गोरखपुर: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर में अधिकारियों की मनमानी सिर चढ़कर बोल रही है. इसके कई उदाहरण देखने को मिल जाएंगे. लेकिन ईटीवी भारत आपको एक ऐसी खबर से रूबरू कराने जा रहा है ,जिसका जुड़ाव सीधे जनता से है. राप्ती नदी के किनारे बनाया जा रहा शवदाह गृह करीब चार सालों में भी पूर्ण नहीं हो पाया है. मौजूदा समय में नदी ने इस आधे-अधूरे हुए निर्माण को भी अपने आगोश में ले लिया है. लिहाजा पानी में डूबे इस शवदाह गृह पर लोग अंत्येष्टि करने को मजबूर हैं. खास बात यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार में शुरू हुआ यह काम योगी सरकार के कार्यकाल में भी पूर्ण नहीं हुआ है. पूर्व सपा विधायक ने इस घोर लापरवाही पर मुख्यमंत्री से संज्ञान लेने की अपील की है.
राप्ती नदी के पानी से घिरे इस शवदाह गृह पर लोग अंत्येष्टि करने को मजबूर हो रहे हैं. नाव के सहारे लोग यहां तक पहुंच रहे हैं. लेकिन जो शवदाह गृह अक्टूबर 2019 तक बन के तैयार हो जाना चाहिए था, वह अक्टूबर 2020 तक भी पूरी तरह से बनकर तैयार होने की हालत में नहीं है. अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री काल में यह परियोजना 3 करोड़ की लागत से पूर्ण की जानी थी, जिसका शिलान्यास गोरखपुर की तत्कालीन मेयर डॉक्टर सत्या पांडे ने 24 दिसम्बर 2016 को किया था. इस स्थान पर एक साथ दस शवों का अंतिम संस्कार करने की व्यवस्था दी जानी है. इसके साथ ही इलेक्ट्रिक, गैस और लकड़ी पर भी अंत्येष्टि करने का सिस्टम तैयार होना है. लेकिन यह सब अभी अधर में है.
सपा नेता ने सीएम से उठाई मांग
बीजेपी से दो बार विधायक रहे और मौजूदा समय में समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता विजय बहादुर यादव ने इस अति महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट में अधिकारियों की हीला हवाली से हो रही देरी और जनता की बढ़ रही परेशानी की ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ध्यान खींचने की कोशिश किया है. उन्होंने कहा है कि जिस प्रोजेक्ट के बारे में सीएम को खुद जानकारी हो वह लेटलतीफी और भ्रष्टाचार का शिकार हो जाए, यह ठीक बात नहीं है. उन्होंने सीएम से अपील किया कि वह इसका संज्ञान लें और दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें.
काम की जगह सिर्फ बढ़ता रहा बजट
अखिलेश की सरकार में इसकी नींव पड़ी, काम शुरू हुआ और योगी सरकार के 2017 में आने के बाद इसका निर्माण रोक दिया गया. इसे और आधुनिक बनाने के प्रयास में इसका बजट 13 करोड़ हो गया, जिसे शासन ने स्वीकृत किया. हालांकि मौजूदा मेयर सीताराम जायसवाल ने करीब 18 करोड़ का बजट बनवाया था. इस प्रक्रिया में एक साल काम लटका रह गया. लेकिन इस महत्वपूर्ण कार्य के निर्माण के प्रति भी तेजी नहीं दिखाई गई. यही वजह है कि नगर निगम के मुख्य अभियंता से जब इस विषय पर सवाल किया गया तो उन्होंने बताया कि बहुत जल्द यहां बिजली गैस और लकड़ी आधारित शवदाह गृह संचालित कर दिया जाएगा, जिससे प्रदूषण भी नहीं होगा और समय और खर्च की में भी काफी कमी आएगी.
वायु प्रदूषण को रोकने के लिए यहां स्क्रबर लगेंगे तो 14 फीट ऊंची लोहे की चिमनी से प्रदूषण रहित धुआं भी हवा में उड़ जाएगा. लेकिन अधिकारियों के इस दावे पर कितना भरोसा किया जाए, क्योंकि अभी तक जो कुछ हो रहा है वह हवा हवाई ही है. यही वजह है कि मौजूदा मेयर इस विषय में कुछ बोलते नहीं और सपा के नेता आवाज उठाने को मजबूर हैं.