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स्टार्टअप टॉप टेन में युवा इंजीनियर का बनाया हुआ नीम और बांस का ब्रश पर्यावरण हितेषी - गोरखपुर का समाचार

प्लास्टिक के ब्रश और हानिकारक केमिकल वाले टूथपेस्ट के दिन अब लदने वाले हैं. आयुर्वेद के ज्ञान से नीम और बांस की मदद से बने वैदिक ब्रश आने वाले दिनों में लोगों की पहली पसंद बनती जा रही है. शहर के युवा सिविल इंजीनियर ने इसको लेकर स्टार्टअप शुरू किया है.

युवा इंजीनियर का बनाया हुआ नीम और बांस का ब्रश पर्यावरण हितेषी
युवा इंजीनियर का बनाया हुआ नीम और बांस का ब्रश पर्यावरण हितेषी
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Published : Feb 27, 2021, 4:04 PM IST

Updated : Feb 27, 2021, 6:29 PM IST

गोरखपुरः प्लास्टिक के ब्रश और हानिकारक केमिकल वाले टूथपेस्ट के दिन अब लदने वाले हैं. आर्युवेद के ज्ञान से नीम और बांस की मदद से बने वैदिक ब्रश आने वाले दिनों में लोगों की पहली पसंद बनने जा रहे हैं. शहर के युवा सिविल इंजीनियर ने इसको लेकर स्टार्टअप शुरू किया है. इसका नाम वैदिक ब्रश रखा है. इस ब्रश को बांस और नीम से मिलाकर तैयार किया जा रहा है. अंतरराष्ट्रीय बिजनेस पत्रिका 'स्विफ्ट एंड लिस्ट मैगजीन' ने इसे साल 2021 में पर्यावरण के लिहाज से सबसे सुरक्षित टॉप टेन स्टार्टअप में चुना है. ये ब्रश इको फ्रेंडली होने के साथ ही दांत और मसूड़ों को भी स्वस्थ्य रखता है. वहीं वैदिक ब्रश की एक और खास बात है. इसके आगे की नींब की स्टिक को फेंकने के बाद इसके अंदर के बीज से नये पौधे भी पनप जाते हैं.

युवा इंजीनियर का बनाया हुआ नीम और बांस का ब्रश पर्यावरण हितेषी

भारत के युवा की नई सोच

शहर के मालवीय नगर के रहने वाले सिविल इंजीनियर सुधाकर प्रताप सिंह ने साल 2015 में तमिलनाडु से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. टीवी और मैगजीन में उन्होंने पढ़ा और देखा कि जीव जंतु कैसे प्लास्टिक से बनी हुई चीजों को खाकर तड़प-तड़पकर मर जा रहे हैं. जीव जंतु अपनी पीड़ा को जहां बयां करने में असमर्थ होकर काल के गाल में असमय समा रहे हैं. वहीं पर्यावरण संतुलन भी इससे काफी प्रभावित है.

नीम और बांस की मदद से बने वैदिक ब्रश
नीम और बांस की मदद से बने वैदिक ब्रश

साल 2019 में उन्हें इस ब्रश को तैयार करने का ख्याल आया. उन्होंने पहले नीम की टहनियों को आकार देने और बांस को स्टिक का रूप देने के लिए मशीन तैयार की. इसके बाद इसे बनाया और इसका नाम वैदिक व्रत रखा. ब्रश को बनाने में नीम और बांस का इस्तेमाल किया गया. ब्रश के हैंडल को बांस से बनाया गया है. जबकि नींद से आगे के हिस्से के ब्रश को तैयार किया गया है.

स्टार्टअप टॉप टेन में युवा इंजीनियर का बनाया हुआ नीम और बांस का ब्रश
स्टार्टअप टॉप टेन में युवा इंजीनियर का बनाया हुआ नीम और बांस का ब्रश

इस वैदिक ब्रश में किसी भी तरह के टूथपेस्ट की जरूरत नहीं होती, इसे चबाने पर ये आम दातून की तरह ब्रश का रूप ले लेता है. इसके नीम के बने होने की वजह से दांत और मसूड़ों के लिए भी ये फायदेमंद है. वैदिक ब्रश नियमित रूप से करने पर दातों की सड़न और दुर्गंध से भी बचा जा सकता है. उन्होंने इसके लिये vedicbrush.com नामक एक साइड भी बनायी है. जिसके माध्यम से इस पर सभी लोग ऑर्डर कर इसे मंगा सकते हैं. एक महीने की किट की कीमत केवल 60 रुपये है. इसमें हैंडल के साथ नीम के 30 टुकड़े/ ब्रश होते हैं. उसे रोजाना या फिर 2 से 3 दिन पर बदला जा सकता है.

