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गोरखपुर में आयोजित हुआ प्रदेश का पहला दिव्यांग मोबाइल कोर्ट

दिव्यांगों की हर प्रकार की समस्याओं का निस्तारण एक छत के नीचे हो. उन्हें अधिक दौड़ भाग नहीं करनी पड़े. अधिकारियों की मनमानी और लापरवाही के दिव्यांग शिकार न हो.

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दिव्यांग मोबाइल कोर्ट
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Published : Nov 17, 2022, 4:54 PM IST

गोरखपुरः जिले में प्रदेश का पहला दिव्यांग मोबाइल कोर्ट गुरुवार को आयोजित किया गया. इस कोर्ट में सुनवाई करने के लिए खुद राज्य आयुक्त वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अजीत कुमार मौजूद रहे, जो नेत्रहीन है और दिव्यांगों की श्रेणी में आते हैं. उनकी मौजूदगी में बाबा गंभीर नाथ प्रेक्षागृह में जिले के प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिस की मौजूदगी में करीब 400 दिव्यांगों ने अपने पंजीकरण के साथ एक-एक कर अपनी समस्याओं को सुनाया. इनके निराकरण का निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिया गया. इस दौरान कुछ की समस्याओं का निस्तारण करते हुए उन्हें प्रमाण पत्र भी सौंप दिया गया.

दिव्यांग मोबाइल कोर्ट

इस दौरान तमाम ऐसे दिव्यांग अपनी पीड़ा लेकर राज्य आयुक्त के समक्ष पेश हुए, जिनकी समस्याएं अपने आप में हैरान कर देने वाली थी. एक दिव्यांग पिछले 3 साल से शादी अनुदान योजना के तहत मिलने वाली धनराशि के लिए कार्यालय का चक्कर लगाते लगाते थक चुका था. वह भी अपनी फरियाद लेकर आया था. इस मामले में कठोर निर्देश संबंधित अधिकारी को दिया गया. वहीं, तमाम दिव्यांगों ने यह कहा कि उन्हें भी सरकारी आवास की सुविधा उपलब्ध कराई जाए, चाहे वह प्रधानमंत्री आवास योजना हो या मुख्यमंत्री क्योंकि उनके पास छत नहीं है.

इस दौरान जो सबसे अच्छी मांग देखने को मिली वह लगातार दिव्यांगों के बीच वितरित की जाने वाली मोटराइज्ड साइकिल की थी. इसकी मरम्मत का स्थानीय स्तर पर कोई इंतजाम नहीं है. एक दिव्यांग ने इस सुविधा और वर्कशॉप को गोरखपुर में खोले जाने की मांग की. उसने कहा कि कानपुर जाकर मोटराइज्ड साईकिल की मरम्मत कराना काफी खर्चीला होता है. उनके पास पैसे नहीं होते हैं, ऐसे में साइकिल कबाड़ होने की स्थिति में आ जाती है.

जमीन जायदाद से भी जुड़ी समस्या दिव्यांग लेकर आए, जिनकी जमीनों पर दबंग टाइप के लोग कब्जा किए हुए हैं और उन्हें परेशान कर रहे हैं. राज्य आयुक्त ने ऐसे सभी मामलों में उचित निर्देश दिए. कुछ मामलों को वह लखनऊ भी अपने साथ लेकर जाएंगे, जिसकी समीक्षा करने के बाद जिले के अधिकारियों को उचित निर्देश प्राप्त होगा. उन्होंने कहा कि दिव्यांग परेशान न हो अधिकारी उनकी हर संभव मदद करें. मोबाइल कोर्ट का यही उद्देश्य है. यह निरंतरता में कायम रहे ऐसी सोच अधिकारी बना के रखें.

पढ़ेंः सेरेब्रल पालसी से ग्रसित बेटी ने कैसे तय किया मरीज से डॉक्टर बनने का सफर, जानें...

गोरखपुरः जिले में प्रदेश का पहला दिव्यांग मोबाइल कोर्ट गुरुवार को आयोजित किया गया. इस कोर्ट में सुनवाई करने के लिए खुद राज्य आयुक्त वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अजीत कुमार मौजूद रहे, जो नेत्रहीन है और दिव्यांगों की श्रेणी में आते हैं. उनकी मौजूदगी में बाबा गंभीर नाथ प्रेक्षागृह में जिले के प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिस की मौजूदगी में करीब 400 दिव्यांगों ने अपने पंजीकरण के साथ एक-एक कर अपनी समस्याओं को सुनाया. इनके निराकरण का निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिया गया. इस दौरान कुछ की समस्याओं का निस्तारण करते हुए उन्हें प्रमाण पत्र भी सौंप दिया गया.

दिव्यांग मोबाइल कोर्ट

इस दौरान तमाम ऐसे दिव्यांग अपनी पीड़ा लेकर राज्य आयुक्त के समक्ष पेश हुए, जिनकी समस्याएं अपने आप में हैरान कर देने वाली थी. एक दिव्यांग पिछले 3 साल से शादी अनुदान योजना के तहत मिलने वाली धनराशि के लिए कार्यालय का चक्कर लगाते लगाते थक चुका था. वह भी अपनी फरियाद लेकर आया था. इस मामले में कठोर निर्देश संबंधित अधिकारी को दिया गया. वहीं, तमाम दिव्यांगों ने यह कहा कि उन्हें भी सरकारी आवास की सुविधा उपलब्ध कराई जाए, चाहे वह प्रधानमंत्री आवास योजना हो या मुख्यमंत्री क्योंकि उनके पास छत नहीं है.

इस दौरान जो सबसे अच्छी मांग देखने को मिली वह लगातार दिव्यांगों के बीच वितरित की जाने वाली मोटराइज्ड साइकिल की थी. इसकी मरम्मत का स्थानीय स्तर पर कोई इंतजाम नहीं है. एक दिव्यांग ने इस सुविधा और वर्कशॉप को गोरखपुर में खोले जाने की मांग की. उसने कहा कि कानपुर जाकर मोटराइज्ड साईकिल की मरम्मत कराना काफी खर्चीला होता है. उनके पास पैसे नहीं होते हैं, ऐसे में साइकिल कबाड़ होने की स्थिति में आ जाती है.

जमीन जायदाद से भी जुड़ी समस्या दिव्यांग लेकर आए, जिनकी जमीनों पर दबंग टाइप के लोग कब्जा किए हुए हैं और उन्हें परेशान कर रहे हैं. राज्य आयुक्त ने ऐसे सभी मामलों में उचित निर्देश दिए. कुछ मामलों को वह लखनऊ भी अपने साथ लेकर जाएंगे, जिसकी समीक्षा करने के बाद जिले के अधिकारियों को उचित निर्देश प्राप्त होगा. उन्होंने कहा कि दिव्यांग परेशान न हो अधिकारी उनकी हर संभव मदद करें. मोबाइल कोर्ट का यही उद्देश्य है. यह निरंतरता में कायम रहे ऐसी सोच अधिकारी बना के रखें.

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