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प्राइमरी स्कूलों में नहीं पहुंची सरकारी किताबें, फोटोकॉपी से पढ़ाई कर रहे बच्चे - फोटोकॉपी से पढ़ाई कर रहे बच्चे

गोरखपुर के प्राथमिक विद्यालयों में अभी तक बच्चों को किताबें नहीं वितरित की गई हैं. आधा शैक्षिक सत्र बीत जाने के बाद भी बच्चे पुरानी किताबों की फोटोकॉपी से पढ़ने के लिए मजबूर हैं.

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Published : Sep 20, 2022, 6:49 PM IST

Updated : Sep 20, 2022, 8:15 PM IST

गोरखपुर: यूपी सरकार की लचर शिक्षा व्यवस्था के चलते शैक्षिक सत्र शुरू होने के 6 महीने बाद भी अधिकांश स्कूलों में किताबें नहीं पहुंच सकी हैं. आधा सत्र बीत चुका है और छात्र बिना किताबों के ही जैसै-तैसे पढ़ाई को मजबूर हैं. अभी स्कूलों में किताबें कब तक पहुंचेंगी, इसका कोई ठिकाना नहीं है. जिले में बैठे शिक्षा अधिकारी भी अपना सिर पीटते हैं और मुख्यालय स्तर से किताबों की डिलीवरी न होने का हवाला देते हैं. फिलहाल पुरानी किताबों की फोटोकॉपी और जुगाड़ के सहारे प्राथमिक स्कूलों में पढ़ाई चल रही है.

बता दें कि जिले के सभी प्राथमिक स्कूलों के लिए कुल 25 लाख किताबें मिलनी थीं. लेकिन सितंबर माह तक केवल 2 लाख 27 हजार किताबें मिल सकी हैं. अब तक आई किताबों में कक्षा 1 से 3 तक के बच्चों की हिंदी और कक्षा 6 के बच्चों की विज्ञान की किताब शामिल हैं. ऐसे में हिंदी और विज्ञान का ज्ञान लेकर बच्चे गणित, अंग्रेजी समेत अन्य विषयों की परीक्षा देंगे. बच्चों को किताबें कब तक वितरित होंगी, इसको लेकर विभाग के जिम्मेदार बोलने से कतरा रहे हैं.

प्राइमरी स्कूलों में नहीं पहुंची सरकारी किताबें

वर्तमान शैक्षिक सत्र में जिले के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले साढ़े 3 लाख बच्चों को नई किताबें वितरित की जानी है. जबकि सितंबर माह में ही तिमाही परीक्षा सिर पर है. शिक्षा का स्तर विद्यालय के शिक्षकों को बेहतर परिणाम के साथ देना है. स्कूलों में पढ़ाने वाली शिक्षिकाओं का कहना है कि पुरानी किताबों का जुगाड़, फोटोकॉपी का सहारा और और वर्क बुक जैसी किताबों में रबड़ का इस्तेमाल करके बच्चों को पढ़ाया जा रहा है. किताबें नहीं मिलने से बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

यह भी पढ़ें- इलाहाबाद विश्वविद्यालय में बढ़ी फीस के खिलाफ प्रदर्शन, वीसी कार्यालय ब्लास्ट करने के लिए सिलेंडर लेकर छत पर चढ़ा छात्र

मतलब साफ है कि बिना किताबी ज्ञान के बच्चों को परीक्षा में बैठना पड़ेगा. इसके अभाव में अगर ज्ञान मिल भी रहा है तो वह बेतरतीब है. आलम यह है कि किताबों के वितरण में देरी होने से एक किताब से तीन से पांच बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं. कक्षा में पढ़ाई करने वाले तमाम छात्रों को यह मालूम ही नहीं कि उन्हें कितनी किताबें पढ़नी हैं.

किताबों का अभाव अभिभावकों को भी परेशान कर रहा है. उनका कहना है कि सरकार समय से किताब नहीं दे पाती तो बाजार में ही बिक्री के लिए इसकी उपलब्धता हो. अबतक एक-एक कर किताबें खरीद ली गई होती. लेकिन न तो बाजार में किताबें हैं और न ही सरकार उपलब्ध करा रही है. जो बच्चों की पढ़ाई के साथ घोर अपराध है. सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी कहते हैं कि जिले को पूरी तरह से किताबें अभी पहुंच नहीं पाई हैं. इसलिए हर ब्लाक के प्राथमिक स्कूलों को भी किताबें नहीं मिल रही, जो पढ़ाई में शंकट पैदा कर रही है.

