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गोरखपुर: 7 लाख बच्चों को पिलाया जाएगा पोलियो ड्रॉप, एक फरवरी से घर-घर अभियान

गोरखपुर में रविवार से पल्स पोलियो अभियान की शुरुआत हो रही है. अभियान के पहले दिन बूथों पर बच्चों को दवा पिलाई जाएगी. इसके बाद एक फरवरी से स्वास्थ्य विभाग की टीमें घर-घर जाकर पांच साल तक के बच्चों को दवा पिलाएगी.

सीएमओ ऑफिस गोरखपुर
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Published : Jan 31, 2021, 8:23 AM IST

गोरखपुर: जिले में पल्स पोलियो अभियान का रविवार से आगाज होगा. पहले दिन जिले भर में बनाये गये 1891 बूथों पर बच्चों को 'दो बूंद जिंदगी की' मतलब पल्स पोलियो की खुराक दी जाएगी. एक फरवरी से स्वास्थ्य विभाग की टीमें घर-घर जाकर पांच साल तक के बच्चों को दवा पिलाएगी. अभियान के दौरान कुल करीब सात लाख बच्चों को दवा पिलाने का लक्ष्य है. जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. नीरज कुमार पांडेय ने बताया कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुधाकर पांडेय अभियान का शुभारंभ करेंगे. बूथ दिवस के बाद दूसरे दिन से कुल 1592 टीम क्षेत्र में भ्रमण कर बच्चों को पोलियो की खुराक देंगी. सीएमओ ने बताया कि भारत में पोलियो का आखिरी मामला 13 जनवरी 2011 को कोलकता में पाया गया था. इसके बाद से कोई भी केस पुष्ट नहीं हुआ है. बावजूद इसके लगातार पल्स पोलियो अभियान चलाकर पूर्ण प्रतिरक्षण कराया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि इसके पीछे की वजह है पाकिस्तान और अफगानिस्तान में मौजूद पोलियो के वायरस. जब तक पड़ोसी देशों में पोलियो का पूरी तरह से उन्मूलन नहीं हो जाता है तब तक इस अभियान के प्रति सभी को गंभीर रहना होगा. उन्होंने यह भी बताया कि भारत में वाइल्ड पोलियो वायरस-दो का आखिरी मामला वर्ष 2000 में जबकि वाइल्ड पोलियो वायरस-तीन का आखिरी मामला वर्ष 1999 में मिला था. पाकिस्तान और अफगानिस्तान में वाइल्ड पोलियो वायरस एक के कारण वर्ष 2019 में पल्स पोलियो के क्रमशः 128 और 28 मामले सामने आए थे. यही वजह है कि भारत सरकार इस कार्यक्रम के प्रति बेहद गंभीर है और शासन की मंशा के अनुसार इस वायरस से शत-प्रतिशत प्रतिरक्षण हमारा लक्ष्य है. गोरखपुर जिले में पोलियो का कोई केस नहीं है, फिर भी एहतियात रखना होगा.

उन्होंने बताया कि अभियान में विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनीसेफ और यूएनडीपी जैसी संस्थाएं विशेष तौर पर सहयोग कर रही हैं। अभियान संबंध में 12 जनवरी को जिला टॉस्क फोर्स की बैठक की जा चुकी है और सारी तैयारियां मुकम्मल हैं. अभियान 31 जनवरी से तीन फरवरी, चार व पांच फरवरी और छह व सात फरवरी को चलेगा. छूटे हुए बच्चों के लिए भी टीम 9 फरवरी को क्षेत्र में निकलेगी. पिछले साल जनवरी माह में चले अभियान के दौरान कुल 6.97 लाख बच्चों को दवा पिलाई गयी थी. इस बार का अभियान कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए चलाया जाएगा. महिला एवं बाल विकास विभाग (आईसीडीएस) भी अभियान में सक्रिय सहयोग करेगा.

गोरखपुर: जिले में पल्स पोलियो अभियान का रविवार से आगाज होगा. पहले दिन जिले भर में बनाये गये 1891 बूथों पर बच्चों को 'दो बूंद जिंदगी की' मतलब पल्स पोलियो की खुराक दी जाएगी. एक फरवरी से स्वास्थ्य विभाग की टीमें घर-घर जाकर पांच साल तक के बच्चों को दवा पिलाएगी. अभियान के दौरान कुल करीब सात लाख बच्चों को दवा पिलाने का लक्ष्य है. जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. नीरज कुमार पांडेय ने बताया कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुधाकर पांडेय अभियान का शुभारंभ करेंगे. बूथ दिवस के बाद दूसरे दिन से कुल 1592 टीम क्षेत्र में भ्रमण कर बच्चों को पोलियो की खुराक देंगी. सीएमओ ने बताया कि भारत में पोलियो का आखिरी मामला 13 जनवरी 2011 को कोलकता में पाया गया था. इसके बाद से कोई भी केस पुष्ट नहीं हुआ है. बावजूद इसके लगातार पल्स पोलियो अभियान चलाकर पूर्ण प्रतिरक्षण कराया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि इसके पीछे की वजह है पाकिस्तान और अफगानिस्तान में मौजूद पोलियो के वायरस. जब तक पड़ोसी देशों में पोलियो का पूरी तरह से उन्मूलन नहीं हो जाता है तब तक इस अभियान के प्रति सभी को गंभीर रहना होगा. उन्होंने यह भी बताया कि भारत में वाइल्ड पोलियो वायरस-दो का आखिरी मामला वर्ष 2000 में जबकि वाइल्ड पोलियो वायरस-तीन का आखिरी मामला वर्ष 1999 में मिला था. पाकिस्तान और अफगानिस्तान में वाइल्ड पोलियो वायरस एक के कारण वर्ष 2019 में पल्स पोलियो के क्रमशः 128 और 28 मामले सामने आए थे. यही वजह है कि भारत सरकार इस कार्यक्रम के प्रति बेहद गंभीर है और शासन की मंशा के अनुसार इस वायरस से शत-प्रतिशत प्रतिरक्षण हमारा लक्ष्य है. गोरखपुर जिले में पोलियो का कोई केस नहीं है, फिर भी एहतियात रखना होगा.

उन्होंने बताया कि अभियान में विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनीसेफ और यूएनडीपी जैसी संस्थाएं विशेष तौर पर सहयोग कर रही हैं। अभियान संबंध में 12 जनवरी को जिला टॉस्क फोर्स की बैठक की जा चुकी है और सारी तैयारियां मुकम्मल हैं. अभियान 31 जनवरी से तीन फरवरी, चार व पांच फरवरी और छह व सात फरवरी को चलेगा. छूटे हुए बच्चों के लिए भी टीम 9 फरवरी को क्षेत्र में निकलेगी. पिछले साल जनवरी माह में चले अभियान के दौरान कुल 6.97 लाख बच्चों को दवा पिलाई गयी थी. इस बार का अभियान कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए चलाया जाएगा. महिला एवं बाल विकास विभाग (आईसीडीएस) भी अभियान में सक्रिय सहयोग करेगा.

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