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World No Tobacco Day 2022: विश्व तंबाकू निषेध दिवस आज, जानें कैसे ये सेहत के साथ वातावरण को करता है खराब

आज 31 मई को विश्‍व तंबाकू निषेध दिवस (World No Tobacco Day) मनाया जा रहा है. इसे मनाने का उद्देश्य तंबाकू के खतरों और स्वास्थ्य पर इसके नकारात्मक प्रभावों के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना है. इतना ही नहीं इसके साथ-साथ निकोटीन व्‍यावसाय और तंबाकू के सेवन से होने वाली बीमारियों और मौतों को कम करना भी है.

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Published : May 31, 2022, 10:00 AM IST

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World No Tobacco Day

गोरखपुर: आज 31 मई को दुनिया भर में "विश्व तंबाकू निषेध दिवस" ((World No Tobacco Day) के रूप में मनाया जा रहा है. इस दिन तंबाकू के खतरों और स्वास्थ्य पर इसके नकारात्मक प्रभावों के प्रति लोगों में जागरूक किया जाता है. मानव जीवन में कैंसर जैसी बीमारी की ताबाही लाने में तंबाकू की भूमिका 90 फीसदी मानी जाती है. हम सभी को पता है कि तंबाकू का सेवन हमारे स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक है, फिर भी लोग तंबाकू का सेवन नहीं छोड़ रहे हैं.

विश्व तंबाकू निषेध दिवस का महत्‍व: मौजूदा आंकड़ों के अनुसार तंबाकू सेहत के साथ अब पर्यावरण को भी बड़ा नुकसान पहुंचा रहा है. प्रतिवर्ष इसकी वजह से करीब 60 करोड़ पेड़ों को अपनी बलि देनी पड़ती है, जो वातावरण के लिए बिलकुल भी ठीक नहीं है. दुनिया जहां इसको लेकर चिंता और निवारण में जुटी हैं. वहीं, गोरखपुर का अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भी इसके निवारण के लिए जागरूकता और उपायों पर समाज के बीच अपनी उपस्थिति को बढ़ाने में जुटा है. आंकड़ों की बात करें तो भारत में लगभग 28 करोड़ वयस्क जिनकी उम्र 15 वर्ष से अधिक है. वह तंबाकू के उपयोगकर्ता हैं. अपने देश में सबसे ज्यादा धुआं रहित तंबाकू के उत्पादों में जैसे खैनी, तंबाकू के साथ पान, सुपारी और जर्दा का उपयोग आज सबसे ज्यादा होता है.

विश्व तंबाकू निषेध दिवस की जानकारी देते हुए संवाददाता

धुआं गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए खतरनाक: गोरखपुर एम्स की कार्यकारी निदेशक (Executive Director of Gorakhpur AIIMS) डॉ. सुरेखा किशोर ने ईटीवी भारत की टीम से खास बातचीत की. उन्होंने इस बड़ी समस्या के संबंध में बताया कि बीड़ी, सिगरेट, हुक्का का सेवन करने वालों द्वारा छोड़ा गया धुआं खासतौर पर गर्भवती महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है. वहीं, हाल के आंकड़े बताते हैं कि युवा बहुत कम उम्र में तंबाकू का सेवन करना शुरू कर देते हैं. इसमें अधिकांश की उम्र 10 साल की होती है. इसके जरूरी है कि तंबाकू के विज्ञापन और प्रचार पर भी व्यापक प्रतिबंध लगा दिया जाए. उन्होंने फुटकर में बीड़ी, सिगरेट आदि की बिक्री पर भी प्रतिबंध पर अपनी सहमति जताई है. इसके साथ ही 60 करोड़ पेड़ों को भी बचाने के लिए तंबाकू के प्रयोग को कम करने की जरूरत है. जो इसके उत्पादन के लिए काटे जाते हैं. उन्होंने आगे कहा कि आंकड़े तीन स्टेज पर किए गए सर्वे के आधार पर निकले हैं. यूपी में तंबाकू के लती लोग देश में सबसे ज्यादा हैं.

