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हरदोई में किसान परेशान, गल्ला मंडी में डाले हुए हैं डेरा

यूपी के हरदोई की गल्ला मंडी में क्रय केंद्रों पर धान खरीद की जा रही है. लेकिन यहां आए किसानों का आरोप है कि जिस धान की खरीद हो रही है, वो गरीब व छोटे किसानों का नहीं बल्कि, उनका है जो घूस देकर केंद्र प्रभारियों के चहेते बने हुए हैं. सैकड़ों किसान यहां पिछले करीब 5 से 6 दिनों से गल्ला मंडी में ही डेरा डाले हुए हैं.

धान की खरीद न होने से किसान परेशान.
धान की खरीद न होने से किसान परेशान.
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Published : Oct 22, 2020, 5:39 PM IST

हरदोई: जिले में एक अक्टूबर से सरकारी धान क्रय केंद्र संचालित होना शुरू हो गए थे. इन केंद्रों पर शुरुआत में तो एक दो-दिन खरीद में पारदर्शिता बनी रही, लेकिन उसके बाद पूर्व की भांति किसानों को समस्याएं आना शुरू हो गईं. कभी धान गीला बताकर किसानों को लौटाया जा रहा है, तो कभी टोकन न देकर उन्हें एक-एक हफ्ते वेटिंग में डालकर उनका शोषण किया जा रहा है.

किसानों को मजबूरन निजी व्यापारियों को अपना अनाज औने-पौने दामों में बेचना पड़ रहा है. इससे उनकी मेहनत का सही दाम उन्हें नहीं मिल पा रहा है. इतना ही नहीं किसान यहां पिछले करीब 5 से 6 दिनों से गल्ला मंडी में ही डेरा डाले हुए हैं. अधिकतर गरीब किसानों को धान गीला बताकर लौटा दिया जा रहा है, जबकि किसानों का आरोप है कि रसूख वाले लोगों को वरीयता देकर लक्ष्य पूरा करने की तैयारी है.

धान की खरीद न होने से किसान परेशान.

किसानों ने लगाया घूस लेकर तौल किए जाने का आरोप
गल्ला मंडी में 80 में से 12 केंद्रों पर धान खरीद की जा रही है, लेकिन यहां आए किसानों का आरोप है कि जिस धान की खरीद हो रही है, वह गरीब और छोटे किसानों का नहीं बल्कि, उनका है जो घूस देकर केंद्र प्रभारियों के चहेते बने हुए हैं. इतना ही नहीं किसानों ने ईटीवी भारत से हुई खासबात चीत में बताया कि वे एक हफ्ते से यहां मंडी में डेरा डाले हुए हैं, लेकिन न ही उन्हें टोकन मिला है और न ही उनके अनाज की तौल का नम्बर ही अभी आ सका है.

किसान जोगेंदर ने बताया कि किसानों के जिस धान को गीला बताकर लौटाया जा रहा है, अगर उसकी नमी की सही जांच की जाए तो नमी 13 या 14 से कम ही आएगी. वहीं जो धान खरीदा जा रहा है, वह गीला बताए जा रहे धान से भी खराब है. किसानों ने इस पहलू को सामने रख कर जांच किए जाने की मांग भी की है. आरोप है कि रसूख वाले लोगों को वरीयता दी जा रही है और गरीब किसान को धान गीला बताकर व धान में चावल न निकलने जैसे तमाम बहाने बनाकर उन्हें टरकाया जा रहा है. साथ ही किसानों ने कहा कि केंद्र प्रभारी पूरी तरह से मनमानी कर रहे हैं.

