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गोरखपुर: शौचालय विहीन है दस्तकारों का वर्कशॉप, स्वच्छता मिशन को दे रहा झटका

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह वर्कशॉप पर लगभग 80 लोग काम करते हैं, जो खुले में शौच करने के लिए मजबूर हैं. यहां का गांव ओडीएफ घोषित है, लेकिन यहां एक भी शौचालय का निर्माण नहीं हुआ है. यहां के मजदूरों को खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है, जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं.

शौचालय विहीन दस्तकारों का वर्कशॉप.
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Published : Oct 15, 2019, 6:46 PM IST

Updated : Oct 15, 2019, 7:28 PM IST

गोरखपुरः जनपद में टेराकोटा दस्तकारों का वर्कशॉप सेन्टर सर्वजनिक शौचालय के लिए मोहताज है. यह स्थिति तब है जब औरंगाबाद गांव 2008 में, जनपद 2018 में ओडीएफ घोषित हो चुका है. यहां महिला और पुरुषों को शौच के लिए खुले में जाना पड़ता है, जो स्वच्छ भारत मिशन को तगड़ा झटका दे रहा है. जिम्मेदार ग्राम पंचायत खाता बन्द होने की बात कहकर अपने को साफ-सुथरा बताने में लगे हैं.

महिला-पूरुष दर्जनों दस्तकार मजदूर करते हैं काम
सरकारी अनुदान से लाखों रुपयों के खर्च से वर्कशॉप सेन्टर निर्मित हुआ है, लेकिन एक शौचालय का निर्माण नहीं कराया गया है. टेराकोटा औरंगाबाद के कुम्हारों का जीविकोपार्जन का मुख्य श्रोत मिट्टी को आकार देना है. कलाकृतियों को बाजार में बेंच उनके परिवार का खर्च चलता है. लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह वर्कशॉप पर लगभग 80 लोग काम करते हैं, जिसमें अधिकांश बाहरी महिला मजदूर और कारीगर शामिल हैं.

वर्कशॉप में काम करने वालों ने बतायी अपनी समस्या.

राम कली देवी, गुलाब चन्द्र प्रजापति, जयप्रकाश, तारा देवी, सरस्वती देवी, शान्ति देवी, आदि दस्तकारों ने ईटीवी भारत से बताया कि काम करते समय शौच की आवश्यकता पड़ती है, शौचालय न होने पर परेशानियों का सामना करना पड़ता है. शौच के लिए हम लोगों को वर्कशॉप से दूर घर या खुले में शौच जाना पड़ता है. घर आने-जाने में काफी समय लगता है, जिसके कारण काम में रुकावट पैदा होती है.

देश-विदेश से आते हैं खरीदार
ईटीवी भारत से खास बातचीत में लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह के अध्यक्ष लक्ष्मी चन्द्र प्रजापति बताते हैं कि हमारा गांव 2007-2008 में पूर्ण रूप से ओडीएफ घोषित हो चुका है. तत्कालीन प्रधान गुलाब चन्द्र प्रजापति को तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा सम्मानित किया जा चुका है, लेकिन हमारे वर्कशॉप पर एक भी शौचालय नहीं बना है. यहां पर देश-विदेश और बाहर से खरीदार आते-जाते रहे हैं, जो 15-15 दिन तक ठहरते हैं.

प्रधानपति ने कहा- बनवा दिया जाएगा शौचालय
खरीदारों के लिए भी शौचालय की कोई व्यस्था नहीं है. यहां पर महिलाएं और पूरुष मजदूर भी काम करते है, उनके सामने भी शौचालय का संकट बना रहता है. इसके संदर्भ में जब ग्राम प्रधानपति से बात की गई तो उन्होंने बताया कि हमारा गांव 15 अगस्त 2016 में ओडीएफ घोषित हो चुका है. टेराकोटा वर्कशॉप पर शौचालय बनाने के लिए बात किए थे, लेकिन 2017 से हमारे वहां 14वें वित्त पर रोक लगा है, जिसकी वजह से शौचालय बनाने में दिक्कत आई है. खाता जैसे ही चालू होगा, शौचालय बनवा दिया जाएगा.

डीपीआरओ ने कहा- एडीओ बनवा देंगे शौचालय
इस संबंध में डीपीआरओ हिमांशु शेखर ठाकुर से फोन पर बात की गई तो उन्होंने बताया कि ऐसे जगहों पर शौचालय बनवाने के लिए अलग से प्रावधान नहीं है. जो ग्राम प्राधान है उसी को 14वें वित्त से शौचालय बनवाना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि खाता तो सबका खुला हुआ है. अब जो भी पेमेंट होगा डोंगर से होगा. हो सकता है उनका डोंगर न बना हो, उसे पता करा लेते हैं. डोंगर नहीं बना होगा तो दो तीन दिन में बन जायेगा. मेरे पास एडीओ पंचायत भटहट बैठे हुए हैं, उनसे कह देता हूं शौचालय बनवा देंगे.

