गोरखपुरः आमतौर पर लोग यूटिलिटीज के पौधों को लकड़ी के प्रयोग के लिए जानते हैं. इसके पत्तियों से तेल निकालकर दवा बनती है. कम ही लोग जानते हैं कि इस पौधे के फूल से शहद भी बनता है. यह बाल व त्वचा के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद गोरखपुर का स्वाद देश के लोग चक रहे हैं. इसके साथ ही जिले के बबूल के फूलों से बने शहद का भी स्वाद लोगों को खूब भा रहा है. यह शहद ब्लड को साफ करने में काफी कारगर है.
साल 2015 से शुरू किया था कारोबार
महानगर के युवा इंजीनियर निमित कुमार सिंह ने इंजीनियर की पढ़ाई करने के बाद शहद के कारोबार में हाथ आजमाया. अपनी इंजीनियरी मेधा का प्रयोग निमित ने कारोबार में किया. निमित ने गैर परंपरागत फूलों की शहद का निर्माण और व्यापार शुरू किया. वर्ष 2015 में महज 60 बॉक्सों के साथ कारोबार शुरू किया. अब यह कारोबार प्रदेश भर में फल-फूल रहा है. विभिन्न किसानों को निमित शहद की खेती के साथ जोड़कर बड़ी मात्रा में विभिन्न प्रकार के शहदों का उत्पादन कर रहे हैं.
मीठे नीम का शहद सबसे महंगा
निमित जामुन, धनिया, मीठी नीम, तुलसी, सरसो, मल्टी फ्लॉवर, लिप्ट्स, अजवाइन, लीची, बबूल (रोजवुड) आदि शहद की फार्मिंग करते हैं. इन सभी शहदो के अपने-अपने विभिन्न औषधीय गुण भी हैं. मीठे नीम का शहद सबसे महंगा लगभग 12 सौ रुपए किलो तो सरसों का शहद ढाई सौ रुपए किलो बेचा जाता है. जामुन में शहद के सेवन करने से डायबिटीज कम होता है. मीठी नीम में शहद के सेवन से सभी प्रकार की बीमारियों में लाभप्रद होता है.
तुलसी बढ़ाता इम्यूनिटी सिस्टम
तुलसी का शहद इम्यूनिटी सिस्टम को बढ़ाता है. सरसों का शहर नेचुरल डाइजेस्टिव बूस्टर के रूप में काम करता है. यूकेलिप्टस के फूलों का शहर ज्वाइंट पेन, सांस लेने में दिक्कत की समस्या और इम्यूनिटी सिस्टम आदि को सही करता है. इसका सेवन बच्चे और बड़े सभी के लिए है. अजवाइन का शहद पेट के विभिन्न रोगों के लिए कारगर होता है. धनिया का शहद ब्लड सरकुलेशन को दुरुस्त करता है. लीची का शहद एंटीऑक्सीडेंट प्रॉपर्टी के लिए काफी कारगर है. बबूल का शहद ब्लड प्योरिफिकेशन के काम आता है.
मैकेनिकल से की इंजीनियरिंग
आर्मी पब्लिक स्कूल से पढ़ाई करने के बाद निमित कुमार सिंह ने मैकेनिकल की पढ़ाई करने के दौरान ही कम पैसे में स्वयं का रोजगार शुरू करने की योजना बनाई. शुरुआत के बाद रोजगार से जनपद के कई किसानों को जोड़ते हुए इसे प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर ले जाकर किसानों के बीच रोजगार के फायदे और नुकसान के बारे में बताया.
बड़ी संख्या में जुड़ें किसान
निमित ने बताया कि किसान इस रोजगार के माध्यम से आत्मनिर्भर व स्वावलंबी बन रहे हैं. उन्होंने कहा कि विभिन्न मौसमो में विभिन्न जंगलो, बागों और पहाड़ी क्षेत्रों में जाकर शहद की फार्मिंग के लिए बॉक्स लगाते हैं. कड़े परिश्रम के साथ वह लगातार इसकी देखरेख करते रहते हैं, साथ ही जब शहद बनने की प्रक्रिया पूरी हो जाती है. तब वह बॉक्स को एकत्रित कर फार्म हाउस पर लाकर उसे प्रोसेस कर बाजार में उतारते हैं. इनके शहद में किसी भी प्रकार का कोई भी मिलावट नहीं किया जाता है. जिसका यह प्रमाण भी दिखाते हैं.
शहद निकालने की प्रक्रिया हाथों से की जाती है, जिससे शहद की शुद्धता और गुणवत्ता बनी रहे. विभिन्न मौसमों के हिसाब से वह लगातार शहद की नई-नई वैरायटी को बाजार में लाकर लोगों को सेहत के औषधि गुण के बारे में बताते हैं.
निमित कुमार सिंह, मधुमक्खी पालक
हर वर्ष वह मेले में आकर विभिन्न प्रकार के शहदों की खरीदारी करते हैं. इस बार वह यूकेलिप्टस का शहद खरीद कर ले जा रहे हैं. इसके औषधीय गुण के बारे में उन्होंने नेट के माध्यम से पढ़ा है. इसकी खोज वह काफी दिनों से कर रहे थे. गोरखपुर आकर उन्हें मेले में निमित के स्टॉल पर यूकेलिप्टस का शहद मिला है. इसे खरीद कर वह काफी खुश हैं.
सत्यम सिंह, खरीदार