ETV Bharat / state

गोरखपुर: राम प्रसाद बिस्मिल की शहीद स्थली बनेगी पर्यटन केंद्र - pandit ram prasad bismil memorial

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की 127वीं जयंती के अवसर पर भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष डॉ. धर्मेंद्र सिंह ने स्मृति उपवन में हो रहे निर्माण कार्य का निरीक्षण किया. दरअसल मंडली कारागार स्थित बिस्मिल कक्ष और फांसी घर को प्रदेश सरकार ने पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है.

gorakhpur news
बिस्मिल की शहादत स्थल.
author img

By

Published : Jun 11, 2020, 9:35 PM IST

गोरखपुर: जंग-ए-आजादी के इतिहास में गोरखपुर का नाम जिन घटनाओं के लिए दर्ज हैं, उनमें पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की कुर्बानी प्रमुख है. 19 दिसंबर 1927 को गोरखपुर जेल की एक कोठरी में ही उन्हें फांसी दी गई थी. आज भी जेल में वह फांसी घर मौजूद है. यहां बिस्मिल से जुड़े दस्तावेज और सामानों को संरक्षित किया गया है.

बिस्मिल की शहादत स्थल.

जिला जेल के अंदर बनाया गया बिस्मिल स्मारक और स्मृति उपवन उनके प्रति राष्ट्र के समर्पण की तस्दीक है. बिस्मिल कक्ष और फांसी घर को ऐतिहासिक धरोहर के रूप में संरक्षित करने के लिए प्रदेश सरकार ने इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है. पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की 127वीं जयंती के अवसर पर भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष डॉ. धर्मेंद्र सिंह, गुरु कृपा संस्थान के संस्थापक बृजेश राम त्रिपाठी समेत अन्य भाजपाइयों ने इस स्थल पर हो रहे निर्माण कार्य का निरीक्षण किया.

ये भी पढ़ें- गोरखपुर: चौरी-चौरा में पढ़े-लिखे युवा भी कर रहे मनरेगा में मजदूरी

शाहजहांपुर में 11 जून 1897 को जन्मे पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को फांसी की सजा काकोरी लूट कांड को अंजाम देने पर हुई थी. महज 30 वर्ष की उम्र में पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को गोरखपुर के जिला कारागार में फांसी दी गई थी. जिला कारागार के कोठरी नंबर 7 में पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज और साक्ष्य संरक्षित है. बिस्मिल का शहीद स्थल, शहीद स्मारक, शहीद उद्यान और बिस्मिल कोठरी को आमजन के लिए खुलने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसके संरक्षण और सुंदरीकरण की जिम्मेदारी पर्यटन विभाग को सौंपी थी. इसके लिए लगभग एक करोड़ 88 लाख रुपये का बजट भी अवमुक्त किया गया. वर्तमान में शहादत स्थल के मूल स्वरूप को संरक्षित करते हुए पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की गौरव गाथा को दीवारों पर चित्र के जरिए अंकित कराने, इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले के माध्यम से भी शहीद के बारे में लोगों को जानकारी देने के साथ ही पर्यटन के लिए अन्य इंतजाम किए जाने हैं.

गोरखपुर: जंग-ए-आजादी के इतिहास में गोरखपुर का नाम जिन घटनाओं के लिए दर्ज हैं, उनमें पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की कुर्बानी प्रमुख है. 19 दिसंबर 1927 को गोरखपुर जेल की एक कोठरी में ही उन्हें फांसी दी गई थी. आज भी जेल में वह फांसी घर मौजूद है. यहां बिस्मिल से जुड़े दस्तावेज और सामानों को संरक्षित किया गया है.

बिस्मिल की शहादत स्थल.

जिला जेल के अंदर बनाया गया बिस्मिल स्मारक और स्मृति उपवन उनके प्रति राष्ट्र के समर्पण की तस्दीक है. बिस्मिल कक्ष और फांसी घर को ऐतिहासिक धरोहर के रूप में संरक्षित करने के लिए प्रदेश सरकार ने इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है. पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की 127वीं जयंती के अवसर पर भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष डॉ. धर्मेंद्र सिंह, गुरु कृपा संस्थान के संस्थापक बृजेश राम त्रिपाठी समेत अन्य भाजपाइयों ने इस स्थल पर हो रहे निर्माण कार्य का निरीक्षण किया.

ये भी पढ़ें- गोरखपुर: चौरी-चौरा में पढ़े-लिखे युवा भी कर रहे मनरेगा में मजदूरी

शाहजहांपुर में 11 जून 1897 को जन्मे पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को फांसी की सजा काकोरी लूट कांड को अंजाम देने पर हुई थी. महज 30 वर्ष की उम्र में पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को गोरखपुर के जिला कारागार में फांसी दी गई थी. जिला कारागार के कोठरी नंबर 7 में पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज और साक्ष्य संरक्षित है. बिस्मिल का शहीद स्थल, शहीद स्मारक, शहीद उद्यान और बिस्मिल कोठरी को आमजन के लिए खुलने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसके संरक्षण और सुंदरीकरण की जिम्मेदारी पर्यटन विभाग को सौंपी थी. इसके लिए लगभग एक करोड़ 88 लाख रुपये का बजट भी अवमुक्त किया गया. वर्तमान में शहादत स्थल के मूल स्वरूप को संरक्षित करते हुए पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की गौरव गाथा को दीवारों पर चित्र के जरिए अंकित कराने, इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले के माध्यम से भी शहीद के बारे में लोगों को जानकारी देने के साथ ही पर्यटन के लिए अन्य इंतजाम किए जाने हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.