गोरखपुर: शहर के होनहार और फोटोग्राफी में डिग्रीधारी युवा फोटोग्राफी का शौक रखने वालों के लिए मार्गदर्शक और शिक्षकों की भूमिका निभा रहे हैं. माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय हो या फिर गोरखपुर विश्वविद्यालय, इंस्टीट्यूट ऑफ फोटोग्राफी ऐसी जगहों से प्रशिक्षण लेकर पत्रकारिता, फिल्म और वाइल्ड फोटोग्राफी में अपनी पहचान बना रहे संगम दुबे, सुशील राय, अभिनव चतुर्वेदी, प्रांजल समेत आधा दर्जन से अधिक फोटोग्राफरों का क्लिकर्स समूह, युवाओं को फोटोग्राफी की बारीकियों को समझाने के साथ, उन्हे हुनरमंद बना रहे हैं. बेस्ट फोटोग्राफी के लिए पुरस्कृत कर हौसला भी बढ़ाते हैं। यही नहीं फोटोग्राफी के इनके कौशल की विश्व फोटोग्राफी दिवस पर एक प्रदर्शनी भी लगाई जाती है, जिसे देखने के लिए शहर के गणमान्य लोगों में सांसद, विधायक समेत स्कूली बच्चे भी शामिल होते हैं और इससे प्रेरणा लेते हैं.
लगभग एक दशक से फोटो पत्रकार, वाइल्ड फोटोग्राफी में अपना मुकाम बना चुके संगम दुबे कहते हैं कि आज के दौर में जब सबके हाथ में मोबाइल है तो हर कोई फोटोग्राफर बन गया है. उसका यह शौक पूरा हो रहा है. लेकिन, फोटोग्राफी वह हो जो समय के साथ समाज पर अपनी छाप भी छोड़ने में कामयाब हो. यह तभी संभव है जब उसकी बारीकियों और तकनीक को समझते हुए फोटोग्राफी की जाए. उन्होंने कहा कि इसके इच्छुक लोगों को उनकी टीम अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए आमंत्रित करती है. लोग जुड़ते जाते हैं और कारवां बनता जाता है, जिससे फोटोग्राफी के हुनरबंद तैयार करने में आसानी होती है और खुशी भी मिलती है.
बिना शुल्क लोगों को प्रशिक्षण दिया जाता है. जब उनकी प्रदर्शनी में लोगों की भीड़ उमड़ती है और फोटो को तारीफ मिलती है तो प्रयास सफल दिखता है. जिनकी फोटो बेस्ट होती है वह पुरस्कृत किए जाते हैं. उन्होंने बताया कि इस बार की फोटोग्राफी प्रदर्शनी को खासतौर से भोजपुरी फिल्मों के स्टार और सांसद रवि किशन शुक्ला, विधायक प्रदीप शुक्ला भी देखने के लिए आए. उन्होंने युवा फोटोग्राफरों का हौसला बढ़ाया. इस फोटो प्रदर्शनी में कुछ स्कूली बच्चे भी शामिल हुए. जो अपने जैसे बच्चों के फोटो प्रदर्शनी को देखें तो उन्होंने कहा कि जब कल्पना साकार होती है तो बहुत ज्यादा खुशी मिलती है. फोटोग्राफी में वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी बहुत आकर्षक लगती है. प्रोफेसर कुमार हर्ष ने भी इसकी बेहद सराहना की.
क्यों मनाया जाता है विश्व फोटोग्राफी दिवस: संगम दुबे ने कहा कि विश्व फोटोग्राफी दिवस यानी की 19 अगस्त को दुनिया को पहली स्थाई फोटोग्राफी छवि की सौगात मिली थी. यह दिन केवल उन चुने हुए पेशेवर फोटोग्राफरों के लिए ही नहीं बल्कि, सभी के लिए है चाहे वह किसी भी व्यवसाय से जुड़े हुए हों. सही मायनों में कहे तो विश्व फोटोग्राफी दिवस ही वह दिन है जब हम तस्वीरों के माध्यम से अपनी भावनाओं को व्यक्त और साझा करते हैं. फोटो खींचना और सोशल मीडिया पर उसे अपलोड करने की दौड़ में फोटोग्राफी के हुनरमंद को लोग भूल गए हैं. फोटोग्राफी किसी की भावनाओं और व्यक्तिगत अभिव्यक्ति को व्यक्त करने का एक बड़ा माध्यम है. फोटोग्राफी की शुरुआत फ्रांस से मानी जाती है जो वर्ष 1839में हुई.
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