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हरदोई: सूखा पड़ने पर इस शिव मंदिर में रुद्राभिषेक के 24 घंटे के अंदर होती है बारिश!

मान्यता है कि सूखा पड़ने पर बावन ब्लॉक में मौजूद बाबा आदिनाथ मंदिर के शिवलिंग का रुद्राभिषेक करने के 24 घंटे के अंदर ही बारिश होती है. इस मंदिर मे जिले के साथ विदेशों से भी लोग दर्शन करने आते हैं.

बाबा आदिनाथ मंदिर में दूर-दूर से लोग करने आते हैं दर्शन.
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Published : Jul 15, 2019, 9:35 PM IST

हरदोई: जिले के बावन ब्लॉक में मौजूद बाबा आदिनाथ मंदिर के शिवलिंग का इतिहास और महत्व बेहद चौंकाने वाला है. इस शिवलिंग की उत्पत्ति कब और कैसे हुई इसका पता आज तक नहीं चल पाया है.

बाबा आदिनाथ मंदिर में दूर-दूर से लोग करने आते हैं दर्शन.


इसके महत्व की बात करें तो आज भी जब इलाके में सूखा पड़ता है तो यहां रुद्राभिषेक करने के 24 घंटे के अंदर ही बारिश होती है. इतना ही नहीं मंदिर प्रांगण में बने अष्टकोणीय कुएं में कभी पानी नहीं भरता है. 17 जुलाई से सावन शुरू हो रहा है. सावन के महीने में इस मंदिर का महत्व और बढ़ जाता है. भगवान इंद्र ने भी इस मंदिर प्रांगण में मौजूद इंद्र कुटी में रहकर भगवान शिव की पूजा की थी.


इतना ही नहीं औरंगजेब द्वारा इसे खंडित करने की कोशिश करने पर इसमें से मधुमक्खियां भी निकली थीं, जिनके चिन्ह आज भी इस शिवलिंग पर मौजूद हैं. जिले के ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी लोग यहां भगवान शिव के दर्शन करने आते हैं.

हरदोई: जिले के बावन ब्लॉक में मौजूद बाबा आदिनाथ मंदिर के शिवलिंग का इतिहास और महत्व बेहद चौंकाने वाला है. इस शिवलिंग की उत्पत्ति कब और कैसे हुई इसका पता आज तक नहीं चल पाया है.

बाबा आदिनाथ मंदिर में दूर-दूर से लोग करने आते हैं दर्शन.


इसके महत्व की बात करें तो आज भी जब इलाके में सूखा पड़ता है तो यहां रुद्राभिषेक करने के 24 घंटे के अंदर ही बारिश होती है. इतना ही नहीं मंदिर प्रांगण में बने अष्टकोणीय कुएं में कभी पानी नहीं भरता है. 17 जुलाई से सावन शुरू हो रहा है. सावन के महीने में इस मंदिर का महत्व और बढ़ जाता है. भगवान इंद्र ने भी इस मंदिर प्रांगण में मौजूद इंद्र कुटी में रहकर भगवान शिव की पूजा की थी.


इतना ही नहीं औरंगजेब द्वारा इसे खंडित करने की कोशिश करने पर इसमें से मधुमक्खियां भी निकली थीं, जिनके चिन्ह आज भी इस शिवलिंग पर मौजूद हैं. जिले के ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी लोग यहां भगवान शिव के दर्शन करने आते हैं.

Intro:आकाश शुक्ला हरदोई।9919941250

एंकर----हरदोई जिले में यूं तो तमाम ऐतिहासिक, पौराणिक और धार्मिक स्थल मौजूद हैं लेकिन बात अगर जिले के बावन ब्लॉक में मौजूद बाबा आदिनाथ मंदिर की करें तो यहां मौजूद शिवलिंग का इतिहास और महत्व बेहद चौकाने वाला है।इसके इतिहास का आज तक कोई पता ही नही लगा सके है।इस शिवलिंग की उत्पत्ति कब और कैसे हुई इसका पता आज तक नहीं चल पाया है।वहीं इसके महत्व की बात करें तो आज भी जब इलाके में सूखा पड़ता है तो यहां रुद्राभिषेक करने के 24 घंटे के भीतर ही वर्ष होती है।इतना ही नहीं एक विचित्र किवदंती ये भी है कि इस शिवलिंग के छोटे से घेरे में मंदिर प्रांगण में बने अष्टकोड़ीक कुएं के पानी से ये कभी भरता नहीं, जो चौकाने वाली बात जरूर है।वहीं भगवान इंद्र ने भी इस मंदिर प्रांगण में मौजूद इंद्र कुटी में रहकर भक्त प्रहलाद की सेवा की थी, जिससे उन्हें उनके ऐश्वर्य की प्राप्ति हुई थी।इतना ही नहीं औरंगजेब द्वारा इसे खंडित करने की कोशिश करने पर इसमें से मधुमक्खियां भी निकली थीं, जिनके चिन्ह आज भी इस शिवलिंग पर मौजूद हैं।





