हमीरपुर: जिले के सरीला तहसील क्षेत्र के सैकड़ों गांव के किसानों को लहचूरा बांध से निकली नहर से एक बूंद पानी मयस्सर नहीं हो रहा है. इलाके के गांव के किसान बरसात के पानी पर निर्भर रहते हैं. समय पर बारिश हुई तो अच्छी फसल होती है. वहीं समय पर बारिश नहीं हुई तो फसल नहीं होती है.
नहर में पानी नहीं आने और न ही कोई देखरेख होने से कई इलाकों में नहर से लोंगो के आवागमन के चलते मिटी कट गई है. नहर सड़क में तब्दील हो गई, तो वही कई इलाकों में लोंगो ने नहर पर अतिक्रमण कर घर और दुकान मकान बना लिए हैं. धीरे-धीरे पुन: नहर का अस्तित्व समाप्त होने लगा है. वहीं विभाग के लापरवाह नौकरशाह प्रत्येक वर्ष कागजों में खुदाई कराकर अपनी जेब मोटी करने में लगे रहते हैं.
गौरतलब हो कि सरीला क्षेत्र बुंदेलखंड के सर्वाधिक सूखाग्रस्त इलाकों में शुमार है. यहां पानी न होने से फसलें बर्बाद हो जाती हैं. लहचूरा बांध से निकली नहर में दशकों से सूखी पड़ी है. जिसके चलते दर्जनों पंचायतों के गांव की बंजर भूमि पर हरियाली नहीं आ सकी है. इलाके के किसान नहर के पानी के लिए तरस रहे हैं. क्षेत्र में निजी व सरकारी नलकूपों की हालत भी खस्ताहाल है.
कई इलाकों में जमीन के अंदर पानी ही नहीं है. यहां के किसान बारिश पर निर्भर हैं. बारिश होती है तो किसानों के खेतों में फसल होती है अन्यथा खेत बंजर रह जाते हैं. क्षेत्र के किसान हर वर्ष सूखा का दंश झेलते हैं. इलाके की अधिकांश जमीन आज भी सिंचाई के बिना बंजर पड़ी रहती है.
बंजर जमीन पर हरियाली लाने के लिए अंग्रेजों के जमाने में लहचूरा बांध से राठ, सरीला, ममना, पुरैनी, जलालपुर, धौहल, बंगरा, छेड़ी बेनी सहित दर्जनों गांव में नहर परियोजना की नींव रखी गई थी. तब इलाके के किसानों ठीक ठाक पैदावार उठाते थे. खेतों को नहर का बराबर पानी मिलता था. इलाके के किसान खुशहाल थे. खेतों में हरियाली रहती थी, लेकिन पिछले कुछ दशकों से इलााके की नहर में पानी न आने से उनका अस्तित्व समाप्त होता जा रहा है.
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सिंचाई के लिए किसान भगवान भरोसे रहता है. इस बारे में क्षेत्र के किसानों ने अधिकारियों से लेकर जन प्रतिनिधियों तक अपनी बात पहुंचा चुके हैं, मगर निराकरण किसी का नहीं हुआ. इसलिए वे अब प्रत्याशियों को सबक सिखाने का मन बना चुके हैं.
स्थानीय किसान जय सिंह ने बताया कि इस नहर में पिछले 30 साल से पानी नहीं आया है. मगर शासन उनकी जमीन के अनुसार सींच वसूल करता है. ग्रामीणों का यह भी कहना है कि किसानों के लिए खाद, बीज पानी की घोषणाएं एकदम खोखी साबित हो रही हैं. पैसों की जुगाड़ कर खाद बीज तो ले लेते हैं, मगर नहर में पानी न आने से उनकी फसल भगवान भरोसे रहती है. नहर का दिन प्रतिदिन अस्तित्व समाप्त होता जा रहा है.
किसान नेता करन बरखेड़ा का कहना है कि अंग्रेजों के शासन में लहचूरा बांध से निकली नहर में हमेशा पानी आया, लेकिन तीस बर्ष में एक बूंद पानी नहीं आया. नहरों में पानी न आने से अब उनका अस्तित्व भी समाप्त होता जा रहा है. उनका कहना है कि वे इसका जवाब विधानसभा चुनाव में देंगे.
सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता अजय भारती का कहना है कि ममना जलालपुर और धौहल बुजुर्ग के टेल तक पानी पहुंचाया जाएगा. जिन लोगों ने नहर पर अतिक्रमण किया है, नहर को जोत लिया है. ऐसे लोंगो के खिलाफ मामला दर्ज कराया जाएगा. खेतों में सिंचाई के लिए पानी की डिमांड न होने के चलते नहर पर पानी नहीं छोड़ा गया है.
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