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हमीरपुर: अप्रैल में ही पानी का हाहाकार, मीलों चलकर हो रहा गला तर - बुंदेलखंड

अप्रैल माह में ही बुंदेलखंड के गांवों का हाल-बेहाल है. यहां हमीरपुर के पहरा गांव में मीलों का सफर तय करने पर ही पानी नसीब हो रहा है.

हैंडपंप धड़ाम, पानी के लिए भटक रहे इंसान.
पानी के लिए भटक रहे इंसान
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Published : Apr 18, 2020, 9:16 AM IST

हमीरपुर: गर्मी का तापमान चढ़ने पर पेयजल की समस्या यूं तो बुंदेलखंड के जिले हमीरपुर में आम बात है, लेकिन सरीला तहसील स्थित एक गांव में अपना गला तर करने के लिए लोगों को भारी मशक्कत करनी पड़ती है. भूमिगत जलस्तर गिर जाने से गांव के सभी हैंडपंप पूरी तरह से जवाब दे चुके हैं. जिस कारण समूचे गांव को अपनी प्यास बुझाने के लिए कई किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता है.

water crisis in hamirpur
पानी के लिए भटक रहे इंसान

हैंडपंप हो गए बेकार, पानी के लिए भटक रहे इंसान

सरीला तहसील के अंतर्गत आने वाले पहरा गांव में भूगर्भ जलस्तर गिर जाने से सभी हैंडपंप पूरी तरह से जवाब दे चुके हैं. इसके अलावा पथरीली जमीन होने के कारण नए हैंडपंप के लिए दूसरा बोर होना भी आसान नहीं है. वहीं कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए लॉक डाउन जारी है. लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए घरों में रहने के लिए अपील की जा रही है. वहीं पहरा गांव के लोग अपनी प्यास बुझाने के लिए कई किलोमीटर दूर से पानी लाने को मजबूर हैं.

मीलों चलकर नसीब हो रहा पानी

रोजाना सुबह का सूरज निकलने के साथ ही गांव की महिलाएं और पुरुष पानी जुटाने की जद्दोजहद में लग जाते हैं. गांव की रहने वाली कलावती बताती हैं कि पेयजल की जरूरत पूरी करने के लिए उन्हें बहुत दूर से पानी भर कर लाना पड़ता है. वहीं युवा विनय बताते हैं कि गांव में जब कोई मेहमान आता है तो उसे गांव वाले पानी की जगह दूध पिलाना ज्यादा मुनासिब समझते हैं क्योंकि यहां पानी भारी मशक्कत के बाद नसीब होता है.

भागीरथ पेयजल परियोजना पर लॉकडाउन का साया

बुंदेलखंड की पेयजल समस्या दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने भागीरथ पेयजल परियोजना हाल ही में शुरू की है, लेकिन कोरोना वायरस के चलते लागू लॉक डाउन से इस परियोजना में देरी होना तय है. फिलहाल ग्रामीणों को अपनी प्यास बुझाने के लिए मीलों का सफर तय करना ही पड़ेगा.

हमीरपुर: गर्मी का तापमान चढ़ने पर पेयजल की समस्या यूं तो बुंदेलखंड के जिले हमीरपुर में आम बात है, लेकिन सरीला तहसील स्थित एक गांव में अपना गला तर करने के लिए लोगों को भारी मशक्कत करनी पड़ती है. भूमिगत जलस्तर गिर जाने से गांव के सभी हैंडपंप पूरी तरह से जवाब दे चुके हैं. जिस कारण समूचे गांव को अपनी प्यास बुझाने के लिए कई किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता है.

water crisis in hamirpur
पानी के लिए भटक रहे इंसान

हैंडपंप हो गए बेकार, पानी के लिए भटक रहे इंसान

सरीला तहसील के अंतर्गत आने वाले पहरा गांव में भूगर्भ जलस्तर गिर जाने से सभी हैंडपंप पूरी तरह से जवाब दे चुके हैं. इसके अलावा पथरीली जमीन होने के कारण नए हैंडपंप के लिए दूसरा बोर होना भी आसान नहीं है. वहीं कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए लॉक डाउन जारी है. लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए घरों में रहने के लिए अपील की जा रही है. वहीं पहरा गांव के लोग अपनी प्यास बुझाने के लिए कई किलोमीटर दूर से पानी लाने को मजबूर हैं.

मीलों चलकर नसीब हो रहा पानी

रोजाना सुबह का सूरज निकलने के साथ ही गांव की महिलाएं और पुरुष पानी जुटाने की जद्दोजहद में लग जाते हैं. गांव की रहने वाली कलावती बताती हैं कि पेयजल की जरूरत पूरी करने के लिए उन्हें बहुत दूर से पानी भर कर लाना पड़ता है. वहीं युवा विनय बताते हैं कि गांव में जब कोई मेहमान आता है तो उसे गांव वाले पानी की जगह दूध पिलाना ज्यादा मुनासिब समझते हैं क्योंकि यहां पानी भारी मशक्कत के बाद नसीब होता है.

भागीरथ पेयजल परियोजना पर लॉकडाउन का साया

बुंदेलखंड की पेयजल समस्या दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने भागीरथ पेयजल परियोजना हाल ही में शुरू की है, लेकिन कोरोना वायरस के चलते लागू लॉक डाउन से इस परियोजना में देरी होना तय है. फिलहाल ग्रामीणों को अपनी प्यास बुझाने के लिए मीलों का सफर तय करना ही पड़ेगा.

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