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हर दिन हादसा, हर दिन मौत...ये है सीएम सिटी में सड़क हादसों का रिकॉर्ड - ट्रैफिक पुलिस गोरखपुर

गोरखपुर में साल 2022 में जनवरी माह से लेकर 31 अक्टूबर तक कुल 405 एफआईआर हुई है, जिसमें 430 लोगों ने अपनी जान गवाई है. घायलों की संख्या भी हजारों में हैं.

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गोरखपुर में सड़क हादसों का रिकॉर्ड
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Published : Nov 3, 2022, 8:26 PM IST

गोरखपुर: लोगों को सुरक्षित और यातायात नियमों का पालन करते हुए यात्रा करने की सलाह दी जाती है. पुलिस के साथ परिवहन विभाग मिलकर सालभर यातायात माह का आयोजन कर लोगों को सुरक्षित यात्रा का संदेश भी देते हैं. लेकिन फिर भी लोग छोटी-छोटी भूल और मामूली चूक करते हैं और सड़क हादसे का शिकार होते हैं. गोरखपुर में सड़क हादसे में जान गंवाने वालों का जो आंकड़ा इस वर्ष निकलकर सामने आया है. वह हैरान कर देने वाला है. जी हां आंकड़े इस बात की ओर इशारा करते हैं कि या तो लोग यातायात नियमों का उल्लंघन करते हैं या फिर, जो विभाग और संस्थाएं इन नियमों के पालन करने (road accident record in gorakhpur), कराने के लिए जिम्मेदार हैं. उनकी घोर लापरवाही होती है.

गोरखपुर में सड़क हादसों का रिकॉर्ड

ट्रैफिक पुलिस गोरखपुर (traffic police gorakhpur) के रिकॉर्ड में सड़क हादसे के जो मामले दर्ज हैं. उसमें वर्ष 2022 में जनवरी माह से लेकर 31 अक्टूबर तक कुल 405 एफआईआर हुई है, जिसमें 430 लोगों ने अपनी जान गवाई है. घायलों की संख्या भी हजारों में हैं. लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि यह जान जाने की घटना, निश्चित रूप से गाड़ी चालक की लापरवाही और रोड सेफ्टी के नियमों की अनदेखी की वजह बनती है. गोरखपुर के एसपी ट्रैफिक डॉक्टर एमपी सिंह कहते हैं कि ऐसी घटनाओं को रोके जाने के लिए ही यातायात माह का आयोजन, सड़क सुरक्षा सप्ताह कार्यक्रम चलाया जाता है. लोगों को जागरूक भी किया जाता है. फिर भी यह घटनाएं घट रही हैं. उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से इसे रोकने में उन संस्थाओं और विभागों की भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है, जो इसके लिए जिम्मेदार हैं. कहा कि पीडब्ल्यूडी, एनएचआई और परिवहन विभाग के संयुक्त प्रयास से इन घटनाओं पर रोक लगाई जा सकती है. रोड सेफ्टी के जो मानक है. उसका पालन इन विभागों के द्वारा होना चाहिए. साथ ही जितने ब्लैक स्पॉट हैं. उनको भी सही ढंग से भरा जाना चाहिए, तो दुर्घटनाओं में कमी आ सकती है.

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गोरखपुर में सड़क हादसों का रिकॉर्ड

वर्ष 2021 के भी आंकड़े सड़क हादसे में मौत के लापरवाही की ओर इशारा करते हैं. करीब 549 हादसों में 264 मौतें और 442 लोग घायल हुए थे. पुलिस और परिवहन से जुड़े हुए लोगों का मानना है कि कई जगह पर सड़क का तिराहा और आड़ी- तिरछी बनावट भी सड़क हादसों का कारण भी बनती है. हाथों में देखा जाए तो दो पहिया वाहन सवार अक्सर बड़े वाहनों की चपेट में आए हैं. तो चार पहिया गाड़ियां भी बड़े वाहनों से टकराई हैं, जिसमें लोगों की मौत हुई है. फोरलेन पर गलत तरीके से बने कट और पटरी की तरफ सुरक्षा घेरा न होना हादसे का मुख्य वजह है.

बात करें तो गोरखपुर में सहजनवा थाना क्षेत्र में दाना-पानी रेस्टोरेंट के पास कट की वजह से हादसे होते हैं. इसी प्रकार कालेसर जीरो पॉइंट के पास शहर से लखनऊ जाने और बिहार की तरफ जाने वाले वाहन को पार करते समय लोग हादसे का शिकार हो जाते हैं. दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्र में जिले का बोक्टा चौराहा, कसरवल और भीटी रावत तो है ही, इसके अलावा कोनी तिराहा और महावनखोर भी घटनाओं का केंद्र है. खोराबार थाना क्षेत्र का रामनगर करजहां और मोतीराम अड्डा भी में सड़क हादसे दर्ज किये जाते हैं. सोनबरसा और नौसढ़ तिराहा भी हादसों को दावत देता है.

