गोरखपुर: कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच महंगाई भी आसमान छूने लगी है. डोली उठने से लेकर अर्थी सजाने तक लगने वाले सामानों के मूल्य में इजाफा हो गया है. कोरोना काल में चिता पर लगने वाली लकड़ी की कीमतें भी बढ़ गई हैं. यूपी के गोरखपुर में एक चिता को जलाने के लिए लगने वाली लकड़ी की कीमत 3000 से 5000 तक है, जबकि घाट पर अंतिम संस्कार कराने की सरकारी कीमत 1500 और 1800 रुपए निर्धारित की गई हैं.
30 से 40 फीसदी तक हुई वृद्धि
घाट पर पिछले साल तक लकड़ी की कीमत 600 रुपए से 750 रुपये प्रति कुंतल थी. जबकि मौजूदा समय में इसकी कीमत बढ़कर 850 रुपए से 1000 तक हो गई है. श्मशान घाट पर एक चिता को जलाने के लिए लकड़ी की कीमत में 30 से 40 फीसदी तक की वृद्धि हुई है. अनुमान के मुताबिक एक शव के संस्कार में 4 कुंतल लकड़ी की आवश्यकता होती है, जिसकी कीमत मौजूदा समय में 4000 से 5000 तक पड़ रही है. जबकि पिछले साल इसकी कीमत 2800 से 3200 रुपए तक थी.
लकड़ी से सस्ता है बिजली से अंतिम संस्कार कराना
गोरखपुर में राप्ती नदी के राजघाट पर अंतिम संस्कार किया जाता है. घाट पर स्थित लकड़ी की दुकानों पर अलग-अलग कीमत पर लकड़ी उपलब्ध है. दुकान पर बैठे डब्बू ने बताया कि 850 रुपए कुंतल से 1000 रुपए कुंतल तक की लकड़ी उपलब्ध है. जबकि पिछले साल 600 से 750 रुपए कुंतल इसकी कीमत थी.
दुकानदार रंभा ने बताया कि एक कुंतल लकड़ी की कीमत न्यूनतम 850 रुपए है. राजघाट पर बने नगर निगम की तरफ से सरकारी रिकॉर्ड में अंतिम संस्कार के लिए कुल 1500 रुपए कीमत की लकड़ी रखी गई है. जबकि बिजली से अंतिम संस्कार के लिए 1800 रुपये लगते हैं. बाजार से लकड़ी लेकर अंतिम संस्कार करने में सामान्य तौर पर 4000 रुपए से 5000 तक खर्च आता है.
श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार कराने वाले कर्मचारी कमलेश और विजय ने बताया कि एक शव को जलाने में 4 से 5 कुंतल लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है. घाट पर 750 रुपये से लेकर 1000 रुपये की कीमत पर लकड़ी मिलती है. निगम और बाजार से मिलने वाली लकड़ी के दाम में तो अंतर रहता ही है. यहां आने वाला आदमी बहुत मोल भाव की हालत में भी नहीं रहता. वह अपनी क्रिया को जल्दी पूरा करने में जुटा होता है.