ऑनलाइन भी उपलब्ध है ये ब्रश
ऑनलाइन भी उपलब्ध है ये ब्रश

इसके इस्तेमाल के बाद नींब वाला हिस्सा फेंकने पर उसके अंदर डाला गया. फूल, फल और सब्जी के बीज से वो एक नये पौधे के रूप में विकसित हो जाता है. इस ब्रश का प्रदर्शन इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल 2020 में हो चुका है. इसे अंतरराष्ट्रीय पत्रिका स्विफ्ट एंड लिस्ट बिजनेस मैगजीन ने साल 2021 के पर्यावरण के लिए सुरक्षित टॉप टेन स्टार्टअप में चुना है. ये ब्रश अमेजॉन और फ्लिपकार्ट पर भी उपलब्ध है.

नीम और बांस की मदद से बने वैदिक ब्रश
नीम और बांस की मदद से बने वैदिक ब्रश

इस संबंध में युवा सिविल इंजीनियर सुधाकर प्रताप सिंह ने बताया कि वे मूलतः कुशीनगर के अहिरौली गांव के रहने वाले हैं. उनके पिता बृजेश सिंह नलकूप विभाग में कुशीनगर में ही कार्यरत हैं. वहीं उनकी माता श्रीमती सुशीला सिंह गृहणी हैं. सुधाकर तीन भाइयों और एक बहन के बीच तीसरे नंबर पर हैं. सुधाकर के मुताबिक इस ब्रश को बनाने का ख्याल पर्यावरण प्रदूषण को देखते हुए आया. ये ब्रश कई मायने में फायदेमंद है. दातों और मसूड़ों की सुरक्षा के लिए नीम के भीतर अहम तत्व पाये जाते हैं. इसके प्रयोग से केमिकल युक्त पेस्ट और प्लास्टिक वाले व्रत से छुटकारा मिल जायेगा. वैदिक ब्रश में नीम की एक दातुन से 4 से 5 दिन तक ब्रश का इंतजाम हो सकता है. इससे पर्यावरण का दोहन भी नहीं होगा. इस ब्रश की तकनीकों को गांव-गांव तक पहुंचाने की इच्छा है. वो गांव के लोगों को भी इसके लिए ट्रेनिंग दे रही है. जिससे वे रोजगार से जुड़ सकें. वहीं सुधाकर ग्रामीणों को मशीन भी उपलब्ध करायेंगे. इसके साथ ही उन्हें ट्रेनिंग देकर वैदिक ब्रश से जोड़कर रोजगार सृजन करेंगे.

वैदिक ब्रश को ब्रांड बनाने का सपना

ब्रश की डिजाइन का काम देखने वाले बीएस शिवा ने बताया कि जबसे सुधाकर ने ये स्टार्टअप शुरू किया है, तब से वे जुड़े हुए हैं. वो प्रोजक्ट की डिजाइनिंग का काम देख रहे हैं. उन्होंने बताया कि ये ऐसा प्रोडक्ट है कि जो प्लास्टिक को दुनिया से बाहर करने के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा. लोग इसे खूब पसंद भी कर रहे हैं. इसे आगे ब्रांड बनाने का सपना है, ताकि ये घर-घर तक पहुंच सके. लोग इससे जुड़कर रोजगार कर सकें.

