गोरखपुर: बिजली जाने पर भी दिवाली में आपके घर पर सजी हुई झालर और दीये रोशनी से जगमग होते रहेंगे. गोरखपुर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट के 5 छात्रों की एक टीम ने तकनीक से सोलर लाइट से संचालित झालर और दीये बनाएं हैं. छात्रों ने फिलहाल इस दिवाली पर सीमित मात्रा में उतारा है. लेकिन आने वाली दिवाली में यह लोगों को बड़े स्तर पर उपलब्ध होगी. इसके अलावा प्रदूषण मुक्त पटाखा भी बनाया है.
इलेक्ट्रिक चालित पटाखा
गोरखपुर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट के छात्रों की दूसरी टीम ने भी प्रदूषण रहित और इलेक्ट्रिक चालित पटाखों का भी निर्माण किया है. जो एक बार बनाने के बाद हर साल बजाया जा सकेगा. मतलब इन्वेस्टमेंट एक बार और आनंद बार-बार. यही आनंद सोलर लाइट से संचालित होने वाली झालर और दीये में भी लोगों को देखने को मिलेगा. इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट के इनोवेशन सेल में छात्रों द्वारा अक्सर शोध के नए-नए आयाम को अंजाम दिया जाता है. जिसके क्रम में दिवाली को देखते हुए लोगों में चीन के झालर, दीपक की ललक कम हो और प्रदूषण रहित पटाखों के साथ जेब खर्च पर भी असर न पड़े. इसके लिए छात्रों ने इस उपाय को ढूंढने का प्रयास किया.
इंस्टीट्यूट के छात्रों ने बताया
इंस्टीट्यूट के छात्रों ने वायु प्रदुषण और तेज आवाज वाले पटाखों पर रोक को देखते हुए प्रदूषण रहित पटाखा भी बनाया है. जिसमें चार छात्र प्रशांत शर्मा, अंशु सिंह, आकाश निषाद और अनुराग कुमार सिंह का महत्वपूर्ण योगदान है. ये पटाखें बिजली से चार्ज होते हैं और रिमोट की सहायता से संचालित होते हैं. इंस्टीट्यूट के प्रशांत ने ईटीवी भारत को बताया कि सभी लोंगो ने मिलकर प्रदूषण रहित पटाखे को अभी एक चटाई पटाखे के रूप में डिजाइन किया है, जो रिमोट का बटन एक बार दबाने पर एक सैकेंड मे लगभग 10 बार तेज स्पार्क के साथ आवाज करता है. इस प्रदूषण रहित पटाखे को बढ़ते प्रदूषण और बच्चों की पटाखों से सुरक्षा को ध्यान मे रख कर बनाया गया है. इन पटाखों को बनाने मे लगभग दो से तीन हजार रुपये का खर्चा आया है लेकिन जब हम इसे अधिक मात्रा में तैयार करने में जुटेंगे तो इसकी कीमत और कम हो जाएगी.
चाइनीज प्रोडक्टस को दे रहे टक्कर
छात्र ने बताया कि इसके साथ ही इस पटाखे को लोग कई वर्षों तक इस्तेमाल कर सकते हैं. इसी प्रकार कॉलेज के छात्रों की दूसरी टीम ने बिजली के बिना जलने वाले दिवाली के दीये और झालर का निर्माण किया है. जिसमें बीटेक के पांच छात्र प्रशांत कुमार शर्मा, स्वाति साहनी, शुभम यादव, शुभम उपाध्याय, प्रणय पाण्डेय, विश्वराज सिंह, शामिल हैं. इनकी झालर और दीये सोलर झालर, सोलर दिया और चार्जेबल हैं. आईटीएम गीडा के छात्रों द्वारा दिवाली मे प्रयोग किये जाने वाले प्रोडक्टस चाइनीज प्रोडक्टस को कड़ी टक्कर देने के लिये तैयार हैं.
धूप में होंगे चार्ज
बीटेक छात्र शुभम उपाध्याय और विनीत राय ने बताया कि उनके द्वारा बनाया गया यह सोलर झालर और दिया बिजली की 100 प्रतिशत बचत के साथ-साथ सुरक्षित भी है. बाजार मे बिकने वाला मौजूदा दिवाली का झालर 220 वोल्टेज से संचालित होता है. इसलिये कई बार इससे लोगो को करंट के झटके भी लग जाते हैं लेकिन सोलर दिवाली झालर लाईट, एलईडी के झालर बैटरी से संचालित होते हैं. जिसे 2 घंटे की धूप मिलने पर भी 6 से 8 घंटे तक जला सकते हैं. छात्र प्रशांत कुमार ने बताया कि सोलर झालर और दीये में डे-नाईट सेंसर लगा है. जिसकी मदद से सोलर झालर और दीये धूप से चार्ज होते हैं और रात मे ऑटोमैटिक ऑन हो जाते हैं. इसकी कीमत 10 मीटर 100 एलईडी बल्ब लगी झालर लगभग 200 से 300 रूपये है. दीये भी 25 से 30 रुपये में तैयार हो जाते हैं.
संस्थान के निदेशक ने बताया
संस्थान के निदेशक डॉ. एनके सिंह ने बताया उनके छात्रों का प्रयास सराहनीय है. सोलर झालर और दीये से बिजली की बचत तो होगी ही. साथ ही वातावरण के लिए भी यह बहुत लाभदायक है. ये झालर 100 प्रतिशत वाटर प्रूफ होने के साथ-साथ शॉक प्रूफ हैं. उन्होंने कहा कि इसके पहले भी कॉलेज के इनोवेशन सेल से छात्रों ने स्वचालित मशीनगन, फायर सेफ्टी आर्मी कैंप, सेफ्टी रिंग और हेलमेट भी बनाया है. छात्रों की इस उपलब्धि पर संस्थान के अध्यक्ष नीरज मातनहेलिया, सचिव श्याम बिहारी अग्रवाल, कोषाध्यक्ष निकुंज मातनहेलिया, संयुक्त सचिव अनुज अग्रवाल, निदेशक फार्मेसी डॉ. पीडी पाण्डा, डॉ. आरपी सिंह, डॉ. मनोज कुमार मिश्रा, कुलसचिव डॉ. एसके पाण्डेय समेत सभी शिक्षकों ने छात्रों को बधाई एवं शुभकामना दी.