यह भी पढ़ें- राजधानी लखनऊ में 2 डिग्री सेल्सियस तापमान हुआ कम, प्रदेश के इन जिलों में भी गिरा पारा


गोरखपुर: लोगों को सुरक्षित और यातायात नियमों का पालन करते हुए यात्रा करने की सलाह दी जाती है. पुलिस के साथ परिवहन विभाग मिलकर सालभर यातायात माह का आयोजन कर लोगों को सुरक्षित यात्रा का संदेश भी देते हैं. लेकिन फिर भी लोग छोटी-छोटी भूल और मामूली चूक करते हैं और सड़क हादसे का शिकार होते हैं. गोरखपुर में सड़क हादसे में जान गंवाने वालों का जो आंकड़ा इस वर्ष निकलकर सामने आया है. वह हैरान कर देने वाला है. जी हां आंकड़े इस बात की ओर इशारा करते हैं कि या तो लोग यातायात नियमों का उल्लंघन करते हैं या फिर, जो विभाग और संस्थाएं इन नियमों के पालन करने (road accident record in gorakhpur), कराने के लिए जिम्मेदार हैं. उनकी घोर लापरवाही होती है.

गोरखपुर में सड़क हादसों का रिकॉर्ड

ट्रैफिक पुलिस गोरखपुर (traffic police gorakhpur) के रिकॉर्ड में सड़क हादसे के जो मामले दर्ज हैं. उसमें वर्ष 2022 में जनवरी माह से लेकर 31 अक्टूबर तक कुल 405 एफआईआर हुई है, जिसमें 430 लोगों ने अपनी जान गवाई है. घायलों की संख्या भी हजारों में हैं. लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि यह जान जाने की घटना, निश्चित रूप से गाड़ी चालक की लापरवाही और रोड सेफ्टी के नियमों की अनदेखी की वजह बनती है. गोरखपुर के एसपी ट्रैफिक डॉक्टर एमपी सिंह कहते हैं कि ऐसी घटनाओं को रोके जाने के लिए ही यातायात माह का आयोजन, सड़क सुरक्षा सप्ताह कार्यक्रम चलाया जाता है. लोगों को जागरूक भी किया जाता है. फिर भी यह घटनाएं घट रही हैं. उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से इसे रोकने में उन संस्थाओं और विभागों की भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है, जो इसके लिए जिम्मेदार हैं. कहा कि पीडब्ल्यूडी, एनएचआई और परिवहन विभाग के संयुक्त प्रयास से इन घटनाओं पर रोक लगाई जा सकती है. रोड सेफ्टी के जो मानक है. उसका पालन इन विभागों के द्वारा होना चाहिए. साथ ही जितने ब्लैक स्पॉट हैं. उनको भी सही ढंग से भरा जाना चाहिए, तो दुर्घटनाओं में कमी आ सकती है.

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गोरखपुर में सड़क हादसों का रिकॉर्ड

वर्ष 2021 के भी आंकड़े सड़क हादसे में मौत के लापरवाही की ओर इशारा करते हैं. करीब 549 हादसों में 264 मौतें और 442 लोग घायल हुए थे. पुलिस और परिवहन से जुड़े हुए लोगों का मानना है कि कई जगह पर सड़क का तिराहा और आड़ी- तिरछी बनावट भी सड़क हादसों का कारण भी बनती है. हाथों में देखा जाए तो दो पहिया वाहन सवार अक्सर बड़े वाहनों की चपेट में आए हैं. तो चार पहिया गाड़ियां भी बड़े वाहनों से टकराई हैं, जिसमें लोगों की मौत हुई है. फोरलेन पर गलत तरीके से बने कट और पटरी की तरफ सुरक्षा घेरा न होना हादसे का मुख्य वजह है.

बात करें तो गोरखपुर में सहजनवा थाना क्षेत्र में दाना-पानी रेस्टोरेंट के पास कट की वजह से हादसे होते हैं. इसी प्रकार कालेसर जीरो पॉइंट के पास शहर से लखनऊ जाने और बिहार की तरफ जाने वाले वाहन को पार करते समय लोग हादसे का शिकार हो जाते हैं. दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्र में जिले का बोक्टा चौराहा, कसरवल और भीटी रावत तो है ही, इसके अलावा कोनी तिराहा और महावनखोर भी घटनाओं का केंद्र है. खोराबार थाना क्षेत्र का रामनगर करजहां और मोतीराम अड्डा भी में सड़क हादसे दर्ज किये जाते हैं. सोनबरसा और नौसढ़ तिराहा भी हादसों को दावत देता है.

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