मंडी में किसान जानवरों से कैसे बचाएं अपना अनाज
वहीं कुछ अन्य किसानों ने भी इसी प्रकार की समस्याएं सामने आने की बात कहकर अपना दर्द बयां किया. एक वृद्ध किसान ने कहा कि केंद्र प्रभारी लेवर न होने की बात कहकर धान तौल करने से इनकार कर रहा है. किसानों ने कहा कि वेटिंग में चलने के कारण यहां किसान एक एक हफ्ते से मंडी में ही रहकर अपने गल्ला की सुरक्षा कर रहे हैं. यहां एक बार धान लाने के बाद वापसी करना संभव नहीं है. इसलिए किसान मजबूरन भूखे-प्यासे और मच्छरों के बीच रात गुजारने को मजबूर हैं. ऐसे में इतने दिनों तक मंडी में रहकर अपने अनाज की सुरक्षा करने में भी किसानों को तमाम समस्याएं झेलनी पड़ रही हैं. इसमें सबसे अहम गल्ला मंडी में घूम रहे आवारा जानवरों की समस्या है. यह जानवर दिन और रात में किसानों के आधे अनाज को देखते ही देखते चट कर जा रहे हैं, लेकिन किसान इन सब समस्याओं के आगे बेबस नजर आ रहे हैं.

'गरीब किसान की नहीं दलालों के धान की हो रही खरीद'
भाकियू के पदाधिकारी राजीव सिंह ने बताया कि कुछ एक किसानों ने कहा कि यहां रोजाना 3 से 4 सौ क्विंटल धान को खरीदा जा रहा है. केंद्र प्रभारी लेवरों की कमी का बहाना बनाकर छोटे व गरीब किसानों के धान को खरीदने से मना कर रहे हैं. बावजूद इसके यहां केंद्रों पर रोजाना भारी मात्रा में खरीद की जा रही है, लेकिन जब गरीब किसानों का धान नहीं खरीदा जा रहा तो अन्य किसका अनाज यहां पर लिया जा रहा है, यह एक बड़ा सवाल जरूर बना हुआ है.

छोटे व गरीब किसानों को वरीयता दिए जाने के लिए तमाम अफसरों को केंद्रों पर लगाया गया है, जिससे कि हर एक किसान को उसकी उपज का मेहनताना दिया जा सके. साथ ही एक कंट्रोल रूम भी गठित किया गया है. इस कंट्रोल रूम में कोई भी किसान धान की खरीद को लेकर कंट्रोल रूम के नम्बरों पर कॉल कर अपनी समस्याओं को बता सकता है. ग्रामीण क्षेत्रों के केंद्रों पर सही से खरीद न होने के कारण गल्ला मंडी में किसानों की भीड़ लग रही है.
-अविनाश कुमार, जिलाधिकारी

हरदोई: जिले में एक अक्टूबर से सरकारी धान क्रय केंद्र संचालित होना शुरू हो गए थे. इन केंद्रों पर शुरुआत में तो एक दो-दिन खरीद में पारदर्शिता बनी रही, लेकिन उसके बाद पूर्व की भांति किसानों को समस्याएं आना शुरू हो गईं. कभी धान गीला बताकर किसानों को लौटाया जा रहा है, तो कभी टोकन न देकर उन्हें एक-एक हफ्ते वेटिंग में डालकर उनका शोषण किया जा रहा है.

किसानों को मजबूरन निजी व्यापारियों को अपना अनाज औने-पौने दामों में बेचना पड़ रहा है. इससे उनकी मेहनत का सही दाम उन्हें नहीं मिल पा रहा है. इतना ही नहीं किसान यहां पिछले करीब 5 से 6 दिनों से गल्ला मंडी में ही डेरा डाले हुए हैं. अधिकतर गरीब किसानों को धान गीला बताकर लौटा दिया जा रहा है, जबकि किसानों का आरोप है कि रसूख वाले लोगों को वरीयता देकर लक्ष्य पूरा करने की तैयारी है.

धान की खरीद न होने से किसान परेशान.

