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गोरखपुर: जिंदगी के लॉकडाउन में श्‍मशान पर पसरा सन्‍नाटा - श्मशान घाटों पर सन्नाटा

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में श्मशान घाटों पर सन्नाटा पसरा है. आम दिनों में जहां 25 से 30 शवों का अंतिम संस्‍कार होता रहा है. लॉकडाउन के चलते दुर्घटनाओं में भी कमी आई है.

लॉकडाउन में श्‍मशान पर पसरा सन्‍नाटा
लॉकडाउन में श्‍मशान पर पसरा सन्‍नाटा
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Published : Apr 19, 2020, 6:58 PM IST

गोरखपुरः सीएम योगी आदित्‍यनाथ के शहर में एक भी कोरोना पॉजिटिव मरीजों का नहीं मिलना सुखद संदेश देने वाला है. यहां श्‍मशान घाटों पर भी सन्‍नाटा पसरा हुआ है. लोग एहतियात के तौर पर घरों में ही रह रहे हैं. ऐसे में जरूरत पड़ने पर ही लोग घरों से बाहर निकल रहे हैं. पुलिस, प्रशासन, डॉक्‍टर, मेडिकल स्‍टाफ, बैंक और मीडिया के अलावा जरूरी सेवाओं के प्रदाता ही बाहर निकल रहे हैं. ऐसे में सीएम सिटी में एक भी कोराना पॉजिटिव मरीज अभी तक नहीं मिला है.

श्‍मशान पर पसरा सन्‍नाटा

कोरोना से डर के बीच श्‍मशान पर भी सन्‍नाटा पसरा हुआ है. लॉकडाउन के बीच जहां दुर्घटनाओं से मौत में कमी आई है. वहीं जहरखुरानी और अन्‍य दुर्घटनाओं में होने वाली मौतें भी कम हुई हैं.

गोरखपुर के राप्‍ती नदी के राजघाट तट पर है बैकुंठ धाम श्‍मशान घाट. इस दौरान यहां पर सन्‍नाटा पसरा हुआ है. आम दिनों में जहां 25 से 30 शवों का अंतिम संस्‍कार यहां होता रहा है. वहीं अब यहां भी शवदाह होते हुए नहीं दिखाई दे रहे हैं. शवदाह के लिए लकडि़यां बेचने वाले कारो‍बारी भी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं.

इसे भी पढ़ें:-एअर इंडिया ने टिकटों की बुकिंग शुरू होने की घोषणा की, चार मई से घरेलू उड़ानों की टिकट

उनका लकड़ी का व्‍यवसाय है. लॉकडाउन लगने के बाद डेड-बॉडी कम आ रही हैं. मुश्किल से दो-तीन शव ही दाह के लिए आ रहे हैं. यहीं उनके परिवार के भरण-पोषण का जरिया है. जो अब ठप पड़ा होने के कारण आजीविका की समस्‍या खड़ी हो गई है.
अजय कुमार निषाद,लकड़ी कारोबारी

सामान्य दिनों में दुर्घटना, जहरखुरानी और अन्य किसी कारण से प्रतिदिन 12 से 15 पोस्टमार्टम प्रतिदिन होता था. इसमें ज्यादातर दुर्घटनाओं से संबंधित मौतें होती रही हैं. सशंकित या जहरखुरानी के केस होते रहे हैं. वह निश्चित तौर पर कम हो गए हैं. सामान्‍य मौतों में पोस्टमार्टम नहीं होता है.
डॉ. श्रीकांत तिवारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी

गोरखपुरः सीएम योगी आदित्‍यनाथ के शहर में एक भी कोरोना पॉजिटिव मरीजों का नहीं मिलना सुखद संदेश देने वाला है. यहां श्‍मशान घाटों पर भी सन्‍नाटा पसरा हुआ है. लोग एहतियात के तौर पर घरों में ही रह रहे हैं. ऐसे में जरूरत पड़ने पर ही लोग घरों से बाहर निकल रहे हैं. पुलिस, प्रशासन, डॉक्‍टर, मेडिकल स्‍टाफ, बैंक और मीडिया के अलावा जरूरी सेवाओं के प्रदाता ही बाहर निकल रहे हैं. ऐसे में सीएम सिटी में एक भी कोराना पॉजिटिव मरीज अभी तक नहीं मिला है.

श्‍मशान पर पसरा सन्‍नाटा

कोरोना से डर के बीच श्‍मशान पर भी सन्‍नाटा पसरा हुआ है. लॉकडाउन के बीच जहां दुर्घटनाओं से मौत में कमी आई है. वहीं जहरखुरानी और अन्‍य दुर्घटनाओं में होने वाली मौतें भी कम हुई हैं.

गोरखपुर के राप्‍ती नदी के राजघाट तट पर है बैकुंठ धाम श्‍मशान घाट. इस दौरान यहां पर सन्‍नाटा पसरा हुआ है. आम दिनों में जहां 25 से 30 शवों का अंतिम संस्‍कार यहां होता रहा है. वहीं अब यहां भी शवदाह होते हुए नहीं दिखाई दे रहे हैं. शवदाह के लिए लकडि़यां बेचने वाले कारो‍बारी भी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं.

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उनका लकड़ी का व्‍यवसाय है. लॉकडाउन लगने के बाद डेड-बॉडी कम आ रही हैं. मुश्किल से दो-तीन शव ही दाह के लिए आ रहे हैं. यहीं उनके परिवार के भरण-पोषण का जरिया है. जो अब ठप पड़ा होने के कारण आजीविका की समस्‍या खड़ी हो गई है.
अजय कुमार निषाद,लकड़ी कारोबारी

सामान्य दिनों में दुर्घटना, जहरखुरानी और अन्य किसी कारण से प्रतिदिन 12 से 15 पोस्टमार्टम प्रतिदिन होता था. इसमें ज्यादातर दुर्घटनाओं से संबंधित मौतें होती रही हैं. सशंकित या जहरखुरानी के केस होते रहे हैं. वह निश्चित तौर पर कम हो गए हैं. सामान्‍य मौतों में पोस्टमार्टम नहीं होता है.
डॉ. श्रीकांत तिवारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी

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