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गोरखपुर एम्स की कार्यकारी निदेशक डॉ. सुरेखा किशोर

चबाकर खाने वाले तंबाकू सर्वाधिक हानिकारक: एम्स की नाक, कान और गला ( ENT specialist) डॉ. पंखुड़ी मित्तल ने कहा कि धुएं से ज्यादा चबाकर खाने वाले तंबाकू लोगों की सेहत को नुकसान पहुंचा रहे हैं. तंबाकू का जो हिस्सा मनुष्य के शरीर में प्रवेश करता है. वह रक्त के माध्यम से शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंचता है. इससे लीवर, किडनी, पेनक्रियाज समेत कई तरह के कैंसर होने का खतरा बना रहता है. इसकी रोकथाम भी जरूरी है. क्योंकि 80 प्रतिशत मिडिल क्लास के लोग इस बीमारी की चपेट में देखे जा रहे हैं. आंकड़े बताते हैं कि करीब 1.2% लोग बिना धूम्रपान किए ही इसके संपर्क में आकर मौत को गले लगा रहे हैं. भारत की 21 प्रतिशत आबादी धुआं रहित तंबाकू का सेवन कर रही है, जो जानलेवा है.

यह भी पढ़ें: ज्ञानवापी हिंदू आस्था का प्रतीक, वह हिंदुओं का मंदिर है और रहेगा: किन्नर अखाड़ा

विश्व तंबाकू निषेध दिवस का इतिहास: विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) द्वारा 1987 में एक प्रस्ताव पारित किया गया था. जिसे 7 अप्रैल, 1988 को 'विश्व धूम्रपान निषेध दिवस' के रूप में लागू किया गया है. इस अधिनियम के तहत लोगों को कम से कम 24 घंटे तक तंबाकू का उपयोग करने से रोकना था. लेकिन बाद में इसे 31 मई से विश्व तंबाकू निषेध दिवस के रूप में मनाया जाने लगा. वर्ष 2008 में WHO ने तंबाकू से संबंधित किसी भी विज्ञापन या प्रचार पर भी प्रतिबंध लगा दिया. इसका मकसद था कि विज्ञापन देख युवा को धूम्रपान करने के लिए आकर्षित न हों.



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गोरखपुर: आज 31 मई को दुनिया भर में "विश्व तंबाकू निषेध दिवस" ((World No Tobacco Day) के रूप में मनाया जा रहा है. इस दिन तंबाकू के खतरों और स्वास्थ्य पर इसके नकारात्मक प्रभावों के प्रति लोगों में जागरूक किया जाता है. मानव जीवन में कैंसर जैसी बीमारी की ताबाही लाने में तंबाकू की भूमिका 90 फीसदी मानी जाती है. हम सभी को पता है कि तंबाकू का सेवन हमारे स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक है, फिर भी लोग तंबाकू का सेवन नहीं छोड़ रहे हैं.

विश्व तंबाकू निषेध दिवस का महत्‍व: मौजूदा आंकड़ों के अनुसार तंबाकू सेहत के साथ अब पर्यावरण को भी बड़ा नुकसान पहुंचा रहा है. प्रतिवर्ष इसकी वजह से करीब 60 करोड़ पेड़ों को अपनी बलि देनी पड़ती है, जो वातावरण के लिए बिलकुल भी ठीक नहीं है. दुनिया जहां इसको लेकर चिंता और निवारण में जुटी हैं. वहीं, गोरखपुर का अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भी इसके निवारण के लिए जागरूकता और उपायों पर समाज के बीच अपनी उपस्थिति को बढ़ाने में जुटा है. आंकड़ों की बात करें तो भारत में लगभग 28 करोड़ वयस्क जिनकी उम्र 15 वर्ष से अधिक है. वह तंबाकू के उपयोगकर्ता हैं. अपने देश में सबसे ज्यादा धुआं रहित तंबाकू के उत्पादों में जैसे खैनी, तंबाकू के साथ पान, सुपारी और जर्दा का उपयोग आज सबसे ज्यादा होता है.