Body:वीओ--1--वैसे तो हरदोई बहुत से पौराणिक स्थानों के लिए मशहूर है उन्हीं में से अगर बात करें बावन की तो ये हरदोई का ऐसा स्थान है जहां पर बावन भगवान प्रकट हुए थे, और ऋषि के महल के अलग-अलग गेटों पर 52 रूप में विराजमान हुए थे। वहीं इस क्षेत्र में भगवान शिव का एक ऐसा मंदिर मौजूद है जो सभी के कष्टों को हैरत तो है ही साथ ही भक्तों की मनोकामनाएं भी यहां पूर्ण होती हैं।यहां सिर्फ जिले के ही नहीं बल्कि विदेशों के लोग भी भगवान शिव के दर्शन करने आते हैं।अब बात करे इसकी उत्पत्ति की तो ये आज भी एक रषय बना हुआ है।तमाम विशेषज्ञ और खोजकर्ता आये लेकिन कोई भी इसकी गहराई नाप नहीं सका और न ही इसके इतिहास का पता लगा सका।वहीं ये शिव लिंग एक मायावी शिवलिंग भी है।जिसका पता तब चला था, जब औरंगजेब ने इसे खंडित कर्म के लिए इसको आरे से कटवाने का प्रयास किया था।जैसे ही उसने इस पर आरा चलवाया वैसे ही इसमें से मधुमक्खियों का झुंड निकल पड़ा और वे सब भाग निकले थे।इसके निशान आज भी शिवलिंग पर मौजूद हैं।

सूखा पड़ने पर 24 घंटे में वर्षा कराते हैं भगवान शिव

भक्तों का मानना है कि जब यहां सूखा पड़ जाता है और पानी का अकाल होता है।तो भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से 24 घंटों के भीतर ही वर्षा होती है।इतना ही नहीं यहां मौजूद एक अष्टकोड़ित कुआं मौजूद है।जिसके पानी से इस शिवलिंड के घरों को भरा जाए तो ये कभी भारत ही नहीं और पानी का लेवल उतना का उतना ही रहता है चाहें हज़ारों बाल्टियां पानी इसमें डाल दिया जाए।

इस कुटी में रहे थे भगवान इंद्र

दैत्यों से पराजित होने के बाद भगवान इंद्र का ऐश्वर्य दैत्यों ने चीन लिया था।तब अपने गुरु बृहस्पति के कहने पर वे हरदोई के बावन में आये थे।उनके गुरु ने कहा था कि उन्हें यहां आकर विष्णु भक्त प्रहलाद की सेवा करनी होगी।तब भगवान इंद्र इसी मंदिर प्रांगण में बनी कुटी में रहते थे और भगवान शिव की आराधना करते थे।तभी से इस कुटी का नाम इंद्र कुटी पड़ा।वहीं उन्होंने प्रहलाद की सेवा कर अपने ऐश्वर्य की प्राप्ति भी की थी।

विसुअल विद वॉइस ओवर

वीओ--2--यहां के पंडित वेदव्रत मिश्र ने जानकारी दी कि सिर्फ हरदोई से ही नहीं बल्कि विदेशों में रहने वाले भी कई लोग बाबा आदिनाथ के दर्शन करने आते हैं।उन्होंने इस शिवलिंग व मंदिर से जुड़ी सभी बातों से अवगत कराया।सुनिए उन्ही की जुबानी।

बाईट--वेदव्रत मिश्र--मंदिर के पंडित




Conclusion:
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