यह भी पढ़ें- सहारनपुर में कबड्‌डी खिलाड़ियों को खिलाया टॉयलेट में खाना, खेल अधिकारी निलंबित

गोरखपुर: यूपी सरकार की लचर शिक्षा व्यवस्था के चलते शैक्षिक सत्र शुरू होने के 6 महीने बाद भी अधिकांश स्कूलों में किताबें नहीं पहुंच सकी हैं. आधा सत्र बीत चुका है और छात्र बिना किताबों के ही जैसै-तैसे पढ़ाई को मजबूर हैं. अभी स्कूलों में किताबें कब तक पहुंचेंगी, इसका कोई ठिकाना नहीं है. जिले में बैठे शिक्षा अधिकारी भी अपना सिर पीटते हैं और मुख्यालय स्तर से किताबों की डिलीवरी न होने का हवाला देते हैं. फिलहाल पुरानी किताबों की फोटोकॉपी और जुगाड़ के सहारे प्राथमिक स्कूलों में पढ़ाई चल रही है.

बता दें कि जिले के सभी प्राथमिक स्कूलों के लिए कुल 25 लाख किताबें मिलनी थीं. लेकिन सितंबर माह तक केवल 2 लाख 27 हजार किताबें मिल सकी हैं. अब तक आई किताबों में कक्षा 1 से 3 तक के बच्चों की हिंदी और कक्षा 6 के बच्चों की विज्ञान की किताब शामिल हैं. ऐसे में हिंदी और विज्ञान का ज्ञान लेकर बच्चे गणित, अंग्रेजी समेत अन्य विषयों की परीक्षा देंगे. बच्चों को किताबें कब तक वितरित होंगी, इसको लेकर विभाग के जिम्मेदार बोलने से कतरा रहे हैं.

प्राइमरी स्कूलों में नहीं पहुंची सरकारी किताबें

वर्तमान शैक्षिक सत्र में जिले के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले साढ़े 3 लाख बच्चों को नई किताबें वितरित की जानी है. जबकि सितंबर माह में ही तिमाही परीक्षा सिर पर है. शिक्षा का स्तर विद्यालय के शिक्षकों को बेहतर परिणाम के साथ देना है. स्कूलों में पढ़ाने वाली शिक्षिकाओं का कहना है कि पुरानी किताबों का जुगाड़, फोटोकॉपी का सहारा और और वर्क बुक जैसी किताबों में रबड़ का इस्तेमाल करके बच्चों को पढ़ाया जा रहा है. किताबें नहीं मिलने से बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

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मतलब साफ है कि बिना किताबी ज्ञान के बच्चों को परीक्षा में बैठना पड़ेगा. इसके अभाव में अगर ज्ञान मिल भी रहा है तो वह बेतरतीब है. आलम यह है कि किताबों के वितरण में देरी होने से एक किताब से तीन से पांच बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं. कक्षा में पढ़ाई करने वाले तमाम छात्रों को यह मालूम ही नहीं कि उन्हें कितनी किताबें पढ़नी हैं.

किताबों का अभाव अभिभावकों को भी परेशान कर रहा है. उनका कहना है कि सरकार समय से किताब नहीं दे पाती तो बाजार में ही बिक्री के लिए इसकी उपलब्धता हो. अबतक एक-एक कर किताबें खरीद ली गई होती. लेकिन न तो बाजार में किताबें हैं और न ही सरकार उपलब्ध करा रही है. जो बच्चों की पढ़ाई के साथ घोर अपराध है. सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी कहते हैं कि जिले को पूरी तरह से किताबें अभी पहुंच नहीं पाई हैं. इसलिए हर ब्लाक के प्राथमिक स्कूलों को भी किताबें नहीं मिल रही, जो पढ़ाई में शंकट पैदा कर रही है.

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Last Updated : Sep 20, 2022, 8:15 PM IST
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