गोरखपुरः अपनी स्थापना के 116 वर्ष बाद गोरखपुर जिला अस्पताल ने मरीजों को फिजियोथेरेपी की सुविधा सोमवार 13 फरवरी 2023 से देना प्रारंभ कर दिया है. इस सुविधा केंद्र का उद्घाटन प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजेंद्र ठाकुर की मौजूदगी में सीएमओ डॉ. आशुतोष कुमार दुबे ने किया. मरीजों को यह सुविधा मात्र तीन से पांच रुपये में प्राप्त होगी. बाहर इसी इलाज का खर्च 200-500 खर्च आता हैं. वह मामूली खर्च में ही अब यहां मरीजों को प्राप्त होगा.
मौजूदा समय में सिर्फ हड्डी रोग या एक्सीडेंटल परिस्थितियों से जूझ रहे मरीजों को ही फिजियोथेरेपी की आवश्यकता नहीं है. ऑपरेशन से लेकर नसों से जुड़ी हुई तमाम समस्याओं में फिजियोथेरेपी का होना बेहद अनिवार्य हो गया है, जिसका लाभ लोगों को आसानी से उपलब्ध हो सके, इसका प्रयास जिला अस्पताल प्रबंधन कर रहा था. बात मुख्यमंत्री तक पहुंची थी, जिसके बाद अस्पताल में सुविधा को बनाए जाने के प्रयास हुए और आखिरकार 'नेताजी सुभाष चंद्र बोस अस्पताल' के पैथोलॉजी और ब्लड बैंक परिसर में इस केंद्र का उद्घाटन हो गया. यहां मरीज सस्ता और सुलभ इलाज पा सकेंगे.
प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजेंद्र ठाकुर ने बताया कि प्रदेश सरकार की मुहिम है कि हर गरीब को अच्छी शिक्षा, अच्छे स्वास्थ्य की सुविधा मिले. इसी क्रम में लगातार प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक के द्वारा, प्रदेश के सभी जिला चिकित्सालय का निरीक्षण किया जा रहा है और स्वास्थ सुविधाओं के बारे में मरीजों से जानकारी ली जा रही है. जहां भी सुविधाएं कम हैं, वहां सुविधाओं को बढ़ाने की कवायद में वह लगे हुए हैं.
इसके क्रम में सोमवार को गोरखपुर के जिला चिकित्सालय के कमरा नंबर 53 में फिजियोथेरेपी विभाग का मुख्य चिकित्सा अधिकारी आशुतोष दुबे के द्वारा फीता काटकर उद्घाटन किया गया. इस दौरान जिला चिकित्सालय के फिजियोथैरेपी विभाग के नोडल अफसर सहित अन्य डॉक्टर और कर्मचारी भी उपस्थित रहे. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए बताया कि फिजियोथेरेपी विभाग के बनाए जाने का मुख्य उद्देश्य यही है कि दूरदराज से आने वाले गरीब तबके के मरीजों को सस्ते में फिजियोथेरेपी का लाभ मिल सके.
डॉ. राजेंद्र ठाकुर ने कहा कि दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं. साथ ही लोगों में तनाव के साथ नसों की भी समस्याएं काफी देखने को मिल रही हैं. अस्पताल में ऐसे मरीजों की भीड़ डॉक्टर के पास पहुंच रही है. सभी मामलों में दवा और जांच की आवश्यकता नहीं होती. कुछ में फिजियोथेरेपी अपनाकर भी मरीज को लाभ दिया जा सकता है, लेकिन इसकी सुविधा जिला अस्पताल में नहीं थी. इससे मरीजों को निराश होना पड़ता था, लेकिन अब कोई भी मरीज यहां से निराश होकर नहीं लौटेगा. उसके जेब पर खर्च का बोझ भी नहीं पड़ेगा. उसे बीमारी और दर्द में राहत मिलेगी जो फिजियोथैरेपी संभव हो पाएगा.
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