गोरखपुरः जिले का सहजनवा विधानसभा क्षेत्र यहां सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला इलाका है. जहां छोटी-बड़ी करीब 4 सौ इकाइयां हैं. भविष्य में इसमें लगातार बढ़ोतरी होना तय है. लेकिन यह औद्योगिक इकाइयां स्थानीय किसानों और आसपास के लोगों के लिए परेशानी की बड़ी वजह भी बनती हैं. उद्योगों के लगने से यहां वायु और जल प्रदूषण से लोग परेशान हैं, तो वहीं किसान जमीन का मनमाफिक नहीं, बल्कि सर्किल रेट के आधार पर खरीदे जाने से दुखी हैं. पैसा तो किसानों के जेब में आ रहा है. लेकिन वो खेतिहर जमीन से वंचित होते जा रहे हैं. इस औद्योगिक क्षेत्र में इंजीनियरिंग और डेंटल कॉलेज की कई शाखाएं हैं.
कोरोना की महामारी में ऑक्सीजन की आपूर्ति देने वाले प्लांट भी इसी औद्योगिक क्षेत्र में स्थापित हैं. मौजूदा समय में ये सीट भारतीय जनता पार्टी के खाते में है और यहां के विधायक शीतल पांडेय हैं. जिनकी उम्र 70 साल से अधिक है. ये बेहद सक्रिय विधायक नहीं है. लेकिन गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष रहने की वजह से ये अपनी पुरानी पहचान के बल पर लोगों के मददगार बनते हैं. छात्र राजनीति में इनपर जो भी मुकदमे हुए पर कोई आपराधिक रिकॉर्ड इनका नहीं है. ये इमरजेंसी के दौरान करीब 19 महीने जेल में रहे. जेल से छूटने के बाद ये गोरखपुर विश्वविद्यालय से छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव लड़े और जीते. मजे की बात ये रही कि तेज तर्रार और बेहतरीन वक्ता की छवि रखने वाले शीतल पाण्डेय को विधान सभा में पहुंचने में 60 की उम्र पार करनी पड़ी. जबकि जिस छात्र नेता शिव प्रताप शुक्ला को इन्होंने हराया वो यूपी से लेकर केंद्र की बीजेपी सरकार में मंत्री बनने में कामयाब हुए. मौजूदा दौरे में भी शिव प्रताप राज्य सभा सांसद हैं और सदन में बीजेपी के मुख्य सचेतक की भूमिका निभाते हैं.
सहजनवा विधानसभा क्षेत्र में वर्तमान में कुल 3,69,418 मतदाता हैं. जिनमें 2,01,867 पुरुष और 1,67,551 महिला मतदाता हैं. इसे निर्वाचन क्षेत्र के रूप में 324 नंबर प्रदान किया गया है. ये ब्राह्मण बाहुल्य सीट मानी जाती है. बैकवर्ड वोटर यहां दूसरे नंबर पर हैं. यहां के राजनीतिक सफर की बात करें, तो शारदा प्रसाद रावत जो यादव जाति से बड़े ही मजबूत नेता माने जाते थे. वो प्रदेश के सिंचाई राज्य मंत्री भी रहे. पिछड़ी जाति से ही इनके पुत्र यशपाल रावत भी यहां से एसपी से दो बार विधायक रहे. बीएसपी से देव नारायण उर्फ जीएम सिंह और बृजेश सिंह भी यहां से विधायक चुने गए, जो पिछड़ी जाति से थे. बात करें ब्राह्मण जाति से तो कांग्रेस से किशोरी शुक्ला, बीजेपी से टीपी शुक्ला और वर्तमान में शीतल पाण्डेय विधायक हैं. इस क्षेत्र को औद्योगिक क्षेत्र बनाने का श्रेय किशोरी शुक्ला को जाता है. जब उन्होंने कांग्रेस काल में गीडा की स्थापना कराई थी. शारदा रावत ने नहर और नलकूप की स्थापना पर जोर दिया तो अन्य विधायकों की कोई खास उपलब्धि नहीं रही. वर्तमान विधायक सीएम योगी के करीबी हैं. उनके सांसद प्रतिनिधि भी रहे हैं. जिन्होंने अपने क्षेत्र में अटल आवासीय विद्यालय, आईटीआई कॉलेज, पॉलिटेक्निक कॉलेज की स्थापना कराया है. लेकिन गाहासाड में पुल के निर्माण की सालों पुरानी मांग को ये विधायक भी पूरी नहीं करा पाए हैं. इन्होंने 2017 के चुनाव में यशपाल रावत को हराया था.
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वर्तमान विधायक की उम्र बढ़ती जा रही है, तो उनकी सेहत भी साथ नहीं दे रही. ऐसे में 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का कोई नया चेहरा यहां से चुनाव लड़ सकता है. बाढ़ इस क्षेत्र की गंभीर समस्या बनती है. इस साल भी करीब 60 गांव बाढ़ के चपेट में हैं. राजधानी लखनऊ से चलकर गोरखपुर पहुंचने के लिए सड़क या ट्रेन मार्ग सहजनवा क्षेत्र से होकर गुजरती है. लेकिन साल 1983 से लेकर अबतक सहजनवा से लेकर दोहरीघाट के लिए बनाई जाने वाली नई रेल लाइन की घोषणा तो कई बार हुई, लेकिन आधारशिला अभी तक नहीं रखी गई. ये क्रांतिकारी भूमि रही है. 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यहां के डोहरिया कला स्थान पर अंग्रेजों के खिलाफ आवाज बुलंद करने पर स्थानीय लोगों को अंग्रेजी हुकूमत की गोलियों का शिकार होना पड़ा था. जिनकी याद में डोहरिया में शहीद स्थली का निर्माण हुआ है. यहां के लोगों को बदलाव पसंद है. अस्सी के दशक के बाद यहां से कोई लगातार दो बार जीतकर सदन नहीं पहुंचा.
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