हरदोई: शासन के निर्देश पर निलंबित किए गए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र संडीला के चिकित्सा अधीक्षक के निलंबन के बाद प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ ने जिलाधिकारी पुलकित खरे को हटाने की मांग की है. साथ ही एक सप्ताह तक काली पट्टी बांधकर विरोध जताने और उनकी मांग पूरी न होने पर सामूहिक रूप से इस्तीफा देने की बात कही है. दरअसल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र संडीला के तत्कालीन चिकित्सा अधीक्षक डॉ. शरद वैश्य को कर्मचारी आचरण नियमावली के उल्लंघन के मामले में निलंबित कर दिया है. इस मामले में उनके पक्ष में उतरे पीएमएस संघ का कहना है कि विगत वर्ष जिलाधिकारी पुलकित खरे के साथ चिकित्सकों की बातचीत हो गई थी. जिलाधिकारी का रवैया खराब था, जिसके चलते जिलाधिकारी ने शासन से निलंबन की संस्तुति की थी. ऐसे में जिलाधिकारी को हटाया जाए और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की जाए.
हरदोई के जिला अस्पताल में प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ के पदाधिकारी चिकित्सकों ने काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन किया. यह शासन की ओर से निलंबित किए गए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र संडीला के तत्कालीन चिकित्सा अधीक्षक डॉ. शरद वैश्य के निलंबन के विरोध में एकजुट हुए. दरअसल, कर्मचारी आचरण नियमावली के उल्लंघन के तहत डॉ. शरद वैश्य को निलंबित किया गया है और उन्हें अपर निदेशक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण लखनऊ मंडल के कार्यालय से संबद्ध कर पूरे मामले की जांच अपर निदेशक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण लखनऊ मंडल को सौंपी गई है. निलंबन से आक्रोशित प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ ने विरोध जताया और जिलाधिकारी पुलकित खरे को जिले से हटाए जाने की मांग की है. साथ ही चेतावनी दी कि एक सप्ताह तक वह लोग काली पट्टी बांधकर कार्य करेंगे. अगर उनकी मांग को पूरा नहीं किया गया, तो वह लोग सामूहिक रूप से शासन को इस्तीफा दे देंगे. उनकी मांग है कि जिलाधिकारी को हटाया जाए और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की जाए.
डॉक्टर स्वामी दयाल ने बताया कि विगत वर्ष जिला अधिकारी ने अपने आवास पर देर रात डॉक्टरों की मीटिंग बुलाई थी. जिलाधिकारी का व्यवहार सही नहीं था, जिसके चलते चिकित्सकों ने विरोध जताया था. इसके बाद जिलाधिकारी ने जांच कराकर डॉ. शरद वैश्य के निलंबन की संस्तुति शासन से की थी, जिसके अनुक्रम में उन्हें निलंबित किया गया है. उनकी मांग है कि जिला अधिकारी को तत्काल हटाया जाए और निष्पक्ष जांच की जाए. वह लोग एक सप्ताह तक काली पट्टी बांधकर विरोध जाहिर करेंगे. अगर उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो सामूहिक रूप से वह लोग शासन को इस्तीफा भेज देंगे कि इन हालात में अब वह काम नहीं कर पाएंगे.