विश्व तंबाकू निषेध दिवस की जानकारी देते हुए संवाददाता

धुआं गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए खतरनाक: गोरखपुर एम्स की कार्यकारी निदेशक (Executive Director of Gorakhpur AIIMS) डॉ. सुरेखा किशोर ने ईटीवी भारत की टीम से खास बातचीत की. उन्होंने इस बड़ी समस्या के संबंध में बताया कि बीड़ी, सिगरेट, हुक्का का सेवन करने वालों द्वारा छोड़ा गया धुआं खासतौर पर गर्भवती महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है. वहीं, हाल के आंकड़े बताते हैं कि युवा बहुत कम उम्र में तंबाकू का सेवन करना शुरू कर देते हैं. इसमें अधिकांश की उम्र 10 साल की होती है. इसके जरूरी है कि तंबाकू के विज्ञापन और प्रचार पर भी व्यापक प्रतिबंध लगा दिया जाए. उन्होंने फुटकर में बीड़ी, सिगरेट आदि की बिक्री पर भी प्रतिबंध पर अपनी सहमति जताई है. इसके साथ ही 60 करोड़ पेड़ों को भी बचाने के लिए तंबाकू के प्रयोग को कम करने की जरूरत है. जो इसके उत्पादन के लिए काटे जाते हैं. उन्होंने आगे कहा कि आंकड़े तीन स्टेज पर किए गए सर्वे के आधार पर निकले हैं. यूपी में तंबाकू के लती लोग देश में सबसे ज्यादा हैं.

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गोरखपुर एम्स की कार्यकारी निदेशक डॉ. सुरेखा किशोर

चबाकर खाने वाले तंबाकू सर्वाधिक हानिकारक: एम्स की नाक, कान और गला ( ENT specialist) डॉ. पंखुड़ी मित्तल ने कहा कि धुएं से ज्यादा चबाकर खाने वाले तंबाकू लोगों की सेहत को नुकसान पहुंचा रहे हैं. तंबाकू का जो हिस्सा मनुष्य के शरीर में प्रवेश करता है. वह रक्त के माध्यम से शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंचता है. इससे लीवर, किडनी, पेनक्रियाज समेत कई तरह के कैंसर होने का खतरा बना रहता है. इसकी रोकथाम भी जरूरी है. क्योंकि 80 प्रतिशत मिडिल क्लास के लोग इस बीमारी की चपेट में देखे जा रहे हैं. आंकड़े बताते हैं कि करीब 1.2% लोग बिना धूम्रपान किए ही इसके संपर्क में आकर मौत को गले लगा रहे हैं. भारत की 21 प्रतिशत आबादी धुआं रहित तंबाकू का सेवन कर रही है, जो जानलेवा है.

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विश्व तंबाकू निषेध दिवस का इतिहास: विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) द्वारा 1987 में एक प्रस्ताव पारित किया गया था. जिसे 7 अप्रैल, 1988 को 'विश्व धूम्रपान निषेध दिवस' के रूप में लागू किया गया है. इस अधिनियम के तहत लोगों को कम से कम 24 घंटे तक तंबाकू का उपयोग करने से रोकना था. लेकिन बाद में इसे 31 मई से विश्व तंबाकू निषेध दिवस के रूप में मनाया जाने लगा. वर्ष 2008 में WHO ने तंबाकू से संबंधित किसी भी विज्ञापन या प्रचार पर भी प्रतिबंध लगा दिया. इसका मकसद था कि विज्ञापन देख युवा को धूम्रपान करने के लिए आकर्षित न हों.



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