गोरखपुर: पंडित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की एक गलती ने पोस्ट ग्रेजुएट की एक छात्रा को मानसिक और सामाजिक रूप से प्रताड़ित किया है. प्राचीन इतिहास विभाग की वर्ष 2023 की टॉपर छात्रा पूनम शुक्ला के नाम की छात्रा की जगह प्रियंका यादव को टॉपर घोषित कर दिया. जब टॉपर की लिस्ट तैयार की जा रही थी तो, प्रथम चरण में प्रियंका यादव से ऊपर पूनम शुक्ला का ही नाम था. विश्वविद्यालय में 28 जून को दीक्षांत समारोह आयोजित किया जाएगा. लेकिन 24 घंटे के अंदर ही विश्वविद्यालय ने अपनी ही लिस्ट में बड़ा खेल करते हुए, प्रियंका यादव को टॉपर घोषित कर उसे गोल्ड मेडल पाने वालों की कतार में शामिल कर दिया.
गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास विभाग की वर्ष 2023 का छात्रा पूनम शुक्ला मानसिक रूप से बहुत परेशान हो गई है. वह दिल्ली से गोरखपुर अपना मेडल दीक्षांत समारोह में हासिल करने के लिए निकलने वाली थी. इसी दौरान उसे जानकारी हुई कि उसका नाम टॉपर लिस्ट से बाहर कर दिया गया है. इस जानकारी के बाद परेशान छात्रा ने परीक्षा नियंत्रक को तत्काल एक पत्र लिख कर अपनी पीड़ा बताते हुए आपत्ति जताई.
टॉपर छात्रा पूनम शुक्ला ने बताया कि जब जनवरी 2023 में परीक्षा परिणाम आया तो उसने प्राचीन इतिहास में टॉप किया था. फिर रातो रात प्रियंका यादव कैसे टॉपर बन गई. इस दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रा की आपत्ति को काटने के लिए सफाई के विशेष तरीके भी अपनाया है. लेकिन इस परिणाम से एक छात्रा का सामाजिक और मानसिक उत्पीड़न से परेशान हो गई है. टॉपर छात्रा ने कहा कि वह अपनी लड़ाई जारी रखेगी.
टॉपर छात्रा पूनम शुक्ला ने अपने परीक्षा नियंत्रक को भेजे निवेदन पत्र में लिखा है कि वह प्राचीन इतिहास पुरातत्व एवं संस्कृति विषय में संस्थागत छात्रा के रूप में सत्र 2021-22 में स्नाकोतर अन्तिम वर्ष में सर्वोच्च अंक प्राप्त किया था. इसके उपरांत 28 जून 2023 को आयोजित होने वाले 41 वे दीक्षांत समारोह में स्वर्ण पदक के लिए नामित थी. लेकिन शनिवार की रात मुझे मालूम हुआ की मेरा अंक कम कर के प्रियंका यादव को नामित कर दिया गया है. यह कैसे संभव हो सकता है. इसे सुधार किया जाय. पूनम शुक्ला ने एक वीडियो के जरिए अपनी पीड़ा बयां की है.
इस संबंध में प्राचीन इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर दिग्विजय नाथ मौर्य ने कहा है कि यह मूल्यांकन की भूल है. परीक्षक से मानवीय भूल हुई थी. पूनम शुक्ला को 70 में से 70 अंक दिया गया. जबकि उसे 52 अंक प्राप्त हुए थे. इस भूल सुधार को विभाग दुरुस्त कराने में सफल रहा. लेकिन इसकी जानकारी छात्रा को नहीं दी गई. अब जब टॉपर्स की लिस्ट बनी तो उसके बाद बवाल खड़ा हो गया है. लेकिन वास्तविक रूप से टॉपर प्रियंका यादव हैं. इसलिए अब उसे टॉपर की लिस्ट में शामिल करते हुए गोल्ड मेडल दिया जाएगा.
पूनम शुक्ला का यह मामला 28 जून को दीक्षांत समारोह के दौरान भी उठ सकता है. अगर विश्वविद्यालय किसी छात्रा के साथ इस तरह की लापरवाही बरत सकता है तो, तमाम ऐसे छात्र भी हो सकते हैं, जो परीक्षकों की गलती से फेल भी किए गए होंगे. विश्वविद्यालय की यह कार्य पद्धति कई तरह के सवाल खड़ा करने के साथ जांच प्रक्रिया से भी गुजरने वाली है. अधिवक्ता मनीष पांडेय ने कहा है कि अगर आवश्यकता पड़ी तो पूनम शुक्ला को न्यायालय से मदद दी जाएगी. क्योंकि विश्वविद्यालय ऐसी न जाने कितनी त्रुटियों के माध्यम से छात्र-छात्राओं का मानसिक और सामाजिक उत्पीड़न किया होगा. यह जांच का विषय है.
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