निशान 125.970 से मजह 0.30 सेंटीमीटर दूर है. बता दें, बाढ़ आने पर गंगा किनारे बसे 18 गांव सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं. कासिमपुर, बक्सीपुरवा, गुलाबपुरवा, जुकईया व चौराचांदपुर में पानी भर गया है. सबसे ज्यादा हालात कासिमपुर गांव के खराब है. यहां पर बाढ़ का पानी आने से करीब 30 मकान डूब गए हैं. लोग सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए पलायन कर रहे हैं. ग्रामीण नावों व अन्य साधनों से गृहस्थी का सामान लादकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंच रहे हैं. किसानों की फसलें बर्बाद होने से चिंतित हैं. जिला प्रशासन ने 6 गांवों को हाई फ्लड जोन घोषित कर रखा है.

पीड़ितों का कहना है कि जितनी खेती बोई थी सब नष्ट हो गया है. जहां रहने की व्यवस्था होती है वहीं रुक जाते हैं. बताया कि प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं मिली है. अधिकारी आते भी हैं तो सड़क से ही देखकर वापस चले जाते हैं. जिसको जहां सुरक्षित स्थान मिल रहा है, वह वहीं तंबू लगाकर रह रहा है. वहीं सदर एसडीएम उमाकांत तिवारी को डीएम ने बाढ़ से निपटने की जिम्मेदारी सौंपी है. उन्होंने बताया कि बाढ़ पीड़ितों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचा दिया गया है. बाढ़ से जिन फसलों को नुकसान हुआ है, उसका आंकलन भी किया जा रहा है. सर्वे के बाद पीड़ितों को मुआवजा दिया जाएगा. बाढ़ पीड़ितों को ग्राम प्रधान के माध्यम से भोजन की व्यवस्था कराई जा रही है. बाढ़ से 6 गांव ज्यादा प्रभावित हैं. इन छह गांवों में अलर्ट जारी कर दिया गया है.

उन्नाव में बाढ़ का तांडव

उन्नाव जिले में भी गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. उन्नाव में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से मात्र 4 सेंटीमीटर दूर है. ऐसे में गंगा कटरी में रहने वाले लोगों की धड़कनें बढ़ गई हैं. लोगों के घरों में पानी घुसने से वह पलायन करने को मजबूर हैं. वहीं प्रशासन की टीमें लगातार गंगा कटरी में रहने वाले लोगों से संपर्क बनाए हुए हैं. हालांकि गंगा कटरी के लोगों का कहना है कि यहां प्रशासन के लोग आते तो हैं, लेकिन कोई भी किसी प्रकार की कोई मदद नहीं कर रहा है. बढ़ते जलस्तर को देखते हुए गंगा के किनारे रहने वाले लोग मजदूरी करने भी नहीं जा पा रहे हैं. इससे उन्हें अपनी जीविका चलाने में काफी दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं.

आपको बता दें, पिछले 24 घंटे में 34 सेंटीमीटर गंगा के पानी में बढ़ोतरी हुई है. वही उन्नाव में 112 सेंटीमीटर पर चेतावनी बिंदु है. जबकि 113 सेंटीमीटर पर खतरे के निशान को प्रदर्शित किया जाता है. उन्नाव के शुक्लागंज में गंगा के किनारे स्थित रविदास नगर, आलमनगर, गोताखोर कॉलोनी आदि इलाकों में गंगा का पानी, यहां के रहने वाले लोगों के घरों में घुस गया है. इससे यहां की गलियां जलमग्न हो गई हैं. लोगों को घरों से निकलने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ रहा है. यहां के रहने वाले लोग छत पर रहकर अपनी रात गुजार रहे हैं. कई परिवार यहां से पलायन भी कर चुके हैं. बिजली से कोई खतरा न हो, इसको लेकर सैकड़ों घरों की लाइट काट दी गई है. इस वजह से यहां के लोगों को रात के अंधेरे में रात गुजारनी पड़ रही है. गंगा किनारे रहने वाले सरफराज आलम ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, जिसकी वजह से वह कहीं काम पर नहीं जा पा रहे हैं. उनके पास जो राशन था वह खत्म होने को है. साथ ही उन्होंने बताया कि यहां पर डीएम व उनकी टीम आती तो है, लेकिन अभी तक उन्हें किसी प्रकार की कोई मदद नहीं मिली है. उन्हें डर सता रहा है कि पता नहीं कब गंगा का जलस्तर एकदम से बढ़ जाए और उनका घर पानी से धराशायी हो जाए. जबकि पानी उनके घर के अंदर प्रवेश कर चुका है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

Last Updated : Oct 27, 2021, 10:20 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.