पढ़ाई कर रहे युवा इंजीनियर दिवाकर प्रताप सिंह के छोटे भाई प्रभाकर प्रताप सिंह वैदिक ब्रश में ऑनलाइन बिजनेस को प्रमोट करने का काम करते हैं, उनका कहना है कि तमाम वेबसाइटों पर वैदिक ब्रश लोगों की पहली पसंद बना हुआ है. अब लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति काफी गंभीर हैं, ऐसे में महंगे और केमिकल युक्त टूथपेस्ट और ब्रश का इस्तेमाल करने से लोग परहेज कर रहे हैं, हम बेहद सस्से दामों पर लोगों को ब्रश मुहैया कर रहे हैं. इसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के बाद घर-घर तक पहुंचाने की तैयारी है. अभी वैदिक ब्रश हमारी वेबसाइट के अलावा अमेजॉन और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है.

गोरखपुरः प्लास्टिक के ब्रश और हानिकारक केमिकल वाले टूथपेस्ट के दिन अब लदने वाले हैं. आर्युवेद के ज्ञान से नीम और बांस की मदद से बने वैदिक ब्रश आने वाले दिनों में लोगों की पहली पसंद बनने जा रहे हैं. शहर के युवा सिविल इंजीनियर ने इसको लेकर स्टार्टअप शुरू किया है. इसका नाम वैदिक ब्रश रखा है. इस ब्रश को बांस और नीम से मिलाकर तैयार किया जा रहा है. अंतरराष्ट्रीय बिजनेस पत्रिका 'स्विफ्ट एंड लिस्ट मैगजीन' ने इसे साल 2021 में पर्यावरण के लिहाज से सबसे सुरक्षित टॉप टेन स्टार्टअप में चुना है. ये ब्रश इको फ्रेंडली होने के साथ ही दांत और मसूड़ों को भी स्वस्थ्य रखता है. वहीं वैदिक ब्रश की एक और खास बात है. इसके आगे की नींब की स्टिक को फेंकने के बाद इसके अंदर के बीज से नये पौधे भी पनप जाते हैं.

युवा इंजीनियर का बनाया हुआ नीम और बांस का ब्रश पर्यावरण हितेषी

भारत के युवा की नई सोच

शहर के मालवीय नगर के रहने वाले सिविल इंजीनियर सुधाकर प्रताप सिंह ने साल 2015 में तमिलनाडु से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. टीवी और मैगजीन में उन्होंने पढ़ा और देखा कि जीव जंतु कैसे प्लास्टिक से बनी हुई चीजों को खाकर तड़प-तड़पकर मर जा रहे हैं. जीव जंतु अपनी पीड़ा को जहां बयां करने में असमर्थ होकर काल के गाल में असमय समा रहे हैं. वहीं पर्यावरण संतुलन भी इससे काफी प्रभावित है.

नीम और बांस की मदद से बने वैदिक ब्रश
नीम और बांस की मदद से बने वैदिक ब्रश

साल 2019 में उन्हें इस ब्रश को तैयार करने का ख्याल आया. उन्होंने पहले नीम की टहनियों को आकार देने और बांस को स्टिक का रूप देने के लिए मशीन तैयार की. इसके बाद इसे बनाया और इसका नाम वैदिक व्रत रखा. ब्रश को बनाने में नीम और बांस का इस्तेमाल किया गया. ब्रश के हैंडल को बांस से बनाया गया है. जबकि नींद से आगे के हिस्से के ब्रश को तैयार किया गया है.

स्टार्टअप टॉप टेन में युवा इंजीनियर का बनाया हुआ नीम और बांस का ब्रश
स्टार्टअप टॉप टेन में युवा इंजीनियर का बनाया हुआ नीम और बांस का ब्रश

इस वैदिक ब्रश में किसी भी तरह के टूथपेस्ट की जरूरत नहीं होती, इसे चबाने पर ये आम दातून की तरह ब्रश का रूप ले लेता है. इसके नीम के बने होने की वजह से दांत और मसूड़ों के लिए भी ये फायदेमंद है. वैदिक ब्रश नियमित रूप से करने पर दातों की सड़न और दुर्गंध से भी बचा जा सकता है. उन्होंने इसके लिये vedicbrush.com नामक एक साइड भी बनायी है. जिसके माध्यम से इस पर सभी लोग ऑर्डर कर इसे मंगा सकते हैं. एक महीने की किट की कीमत केवल 60 रुपये है. इसमें हैंडल के साथ नीम के 30 टुकड़े/ ब्रश होते हैं. उसे रोजाना या फिर 2 से 3 दिन पर बदला जा सकता है.

