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दीपावली-धनतेरस पर चांदी की मछली की पूजा का है खास महत्व, जानिए कहां होता है निर्माण

बुंदेलखंड में दीपावली और धनतेरस पर होने वाली पूजा में चांदी की मछली का विशेष महत्व होता है. हमीरपुर के मौदहा कस्बे में पूजा में उपयोग होने वाली चांदी की विशेष मछली बनाई जाती हैं. हिन्दू धर्म में मीन (मछली )को शुभ और समृद्धि का प्रतीक मना जाता है, जिसके चलते यह मछलियां घर-घर में खरीदी जाती हैं.

दिवाली और धनतेरस पर चांदी की मछली की पूजा होती है.
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Published : Oct 25, 2019, 1:28 PM IST

हमीरपुर: बुंदेलखंड में दीपावली और धनतेरस की पूजा में चांदी की मछली का विशेष महत्व है, जो हमीरपुर के मौदहा कस्बे में बनाई जाती हैं. दिवाली आते ही चांदी की मछली की मांग बढ़ जाती है. एकदम जिन्दा सी दिखने वाली इन चांदी की मछलियों के बिना बुंदेलखंड में दिवाली और धनतेरस पूजा अधूरी मानी जाती है.

दिवाली और धनतेरस पर की जाती है चांदी की मछली की पूजा.
इसे भी पढ़ें-दीवाली के पहले किसानों को सरकार का तोहफा, बढ़ाया रबी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य
चांदी की मछली की पूजा
चांदी की मछली के खरीदार बताते हैं कि बुंदेलखंड में दिवाली और धनतेरस की पूजा में चांदी की मछली के पूजन की प्राचीन परम्परा है. इस वजह से लगभग सभी लोग अपने हिसाब से इन्हें खरीदकर पूजन करते हैं. हिन्दू धर्म में मीन (मछली ) को शुभ और समृद्धि का प्रतीक मना जाता है, जिसके चलते यह मछलियां घर-घर में खरीदी जाती है.


जिंदा सी दिखने वाली चांदी की मछली
चांदी की मछली बनाने वाले कारीगर बताते हैं कि हिंदुस्तान में अकेले उनके परिवार के लोग ही पिछली कई पीढ़ियों से चांदी की मछलियां बनाते चले आ रहे हैं. एकदम जिंदा सी दिखने वाली चांदी की मछली जब उनके पुरखों द्वारा महारानी विक्टोरिया को भेंट की गई तो महारानी विक्टोरिया ने उनके बाबा को सम्मानित किया था.

परिवार का नाम आइना-ए-अकबरी पुस्तक में दर्ज
मछली की इसी कला के कारण कारीगर के परिवार का नाम आइना-ए-अकबरी पुस्तक में भी दर्ज है. 5 ग्राम से लेकर लगभग 2 किलो तक बनने वाली इन चांदी की मछलियों की दीपावली धनतेरस में पूजा का विशेष महत्व है. इसके अलावा त्योहारी सीजन पर उनके पास विदेशों से भी ऑर्डर आते हैं. दिवाली के मौके पर इसकी मांग खासी बढ़ जाती है. जिसकी आपूर्ति करने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ती है.

हमीरपुर: बुंदेलखंड में दीपावली और धनतेरस की पूजा में चांदी की मछली का विशेष महत्व है, जो हमीरपुर के मौदहा कस्बे में बनाई जाती हैं. दिवाली आते ही चांदी की मछली की मांग बढ़ जाती है. एकदम जिन्दा सी दिखने वाली इन चांदी की मछलियों के बिना बुंदेलखंड में दिवाली और धनतेरस पूजा अधूरी मानी जाती है.

दिवाली और धनतेरस पर की जाती है चांदी की मछली की पूजा.
इसे भी पढ़ें-दीवाली के पहले किसानों को सरकार का तोहफा, बढ़ाया रबी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य
चांदी की मछली की पूजा
चांदी की मछली के खरीदार बताते हैं कि बुंदेलखंड में दिवाली और धनतेरस की पूजा में चांदी की मछली के पूजन की प्राचीन परम्परा है. इस वजह से लगभग सभी लोग अपने हिसाब से इन्हें खरीदकर पूजन करते हैं. हिन्दू धर्म में मीन (मछली ) को शुभ और समृद्धि का प्रतीक मना जाता है, जिसके चलते यह मछलियां घर-घर में खरीदी जाती है.


