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यूपी बार काउंसिल के सदस्य ने की मनीष हत्याकांड के आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग

उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के सदस्य और क्रिमिनल के वरिष्ठ अधिवक्ता मधुसूदन त्रिपाठी ने कहा कि गोरखपुर में हुए कानपुर के व्यापारी मनीष गुप्ता हत्याकांड के आरोपियों की गिरफ्तारी जल्द से जल्द होनी चाहिए.

पुलिस की कारस्तानी से खफा अधिवक्ता
पुलिस की कारस्तानी से खफा अधिवक्ता
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Published : Sep 30, 2021, 5:06 PM IST

गोरखपुरः यूपी बार काउंसिल के सदस्य और क्रिमिनल के वरिष्ठ अधिवक्ता मधुसूदन त्रिपाठी ने कहा कि मनीष गुप्ता के आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी होनी चाहिए. जांच न्यायिक टीम बनाकर होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि ये देखने को मिलता है कि पुलिस की जांच में पुलिस वाले बेकसूर ही साबित होते हैं. लेकिन जिस तरह से मनीष गुप्ता हत्याकांड को अंजाम दिया गया है और पुलिस शासन में बैठे हुए लोग अपने हत्यारे पुलिसकर्मियों को बचाने में जुटे हुए हैं. ऐसे मामले की सही जांच पुलिस से बेईमानी लगती है.

मनीष गुप्ता हत्याकांड के बाद मधुसूदन त्रिपाठी ईटीवी भारत से खास बातचीत कर रहे थे. उन्होंने कहा कि अगर जांच में लापरवाही नजर आएगी तो बतौर अधिवक्ता वो खुद इस मामले को न्यायालय तक लेकर जाने को विवश होंगे. गोरखपुर की धरती पर घटी इस घटना से वो बेहद मर्माहत हैं और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उठाए गए कदमों से आहत हैं.

मनीष हत्याकांड के आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग

इस हत्याकांड में गोरखपुर के जिलाधिकारी और पुलिस कप्तान के द्वारा मनीष गुप्ता की पत्नी को मुकदमा न दर्ज कराने के लिए धमकाने और फुसलाने पर ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने लिए उन्होंने सीएम से कड़ी कार्रवाई करने की मांग किया है. उन्होंने कहा कि ऐसे जिलाधिकारी और कप्तान को तत्काल जिले से हटाया जाना चाहिए. अगर योगी सरकार कहती है कि उसके राज में कानून का राज स्थापित है. गुंडे, माफिया जेल में जाएंगे तो प्रशासन में बैठे हुए ऐसे गुंडे-माफिया को उन्हें नहीं सपोर्ट करना चाहिए, जो पीड़ितों को ही धमकाने में तुले हुए हैं.

उन्होंने कहा कि मनीष गुप्ता हत्याकांड से जुड़े हुए पुलिस के एक-एक कदम इस बात की ओर साफ इशारा कर रहे हैं कि पुलिस सुनियोजित तरीके से लोगों के साथ लूटपाट करने की साजिश रच रही है. उन्होंने कहा कि जब पुलिस कप्तान होटल में छापेमारी की बात करते हैं तो अन्य थानाध्यक्ष इस कार्रवाई को आगे क्यों नहीं बढ़ाते. आखिरकार रामगढ़ ताल थाना क्षेत्र में ही ऐसी घटना क्यों होती हैं. वहां का थानाध्यक्ष जेएन सिंह इससे पहले भी इस तरह के आरोपों में लिप्त था, तो उसे ऐसी जिम्मेदारी क्यों मिली थी.

इसे भी पढ़ें- गोरखपुर: एनकाउंटर स्पेशलिस्ट बनने की सनक ने बनाया विलेन, जेएन सिंह पर साल भर में तीसरी बार लगा हत्या का आरोप

उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने पर भी अपनी आपत्ति जाहिर की है. उन्होंने कहा कि किसी की मौत की कीमत रुपया नहीं हो सकता. सरकार का पैसा मुख्यमंत्री को ऐसे नहीं लुटाना चाहिए. देना हो तो अपनी जेब से दें. ऐसे कई मामले देखने को मिले हैं कि जब किसी की हत्या में पुलिस शामिल होती है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मौत के बदले पैसे देकर मामले को शांत कराने में जुट जाते हैं. लेकिन दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती. उन्होंने कहा कि गोरखपुर का सिर्फ अधिवक्ता ही नहीं व्यापारी और आम समाज भी इस घटनाक्रम से काफी दुखी और गुस्से में है. अगर पुलिसकर्मी जल्दी नहीं पकड़े गए और उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो लोग सड़कों पर उतरकर भी सरकार के खिलाफ आंदोलन को बाध्य होंगे.