ऑनलाइन भी उपलब्ध है ये ब्रश
ऑनलाइन भी उपलब्ध है ये ब्रश

इसके इस्तेमाल के बाद नींब वाला हिस्सा फेंकने पर उसके अंदर डाला गया. फूल, फल और सब्जी के बीज से वो एक नये पौधे के रूप में विकसित हो जाता है. इस ब्रश का प्रदर्शन इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल 2020 में हो चुका है. इसे अंतरराष्ट्रीय पत्रिका स्विफ्ट एंड लिस्ट बिजनेस मैगजीन ने साल 2021 के पर्यावरण के लिए सुरक्षित टॉप टेन स्टार्टअप में चुना है. ये ब्रश अमेजॉन और फ्लिपकार्ट पर भी उपलब्ध है.

नीम और बांस की मदद से बने वैदिक ब्रश
नीम और बांस की मदद से बने वैदिक ब्रश

इस संबंध में युवा सिविल इंजीनियर सुधाकर प्रताप सिंह ने बताया कि वे मूलतः कुशीनगर के अहिरौली गांव के रहने वाले हैं. उनके पिता बृजेश सिंह नलकूप विभाग में कुशीनगर में ही कार्यरत हैं. वहीं उनकी माता श्रीमती सुशीला सिंह गृहणी हैं. सुधाकर तीन भाइयों और एक बहन के बीच तीसरे नंबर पर हैं. सुधाकर के मुताबिक इस ब्रश को बनाने का ख्याल पर्यावरण प्रदूषण को देखते हुए आया. ये ब्रश कई मायने में फायदेमंद है. दातों और मसूड़ों की सुरक्षा के लिए नीम के भीतर अहम तत्व पाये जाते हैं. इसके प्रयोग से केमिकल युक्त पेस्ट और प्लास्टिक वाले व्रत से छुटकारा मिल जायेगा. वैदिक ब्रश में नीम की एक दातुन से 4 से 5 दिन तक ब्रश का इंतजाम हो सकता है. इससे पर्यावरण का दोहन भी नहीं होगा. इस ब्रश की तकनीकों को गांव-गांव तक पहुंचाने की इच्छा है. वो गांव के लोगों को भी इसके लिए ट्रेनिंग दे रही है. जिससे वे रोजगार से जुड़ सकें. वहीं सुधाकर ग्रामीणों को मशीन भी उपलब्ध करायेंगे. इसके साथ ही उन्हें ट्रेनिंग देकर वैदिक ब्रश से जोड़कर रोजगार सृजन करेंगे.

वैदिक ब्रश को ब्रांड बनाने का सपना

ब्रश की डिजाइन का काम देखने वाले बीएस शिवा ने बताया कि जबसे सुधाकर ने ये स्टार्टअप शुरू किया है, तब से वे जुड़े हुए हैं. वो प्रोजक्ट की डिजाइनिंग का काम देख रहे हैं. उन्होंने बताया कि ये ऐसा प्रोडक्ट है कि जो प्लास्टिक को दुनिया से बाहर करने के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा. लोग इसे खूब पसंद भी कर रहे हैं. इसे आगे ब्रांड बनाने का सपना है, ताकि ये घर-घर तक पहुंच सके. लोग इससे जुड़कर रोजगार कर सकें.

पढ़ाई कर रहे युवा इंजीनियर दिवाकर प्रताप सिंह के छोटे भाई प्रभाकर प्रताप सिंह वैदिक ब्रश में ऑनलाइन बिजनेस को प्रमोट करने का काम करते हैं, उनका कहना है कि तमाम वेबसाइटों पर वैदिक ब्रश लोगों की पहली पसंद बना हुआ है. अब लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति काफी गंभीर हैं, ऐसे में महंगे और केमिकल युक्त टूथपेस्ट और ब्रश का इस्तेमाल करने से लोग परहेज कर रहे हैं, हम बेहद सस्से दामों पर लोगों को ब्रश मुहैया कर रहे हैं. इसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के बाद घर-घर तक पहुंचाने की तैयारी है. अभी वैदिक ब्रश हमारी वेबसाइट के अलावा अमेजॉन और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है.

Last Updated : Feb 27, 2021, 6:29 PM IST
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