गोरखपुरः जनपद में टेराकोटा दस्तकारों का वर्कशॉप सेन्टर सर्वजनिक शौचालय के लिए मोहताज है. यह स्थिति तब है जब औरंगाबाद गांव 2008 में, जनपद 2018 में ओडीएफ घोषित हो चुका है. यहां महिला और पुरुषों को शौच के लिए खुले में जाना पड़ता है, जो स्वच्छ भारत मिशन को तगड़ा झटका दे रहा है. जिम्मेदार ग्राम पंचायत खाता बन्द होने की बात कहकर अपने को साफ-सुथरा बताने में लगे हैं.

महिला-पूरुष दर्जनों दस्तकार मजदूर करते हैं काम
सरकारी अनुदान से लाखों रुपयों के खर्च से वर्कशॉप सेन्टर निर्मित हुआ है, लेकिन एक शौचालय का निर्माण नहीं कराया गया है. टेराकोटा औरंगाबाद के कुम्हारों का जीविकोपार्जन का मुख्य श्रोत मिट्टी को आकार देना है. कलाकृतियों को बाजार में बेंच उनके परिवार का खर्च चलता है. लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह वर्कशॉप पर लगभग 80 लोग काम करते हैं, जिसमें अधिकांश बाहरी महिला मजदूर और कारीगर शामिल हैं.

वर्कशॉप में काम करने वालों ने बतायी अपनी समस्या.

राम कली देवी, गुलाब चन्द्र प्रजापति, जयप्रकाश, तारा देवी, सरस्वती देवी, शान्ति देवी, आदि दस्तकारों ने ईटीवी भारत से बताया कि काम करते समय शौच की आवश्यकता पड़ती है, शौचालय न होने पर परेशानियों का सामना करना पड़ता है. शौच के लिए हम लोगों को वर्कशॉप से दूर घर या खुले में शौच जाना पड़ता है. घर आने-जाने में काफी समय लगता है, जिसके कारण काम में रुकावट पैदा होती है.

देश-विदेश से आते हैं खरीदार
ईटीवी भारत से खास बातचीत में लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह के अध्यक्ष लक्ष्मी चन्द्र प्रजापति बताते हैं कि हमारा गांव 2007-2008 में पूर्ण रूप से ओडीएफ घोषित हो चुका है. तत्कालीन प्रधान गुलाब चन्द्र प्रजापति को तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा सम्मानित किया जा चुका है, लेकिन हमारे वर्कशॉप पर एक भी शौचालय नहीं बना है. यहां पर देश-विदेश और बाहर से खरीदार आते-जाते रहे हैं, जो 15-15 दिन तक ठहरते हैं.

प्रधानपति ने कहा- बनवा दिया जाएगा शौचालय
खरीदारों के लिए भी शौचालय की कोई व्यस्था नहीं है. यहां पर महिलाएं और पूरुष मजदूर भी काम करते है, उनके सामने भी शौचालय का संकट बना रहता है. इसके संदर्भ में जब ग्राम प्रधानपति से बात की गई तो उन्होंने बताया कि हमारा गांव 15 अगस्त 2016 में ओडीएफ घोषित हो चुका है. टेराकोटा वर्कशॉप पर शौचालय बनाने के लिए बात किए थे, लेकिन 2017 से हमारे वहां 14वें वित्त पर रोक लगा है, जिसकी वजह से शौचालय बनाने में दिक्कत आई है. खाता जैसे ही चालू होगा, शौचालय बनवा दिया जाएगा.

डीपीआरओ ने कहा- एडीओ बनवा देंगे शौचालय
इस संबंध में डीपीआरओ हिमांशु शेखर ठाकुर से फोन पर बात की गई तो उन्होंने बताया कि ऐसे जगहों पर शौचालय बनवाने के लिए अलग से प्रावधान नहीं है. जो ग्राम प्राधान है उसी को 14वें वित्त से शौचालय बनवाना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि खाता तो सबका खुला हुआ है. अब जो भी पेमेंट होगा डोंगर से होगा. हो सकता है उनका डोंगर न बना हो, उसे पता करा लेते हैं. डोंगर नहीं बना होगा तो दो तीन दिन में बन जायेगा. मेरे पास एडीओ पंचायत भटहट बैठे हुए हैं, उनसे कह देता हूं शौचालय बनवा देंगे.

Intro:गोरखपुर के टेराकोटा औरंगाबाद विश्व विख्यात है. वहां पर लाखों रुपया खर्च कर टेराकोटा का वर्कशॉप निर्मित है लेकिन एक भी शौचालय का निर्माण नही हुआ है. देश प्रदेश जाने वाले खरीदारों के अलावा वहां के कारीगरों तथा मजदूरों को शौच के लिए खुले में जाना मजबूरी है. जो ओडीएफ को तगड़ा झटका दे रहा है. ईटीवी भारत से हस्तशिल्पियो बताया परेशानी.