किसानों ने लगाया घूस लेकर तौल किए जाने का आरोप
गल्ला मंडी में 80 में से 12 केंद्रों पर धान खरीद की जा रही है, लेकिन यहां आए किसानों का आरोप है कि जिस धान की खरीद हो रही है, वह गरीब और छोटे किसानों का नहीं बल्कि, उनका है जो घूस देकर केंद्र प्रभारियों के चहेते बने हुए हैं. इतना ही नहीं किसानों ने ईटीवी भारत से हुई खासबात चीत में बताया कि वे एक हफ्ते से यहां मंडी में डेरा डाले हुए हैं, लेकिन न ही उन्हें टोकन मिला है और न ही उनके अनाज की तौल का नम्बर ही अभी आ सका है.

किसान जोगेंदर ने बताया कि किसानों के जिस धान को गीला बताकर लौटाया जा रहा है, अगर उसकी नमी की सही जांच की जाए तो नमी 13 या 14 से कम ही आएगी. वहीं जो धान खरीदा जा रहा है, वह गीला बताए जा रहे धान से भी खराब है. किसानों ने इस पहलू को सामने रख कर जांच किए जाने की मांग भी की है. आरोप है कि रसूख वाले लोगों को वरीयता दी जा रही है और गरीब किसान को धान गीला बताकर व धान में चावल न निकलने जैसे तमाम बहाने बनाकर उन्हें टरकाया जा रहा है. साथ ही किसानों ने कहा कि केंद्र प्रभारी पूरी तरह से मनमानी कर रहे हैं.

मंडी में किसान जानवरों से कैसे बचाएं अपना अनाज
वहीं कुछ अन्य किसानों ने भी इसी प्रकार की समस्याएं सामने आने की बात कहकर अपना दर्द बयां किया. एक वृद्ध किसान ने कहा कि केंद्र प्रभारी लेवर न होने की बात कहकर धान तौल करने से इनकार कर रहा है. किसानों ने कहा कि वेटिंग में चलने के कारण यहां किसान एक एक हफ्ते से मंडी में ही रहकर अपने गल्ला की सुरक्षा कर रहे हैं. यहां एक बार धान लाने के बाद वापसी करना संभव नहीं है. इसलिए किसान मजबूरन भूखे-प्यासे और मच्छरों के बीच रात गुजारने को मजबूर हैं. ऐसे में इतने दिनों तक मंडी में रहकर अपने अनाज की सुरक्षा करने में भी किसानों को तमाम समस्याएं झेलनी पड़ रही हैं. इसमें सबसे अहम गल्ला मंडी में घूम रहे आवारा जानवरों की समस्या है. यह जानवर दिन और रात में किसानों के आधे अनाज को देखते ही देखते चट कर जा रहे हैं, लेकिन किसान इन सब समस्याओं के आगे बेबस नजर आ रहे हैं.

'गरीब किसान की नहीं दलालों के धान की हो रही खरीद'
भाकियू के पदाधिकारी राजीव सिंह ने बताया कि कुछ एक किसानों ने कहा कि यहां रोजाना 3 से 4 सौ क्विंटल धान को खरीदा जा रहा है. केंद्र प्रभारी लेवरों की कमी का बहाना बनाकर छोटे व गरीब किसानों के धान को खरीदने से मना कर रहे हैं. बावजूद इसके यहां केंद्रों पर रोजाना भारी मात्रा में खरीद की जा रही है, लेकिन जब गरीब किसानों का धान नहीं खरीदा जा रहा तो अन्य किसका अनाज यहां पर लिया जा रहा है, यह एक बड़ा सवाल जरूर बना हुआ है.

छोटे व गरीब किसानों को वरीयता दिए जाने के लिए तमाम अफसरों को केंद्रों पर लगाया गया है, जिससे कि हर एक किसान को उसकी उपज का मेहनताना दिया जा सके. साथ ही एक कंट्रोल रूम भी गठित किया गया है. इस कंट्रोल रूम में कोई भी किसान धान की खरीद को लेकर कंट्रोल रूम के नम्बरों पर कॉल कर अपनी समस्याओं को बता सकता है. ग्रामीण क्षेत्रों के केंद्रों पर सही से खरीद न होने के कारण गल्ला मंडी में किसानों की भीड़ लग रही है.
-अविनाश कुमार, जिलाधिकारी

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