इसे भी पढ़ें- मनीष गुप्ता के सिर-चेहरे पर गंभीर चोटों के निशान, क्या पुलिस ने ले ली जान !

गोरखपुरः यूपी बार काउंसिल के सदस्य और क्रिमिनल के वरिष्ठ अधिवक्ता मधुसूदन त्रिपाठी ने कहा कि मनीष गुप्ता के आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी होनी चाहिए. जांच न्यायिक टीम बनाकर होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि ये देखने को मिलता है कि पुलिस की जांच में पुलिस वाले बेकसूर ही साबित होते हैं. लेकिन जिस तरह से मनीष गुप्ता हत्याकांड को अंजाम दिया गया है और पुलिस शासन में बैठे हुए लोग अपने हत्यारे पुलिसकर्मियों को बचाने में जुटे हुए हैं. ऐसे मामले की सही जांच पुलिस से बेईमानी लगती है.

मनीष गुप्ता हत्याकांड के बाद मधुसूदन त्रिपाठी ईटीवी भारत से खास बातचीत कर रहे थे. उन्होंने कहा कि अगर जांच में लापरवाही नजर आएगी तो बतौर अधिवक्ता वो खुद इस मामले को न्यायालय तक लेकर जाने को विवश होंगे. गोरखपुर की धरती पर घटी इस घटना से वो बेहद मर्माहत हैं और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उठाए गए कदमों से आहत हैं.

मनीष हत्याकांड के आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग

इस हत्याकांड में गोरखपुर के जिलाधिकारी और पुलिस कप्तान के द्वारा मनीष गुप्ता की पत्नी को मुकदमा न दर्ज कराने के लिए धमकाने और फुसलाने पर ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने लिए उन्होंने सीएम से कड़ी कार्रवाई करने की मांग किया है. उन्होंने कहा कि ऐसे जिलाधिकारी और कप्तान को तत्काल जिले से हटाया जाना चाहिए. अगर योगी सरकार कहती है कि उसके राज में कानून का राज स्थापित है. गुंडे, माफिया जेल में जाएंगे तो प्रशासन में बैठे हुए ऐसे गुंडे-माफिया को उन्हें नहीं सपोर्ट करना चाहिए, जो पीड़ितों को ही धमकाने में तुले हुए हैं.

उन्होंने कहा कि मनीष गुप्ता हत्याकांड से जुड़े हुए पुलिस के एक-एक कदम इस बात की ओर साफ इशारा कर रहे हैं कि पुलिस सुनियोजित तरीके से लोगों के साथ लूटपाट करने की साजिश रच रही है. उन्होंने कहा कि जब पुलिस कप्तान होटल में छापेमारी की बात करते हैं तो अन्य थानाध्यक्ष इस कार्रवाई को आगे क्यों नहीं बढ़ाते. आखिरकार रामगढ़ ताल थाना क्षेत्र में ही ऐसी घटना क्यों होती हैं. वहां का थानाध्यक्ष जेएन सिंह इससे पहले भी इस तरह के आरोपों में लिप्त था, तो उसे ऐसी जिम्मेदारी क्यों मिली थी.

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उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने पर भी अपनी आपत्ति जाहिर की है. उन्होंने कहा कि किसी की मौत की कीमत रुपया नहीं हो सकता. सरकार का पैसा मुख्यमंत्री को ऐसे नहीं लुटाना चाहिए. देना हो तो अपनी जेब से दें. ऐसे कई मामले देखने को मिले हैं कि जब किसी की हत्या में पुलिस शामिल होती है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मौत के बदले पैसे देकर मामले को शांत कराने में जुट जाते हैं. लेकिन दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती. उन्होंने कहा कि गोरखपुर का सिर्फ अधिवक्ता ही नहीं व्यापारी और आम समाज भी इस घटनाक्रम से काफी दुखी और गुस्से में है. अगर पुलिसकर्मी जल्दी नहीं पकड़े गए और उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो लोग सड़कों पर उतरकर भी सरकार के खिलाफ आंदोलन को बाध्य होंगे.

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