पिपराइच गोरखपुरः सात समुद्र पार देश का नाम रोशन करने वाला दस्तकारों का वर्कशॉप सेन्टर सर्वजनिक शौचालय के लिए मुहताज है. यह स्थिति तब है जबकि औरंगाबाद गांव 2008 में, जनपद 2018 में, और देश 2 अक्तूबर 2019 में ओडीएफ घोषित हो चुका है. वहां महिला तथा पुरुष कारीगर व मजदूरों को शौच के लिए खुले में जाना पड़ता है. जो स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) को तगड़ा झटका दे रहा है. वही जिम्मेदार ग्राम पंचायत का खाता बन्द होने की बात कहकर कर अपने को साफसुथरा बताने में लगे है. सरकारी अनुदान से लाखों रुपया खर्च से वहां वर्कशॉप सेन्टर निर्मित है. लेकिन एक अदद शौचालय का निर्माण नही कराया गया है.
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$महिला पूरुष दर्जनों दस्तकार मजदूर करते है काम$

टेराकोटा औरंगाबाद के कुम्हारों का जीविकोपार्जन का मुख्य श्रोत मिट्टी को आकार देना है. कलाकृतियों को बाजार में बेच उनके परिवार का खर्च चलता है. लक्ष्मी स्वयं सहाता समूह वर्कशॉप पर लगभग 80 लोग काम करते है जिसमें अधिकांस बाहरी महिला मजदूर तथा कारीगर शामिल है. राम कली देबी, गुलाब चन्द्र प्रजापति, जयप्रकाश, तारा देबी, सरस्वती देबी, शान्ति देबी, अनार कली, अर्जुन, सरिता देबी, हीरा, आरती देबी, राम मूरत, आदि दस्तकारों ईटीवी भारत से बताया काम करते समय शौच की आवशयक पड़ती है तो शौचालय न होने पर संकट खड़ा हो जाता है. शौच के लिए हम लोगों को वर्कशॉप से दूर घर या खुले में शौच जाना पड़ता है, बड़ी झिझक महशूस होती है जब खुले में शौच जाना पड़ता है. घर आने जाने में काफि समय लगता है जिसके कारण काम में रुकावट पैदा होती है. शौच के लिए घर जाने से लोग कतराते है और खुले में जाने को मजबूर रहते है.

देश विदेश से वहां जाते है खरीदार
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ईटीवी भारत से खास बातचीत में लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह के अध्यक्ष लक्ष्मी चन्द्र प्रजापति बताते है कि हमारा गांव 2007-8 में पूर्ण रुप से ओडीएफ घोषित हो चुका है. जिसके लिए तत्कालीन प्रधान गुलाब चन्द्र प्रजापति को तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा सम्मानित किया जा चुका है. लेकिन हमारे वर्कशॉप पर एक भी शौचालय नही बना है यहां पर देश विदेश और बाहर से खरीदार आते जाते रहे है जो 15-15 दिन तक ठहरते है. उनके लिए भी शौचालय की कोई व्यस्था नही है. यहां पर महिलाएं तथा पूरुष मजदूर भी काम करते है उनके सामने भी शौचालय का संकट बना रहता है.
बाइट-सरिता प्रजापति (महिला हस्तशिल्पी)
बाइट-अनारकली (महिला हस्तशिल्पी)
बाइट-तारा देबी (महिला हस्तशिल्पी)
बाइट- लक्ष्मी चन्द्र प्रजापति(स्वयं सहायता समूह अध्यक्ष)Conclusion:क्या कहते है जिम्मेदार
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इसके संदर्भ में जब ग्राम प्रधानपति से बात की गई तो उन्होंने बताया कि हमारा गांव 15 अगस्त 2016 में ओडीएफ घोषित हो चुका है. टेराकोटा वर्कशॉप पर शौचालय बनाने के लिए बात किए थे लेकिन 2017 से हमारे वहां 14वें वित्त पर रोक लगा है जिसके वजह से वहां शौचालय बनाने में दिक्कत आई है. खाता जैसे ही चालू होगा बनवा दिया जायेगा.
बाइट प्रधानपति

इस संबंध में डीपीआरओ हिमांशु शेखर ठाकुर से फोन पर बात की गई तो उन्होंने बताया कि ऐसे जगहों पर शौचालय बनवाने के लिए अलग से प्रावधान नही है. जो ग्राम प्राधान है उसी को 14 वें वित्त से बनवाना पड़ेगा। एक प्रश्न का उन्होंने उत्तर दिया, खाता तो सबका खुला हुआ है। अब जो भी पेमेंट होगा डोंगर से होगा. होसकता है उनका डोंगर न बना हो अभी पता करा लेते है. नही बना होगा तो दो तीन दिन में बन जायेगा. मेरे पास एडीओ पंचायत भटहट बैठे हुए है उनसे कह देता हूं शौचालय बनवा देंगे.


रफिउल्लाह अन्सारी-8318103822-
Etv भारत पिपराइच गोरखपुर

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Last Updated : Oct 15, 2019, 7:28 PM IST
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