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हरदोई: बारिश से गोशालाओं में दलदल, जानवरों ने सड़कों और खेतों में डाला डेरा

उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में गोशालाओं में बारिश से दलदल हो गया है. हालात यह हैं कि आवारा पशु आज भी सड़कों और खेतों में अपना डेरा जमाएं हैं.

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Published : Aug 3, 2019, 1:01 PM IST

गोशालाएं बारिश में बनी दलदल.

हरदोई: प्रदेश सरकार के आवारा पशुओं को आश्रय देने के दावे हरदोई जिले में खोखले साबित हो रहे हैं. जिले में करीब 78 गोशालाएं हैं, लेकिन ये सभी गोशालाएं अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहीं हैं. आलम ये है कि आवारा पशु आज भी खुलेआम सड़कों पर घूम सड़क हादसों को दावत दे रहे हैं, तो वहीं किसानों की फसलों को भी खासा नुकसान पहुंचा रहे हैं.

गोशालाएं बारिश में बनीं दलदल.

दलदल बनीं गोशाला
जिले के कंदौना गांव में मौजूद गोशाला में न तो जानवरों के लिए भोजन की व्यवस्था है और न ही पीने के लिए पानी. मुश्किलें तब और बढ़ीं जब बारिश से यह गोशाला दलदल में तब्दील हो गई. इसके चलते जानवरों ने वापस सड़कों पर और लोगों के खेतों को अपना बसेरा बना लिया है. जब ईटीवी की टीम ने यहां का जायजा लिया तो हालात चौंकाने वाले मिले. यहां न तो कोई सुरक्षाकर्मी मिला और न ही एक भी जानवर. साथ ही बारिश के पानी निकलने की व्यवस्था न होने की वजह से गोशाला दलदल में तब्दील हो चुकी है.

गोशालाओं से पलायन कर रहे पशु
नया गांव मुबारकपुर में मौजूद स्थायी गोशाला का हाल भी कुछ ऐसा है. गेट से लेकर अंदर तक जलभराव हो रखा है. इससे आहत होकर जानवरों ने इस गोशाला से भी पलायन करना शुरू कर दिया है. जिन जानवरों की टैगिंग की गई थी, आज वो खुलेआम सड़कों पर घूम रहे हैं.

वहीं इस मौसम जानवरों में संक्रमित बीमारियां भी होने लगी हैं, जिससे इनकी मौत भी हो रही है. जिले की अधिकतर गोशालाओं की स्थिति ऐसी ही बनी हुई है. इस मामले पर आलाधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है. हालांकि ग्रामीणों ने बताया कि यहां पर जानवर नहीं रह गए हैं. जानवरों की देख-रेख करने वाले भी अपनी मर्ज़ी के मालिक है.

हरदोई: प्रदेश सरकार के आवारा पशुओं को आश्रय देने के दावे हरदोई जिले में खोखले साबित हो रहे हैं. जिले में करीब 78 गोशालाएं हैं, लेकिन ये सभी गोशालाएं अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहीं हैं. आलम ये है कि आवारा पशु आज भी खुलेआम सड़कों पर घूम सड़क हादसों को दावत दे रहे हैं, तो वहीं किसानों की फसलों को भी खासा नुकसान पहुंचा रहे हैं.

गोशालाएं बारिश में बनीं दलदल.

दलदल बनीं गोशाला
जिले के कंदौना गांव में मौजूद गोशाला में न तो जानवरों के लिए भोजन की व्यवस्था है और न ही पीने के लिए पानी. मुश्किलें तब और बढ़ीं जब बारिश से यह गोशाला दलदल में तब्दील हो गई. इसके चलते जानवरों ने वापस सड़कों पर और लोगों के खेतों को अपना बसेरा बना लिया है. जब ईटीवी की टीम ने यहां का जायजा लिया तो हालात चौंकाने वाले मिले. यहां न तो कोई सुरक्षाकर्मी मिला और न ही एक भी जानवर. साथ ही बारिश के पानी निकलने की व्यवस्था न होने की वजह से गोशाला दलदल में तब्दील हो चुकी है.

गोशालाओं से पलायन कर रहे पशु
नया गांव मुबारकपुर में मौजूद स्थायी गोशाला का हाल भी कुछ ऐसा है. गेट से लेकर अंदर तक जलभराव हो रखा है. इससे आहत होकर जानवरों ने इस गोशाला से भी पलायन करना शुरू कर दिया है. जिन जानवरों की टैगिंग की गई थी, आज वो खुलेआम सड़कों पर घूम रहे हैं.

