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शब-ए-बरात : चिराग जलाकर घरों को किया जाएगा रोशन

गोरखपुर में आज शब-ए-बरात का पवित्र त्योहार मनाया जाना है. अरबी पंचांग के अनुसार शहवान के 14वें दिन और 15वीं रात को मनाया जाने वाला यह त्योहार बरकत दिलाने वाला होता है. इसे लेकर जिले की सभी दरगाहों, मस्जिदों और कब्रिस्तानों की साफ-सफाई करवाने बाद रंगाई-पुताई कराई गई है. इस दिन लोग घरों में चिराग जलाकर घरों को रोशन करेंगे.

शब ए बरात का त्योहार आज
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Published : Apr 20, 2019, 11:59 AM IST

गोरखपुर : अरबी पंचांग के अनुसार माहे शहवान के 14वें दिन और 15वीं रात शब-ए-बरात का पवित्र त्योहार मनाया जाता है. इसे लेकर लगभग सभी तैयारियां पूरी हो गई हैं. मस्जिद, दरगाह और खास कर कब्रिस्तानों की साफ-सफाई के बाद रंगाई-पोताई की गई है. भरपूर रोशनी का इंतजाम और सजावट भी की गई है. मुस्लिम समुदाय के लोग घरों की सफाई आदि करके चिराग जलाकर घर को रोशन करेंगे.

शब ए बरात का त्योहार आज

ऐसे मनाया जाएगा शब-ए-बरात

  • सभी समुदाय के लोगोंं में इबादत का खास उत्साह देखने को मिलेगा.
  • शहवान माह के 14वें दिन और 15वीं रात को मनाया जाता है त्योहार.
  • मुस्लिम समुदाय के लोग इसे शब-ए-बरात के कहते हैं.
  • इस बार 20 अप्रैल को मनाया जाएगा यह पवित्र त्योहार.
  • मुस्लिम समुदाय के लोग शनिवार का पूरा दिन पाक ग्रंथ कुरान-ए-पाक की तिलावत करेंगे.

शहबान की पन्द्रहवीं रात बड़ी बरकत की होती है. जो व्यक्ति इस रात में अल्लाह की इबादत करे, नफिल नमाज पढ़े, कुरान की तिलावत करे, इसाले सवाब की नीयत से कब्रिस्तान में जाये या बुजुर्गों की मजार का दर्शन करे, तो अल्लाह तआला उसे दोनो जहां की बरकत मुहैय्या करेंगे. इस महीने में उपवास रखने वाले को अल्लाह के दरबार में उच्च स्थान मिलेगा.
- मौलाना समसुल होदा

गोरखपुर : अरबी पंचांग के अनुसार माहे शहवान के 14वें दिन और 15वीं रात शब-ए-बरात का पवित्र त्योहार मनाया जाता है. इसे लेकर लगभग सभी तैयारियां पूरी हो गई हैं. मस्जिद, दरगाह और खास कर कब्रिस्तानों की साफ-सफाई के बाद रंगाई-पोताई की गई है. भरपूर रोशनी का इंतजाम और सजावट भी की गई है. मुस्लिम समुदाय के लोग घरों की सफाई आदि करके चिराग जलाकर घर को रोशन करेंगे.

शब ए बरात का त्योहार आज

ऐसे मनाया जाएगा शब-ए-बरात

  • सभी समुदाय के लोगोंं में इबादत का खास उत्साह देखने को मिलेगा.
  • शहवान माह के 14वें दिन और 15वीं रात को मनाया जाता है त्योहार.
  • मुस्लिम समुदाय के लोग इसे शब-ए-बरात के कहते हैं.
  • इस बार 20 अप्रैल को मनाया जाएगा यह पवित्र त्योहार.
  • मुस्लिम समुदाय के लोग शनिवार का पूरा दिन पाक ग्रंथ कुरान-ए-पाक की तिलावत करेंगे.

शहबान की पन्द्रहवीं रात बड़ी बरकत की होती है. जो व्यक्ति इस रात में अल्लाह की इबादत करे, नफिल नमाज पढ़े, कुरान की तिलावत करे, इसाले सवाब की नीयत से कब्रिस्तान में जाये या बुजुर्गों की मजार का दर्शन करे, तो अल्लाह तआला उसे दोनो जहां की बरकत मुहैय्या करेंगे. इस महीने में उपवास रखने वाले को अल्लाह के दरबार में उच्च स्थान मिलेगा.
- मौलाना समसुल होदा