जिंदा सी दिखने वाली चांदी की मछली
चांदी की मछली बनाने वाले कारीगर बताते हैं कि हिंदुस्तान में अकेले उनके परिवार के लोग ही पिछली कई पीढ़ियों से चांदी की मछलियां बनाते चले आ रहे हैं. एकदम जिंदा सी दिखने वाली चांदी की मछली जब उनके पुरखों द्वारा महारानी विक्टोरिया को भेंट की गई तो महारानी विक्टोरिया ने उनके बाबा को सम्मानित किया था.

परिवार का नाम आइना-ए-अकबरी पुस्तक में दर्ज
मछली की इसी कला के कारण कारीगर के परिवार का नाम आइना-ए-अकबरी पुस्तक में भी दर्ज है. 5 ग्राम से लेकर लगभग 2 किलो तक बनने वाली इन चांदी की मछलियों की दीपावली धनतेरस में पूजा का विशेष महत्व है. इसके अलावा त्योहारी सीजन पर उनके पास विदेशों से भी ऑर्डर आते हैं. दिवाली के मौके पर इसकी मांग खासी बढ़ जाती है. जिसकी आपूर्ति करने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ती है.

Intro:दिवाली व धनतेरस पर होती है चांदी की मछली की पूजा

हमीरपुर। बुंदेलखंड में दिवाली व धनतेरस की पूजा में चांदी की मछली का विशेष महत्व है, जो हमीरपुर के मौदहा कस्बे में बनाई जाती हैं। दिवाली आते ही चांदी की मछली की मांग बढ़ जाती है। एकदम जिन्दा सी दिखने वाली इन चांदी की मछलियों के बिना बुंदेलखंड में दिवाली और धनतेरस पूजा अधूरी मानी जाती है। नतीजतन घर-घर में चांदी की मछली खरीदी जाती हैं। 5 ग्राम से लेकर 2 किलो तक वजनी इन मछलियों को  लोग अपनी  जेब के हिसाब से खरीदते हैं। 



Body:चांदी की मछली के खरीददार लवलेश बताते हैं कि बुंदेलखंड में दिवाली व धनतेरस की पूजा में चांदी की मछली के पूजन की प्राचीन परम्परा होने की वजह से लगभग सभी लोग अपनी -अपनी जेब के हिसाब से इन्हें खरीद कर पूजन करते है। हिन्दू धर्म में मीन (मछली )को शुभ और समृद्धि का प्रतीक मन जाता है, जिसके चलते यह मछलियां घर-घर में खरीदी जाती है।
चांदी की मछली बनाने वाले कारीगर राजेंद्र सोनी बताते हैं कि हिंदुस्तान में अकेले उनके परिवार के लोग ही चांदी पिछली कई पीढ़ियों से की मछलियां बनाते चले आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि एकदम जिंदा सी दिखने वाली चांदी की मछली जब उनके पुरखों द्वारा महारानी विक्टोरिया को भेंट की गई तो महारानी विक्टोरिया ने उनके बाबा को सम्मानित किया था।


Conclusion:इतना ही नहीं मछली की इसी कला के कारण उनके परिवार का नाम आइना ए अकबरी पुस्तक में भी दर्ज है। वे बताते हैं कि 5 ग्राम से लेकर लगभग 2 किलो तक बनने वाली इन चांदी की मछलियों की दीपावली धनतेरस में पूजा का विशेष महत्व है। इसके अलावा त्योहारी सीजन पर उनके पास विदेशों से भी ऑर्डर आते हैं। दिवाली के मौके पर इसकी मांग खासी बढ़ जाती है जिसकी आपूर्ति करने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ती है।

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नोट :पहली बाइट मछली खरीददार लवलेश की है एवं दूसरी बाइट कारीगर राजेंद्र सोनी की।


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