वहीं इस मौसम जानवरों में संक्रमित बीमारियां भी होने लगी हैं, जिससे इनकी मौत भी हो रही है. जिले की अधिकतर गोशालाओं की स्थिति ऐसी ही बनी हुई है. इस मामले पर आलाधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है. हालांकि ग्रामीणों ने बताया कि यहां पर जानवर नहीं रह गए हैं. जानवरों की देख-रेख करने वाले भी अपनी मर्ज़ी के मालिक है.

Intro:आकाश शुक्ला हरदोई।9919941250

एंकर--जिले में मौजूद करीब 78 गौशालये आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही हैं।आज भी जिले के अवर पशुओं को जिला प्रशासन आश्रय न दे सका।आलम ये है कि पूर्व की भांति आज भी जिले के हज़ारों आवारा पशु खुले आम सड़कों पर घूम रहे हैं और किसानों की फसलें बर्बाद करने के साथ ही सड़क हादसों व अन्य समस्याओं को दावत देने का काम कर रहे हैं।वहीं इस बारिश इन पशु आश्रय स्थलों व गौशालाओं की स्थिति और भी दयनीय हो गयी है।ये जगहें अब दलदल का रूप ले चुकी हैं।जिस कारण जानवरों का मोह इन जगहों से भांग हो गया है और वे यहां से निकल कर भागने लगे हैं।


Body:वीओ--1--हरदोई जिले के कंदौना गांव में मौजूद इस पशु आश्रय स्थल की ये तस्वीरें साफ बयान कर रही हैं, की यहां जानवरों के लिए न ही तो भोजन है और न ही प्यास बुझाने के लिए पर्याप्त पानी।जिसके चलते अब जानवरो ने यहां से पलायन कर लिया है।और वापस सड़कों पर और लोगों के खेतों में बसेरा डाल लिया है।इतना ही नहीं इन की देख रेख करने वाला भी यहां कोई नहीं मौजूद है।जब ईटीवी की टीम ने यहां का जायजा लिया तो हालात चौकाने वाले मिले।यहां पर न ही तो कोई सुरक्षा कर्मी मिला और न ही कोई अन्य कर्मचारी।दरवाजा अंदर से बंद कर दीवाल फांद कर सभी मौज मस्ती करने निकले हुए थे।ये सिर्फ आज की ही बात नहीं बल्कि रोज़ का यही ढर्रा है।ऐसे में इस गौशाला में एक भी जानवर नज़र नहीं आया।वहीं पूरी गौशाला में कीचड़ ही कीचड़ देखने को मिला।वहीं जानवरों के कहने के लिए भी यहां कोई प्रबंध नहीं है।इतना ही नहीं इस गौशाला में बाउंड्री वाल के साथ ही गेट भी टूटा पड़ा हुआ है।इसके बाद नया गांव मुबारकपुर में मौजूद स्थाई गौशाला का हाल भी कुछ ऐसा है।जिसके में गेट से लेकर अंदर तक जलभराव हो रखा है।इससे आहत होकर जानवरों ने इस गौशाला से भी पलायन करना शुरू कर दिया है।जिन जानवरों की टैगिंग की गई थी आज वो खुले आम सड़कों पर घूम रहे हैं।वहीं इस मौसम जानवरों में संक्रमित बीमारियां भी होने लगी हैं।जिससे इनकी मौत भी हो रही है।जिले की अधिकांश गौशालाओं की स्थिति ऐसी ही बनी हुई है।

विसुअल विद वॉइस ओवर

वीओ--2--वहीं इस मामले पर कोई भी जिम्मेदार अफसरान कुछ भी बोलने से कतराता नज़र आरहा है और कैमरे का सामना करने से बचता घूम रहा है।हालांकि ग्रामीणों ने जानकारी दी कि यहां पर अब जानवर नहीं रह गए हैं।इनकी देख रेख करने वाले भी अपनी मर्ज़ी के मालिक है जब मन होता है आते हैं और चले जाते हैं।वहीं इन आवारा जानवरों से होने वाली समस्याओं का बखान भी ग्रामीणों ने किया।सुनिए उन्ही की जुबानी।

बाईट--सुनीता--ग्रामीण
बाईट--राजेश--स्कूली छात्र
बाईट--सुरेश--ग्रामीण
पीटूसी


Conclusion:
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