गोरखपुरः मंडलीय कारागार में बंद कैदियों के अंदर मूर्ति कला और चित्रकला का हुनर और जुनून उनकी रिहाई में मददगार साबित हो सकता है. जो भी कला में बेहतर परिणाम दिखाएगा, उसे उसकी रिहाई में छूट मिलेगी. गोरखपुर जेल के जेलर अरुण कुशवाहा ने कहा कि जेल के अंदर बंद कैदी ने टेराकोटा की मिट्टी से स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों समेत देश की बड़ी राजनीतिक हस्तियों और समाज सुधारकों की बेहतरीन मूर्तियों को बनाकर अपनी कार्यकुशलता का अद्भुत नमूना पेश किया है.
जेलर अरुण कुशवाहा ने बताया कि जनवरी में जिले में गोरखपुर महोत्सव का आयोजन किया गया था. इसमें जिला जज ने जेल प्रशासन को बंदियों में टेराकोटा की मिट्टी से मूर्तिकला और चित्रकला को बढ़ावा देने का सुझाव दिया था. इसको अमल में लाने का परिणाम यह हुआ कि बंदी बड़ी खूबसूरत मूर्तियां बना रहे हैं, जिन्हें देखने पर लगता है कि वह अभी वह उठेंगे.
जेलर ने बताया कि मुख्य रूप से इन मूर्तियों को बनाने का कार्य 2 बंदियों द्वारा किया जा रहा है. इनका नाम सुमन और मिथुन है. गोरखपुर दौरे पर आईं हाईकोर्ट की जस्टिस ज्योत्सना ने जेल के विजिट के दौरान उनके हाथों का हुनर देखकर खुशी जताई. उन्होंने इनके हुनर को और बढ़ाने और अन्य बंदियों को प्रशिक्षण देने की बात कही. इसके माध्यम से इनके जीवन में सुधार आएगा तो आर्थिक लाभ का द्वार भी खुलेगा. उन्होंने कहा कि बंदियों का यह गुण उनके पुनर्वास में सहायक सिद्ध होगा. इनके कार्य को लेकर जेल प्रशासन जो सर्टिफिकेट जारी करेगा, वह उनकी रिहाई में भी मददगार साबित होगा.
जेलर कुशवाहा ने बताया कि बंदियों ने एक दर्जन से ज्यादा लोगों की अद्भुत मूर्तियां बनाई हैं. इसमें पंडित राम प्रसाद बिस्मिल और उनके माता-पिता की मूर्तियां शामिल हैं. बाबा साहब भीमराव अंबेडकर, सुभाष चंद्र बोस, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, महात्मा बुद्ध और भगत सिंह की मूर्तियां लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं. इससे कैदियों का हुनर जमकर दिखता है. यही नहीं इसके अलावा टेराकोटा की मिट्टी से खिलौने और सजावट के सामान भी बनाए जा रहे हैं, जो लोकल बाजारों तक जेल प्रशासन पहुंचाने का कार्य करेगा. इसकी बिक्री से होने वाला लाभ बंदियों को मिलेगा.
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