Intro:गोरखपुर पिपराइचः अरबी पंचांग के अनुसार माहे शहवान की 14वां दिन 15वी रात शब ए बरात का पवित्र त्योहार मनाया जाता है. इस बार 20 अप्रैल शनिवार को मनाई जायेगी. त्योहार को लेकर लगभग सभी तैयारियां मुकम्मल हो गई है. मस्जिद व दरगाह खास कर कब्रिस्तानों की साफ-सफाई के बाद रंगाई पोताई की गई है. भरपूर रोशनी का इन्तजाम व सजावट भी की गई है।समुदाय के लोग घरों की सफाई आदि करके जलते चिराग से घर को रोशन करेंगें. सारी रात इबादत का महौल से रात लिल्लाहियत के गिरयाजारी में गुजरेगी. हर सिम्त समुदाय के सभी वर्ग के लोगो में इबादत का खास उत्साह देखने को मिलेग है.Body:जनपद के बैलों के मदरसा मकतब के इमाम मौलाना समसुल होला ने बताया कि शहवान माह की चौदहवीं दिन एव पन्द्रहवीं रात को मनाये जाने वाले त्योहार को मुस्लिम समुदाय के लोग शब -ए- बरात के नाम से पुकारते है। इस बार यह पवित्र त्योहार 20 अप्रैल शनिवार को पड़ी है. मुस्लिम समुदाय के लोग शनिवार का पूरा दिन पाक ग्रंथ कुर्आन ए पाक की तिलावत करेंगे। सुर्य अस्त के बाद लोग घरों में मीठे पकवान (हल्वा) का फातेहाखानी महान सुफी सन्त हजरते ओवैस करनी रजीअल्लाह तआला अन्हो के नाम कराते है तथा पुर्वजों के रुहों के मोक्ष प्राप्ति के लिए इसाले सवाब भी पहूचाते है। उसके बाद लोगो शहीद, मलंग वली कुतुब अब्दाल के  दरगाहों पर जाकर फातेहा पढना और उनके हवाले से मगफिरत (मुक्ति) की दुआएं मांगते है. वहीं कब्रिस्तान मे अपने पूर्वजों के कब्र पर जाकर उनके मोक्ष प्राप्ति के लिए रब ताला से फरीयाद करेंते हैं कि उनको नर्क से मुक्ति व सर्वग में स्थान दे. सारी रात कुर्आन की तिलावत और नफिली नमाजे अदा की जाती है. अन्त में सुर्योदय से पहले फज्र की नमाज पढने के बाद रविवार को उपवास रखेंगे.

*मुबारक रात में बरकत बरकत ही बरकत बरसती है*

मदरसा मकतब बैलों के उस्तादे हुफ्फाज कारी सादाब रजा और मौलाना समसुल होदा ने कुर्आन व हदीश के हवालों से बताया कि शहबान की पन्द्रहवीं रात बडी बरकत की होती है। जो व्यक्ति इस रात में अल्लाह की इबादत करे, नफिल नमाज पढे, कुर्आन की तिलावत करे, इसाले सवाब की नीयत से कब्रिस्तान में जाये बुजुर्गों के मजार का दर्शन करे तो अल्लाह तआला उसे दोनो जहां की बरकतों व अजमते मुहैय्या करेगा. इस माहीने में उपवास रखने वाले को अल्लाह के दरबार में उच्च स्थान मिलेगा. अल्लाह रहमत के फरिश्तों के जरिये पृथवी लोक पर हुक्म फरमाता है ए बंदो मांगो अपने रब से जो बड़ा रहम करने वाला और गुनाहों को माफ करने वाला हैConclusion:
*बरकत के लिए क्या करना चाहिए क्या नही ?*

इमाम बताते है कि इस अफजल रात में अल्लाह अपने रहमत के सारे दरवाजे खोल देता है. जिससे बंदे मोमिन को अपने गुनाहों, पापों से निजात पाने के लिए रब के दरबार में माफि मागनी चाहिए, अपने गुनाहों से तोबा करना चाहिये. और बिमारी से मुक्ति, आयु मे ईजाफे के लिए,रोजी रोटी मे बडहोत्री के लिए खास तौर पर अपने जायज हसरतों के लिए अल्लाह से फरीयाद करना चाहिए। इस रात को अल्लाह ताला की खास नजर पृथ्वी लोक पर विषेश तौर पर होती है। बंदो की फरीयाद सुनता है और उसको पूरी करता है।
इस मुबारक रात में अतिशबाजी नही करना चाहिए खुराफात से बचना चाहिए. उत्साहित होकर बाईक स्टैंड नही करना चाहिए. इधर उधर टालमटोल करके कीमती रात का वक्त जाया नही करना चाहिए.
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