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स्ट्रेचर पर भर्ती हो रहे मरीज, बेड के लिए मची हाहाकार - बेड के लिए मची हाहाकार

गोरखपुर जिला अस्पताल में मरीजों को बेड नहीं मिल पा रहा है. 305 बेड का जिला अस्पताल पूरी तरह से फुल हो चुका है, जिस वजह से मरीजों को स्ट्रेचर पर भर्ती किया जा रहा है.

brd medical college gorakhpur
बीआरडी मेडिकल कॉलेज.
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Published : May 6, 2021, 2:35 PM IST

गोरखपुर : कोरोना महामारी में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बेड नहीं है. वेंटिलेटर भी फुल हो गए हैं. वहीं जिला अस्पताल में भी ऐसे मरीजों को बेड नहीं मिल पा रहा है, जो दुर्घटना और गंभीर मामलों के हैं. एक तरफ जहां नॉन कोविड मरीज जिला अस्पताल में इलाज के लिए लाए जा रहे हैं तो वहीं कोविड के भी मरीज यहां दस्तक दे रहे हैं. लेकिन बेड न होने की वजह से अब मरीजों को स्ट्रेचर पर ही भर्ती करके डॉक्टर इलाज कर रहे हैं. 305 बेड का जिला अस्पताल पूरी तरह से फुल हो गया है.

brd medical college gorakhpur
स्ट्रेचर पर भर्ती मरीज.

जिला अस्पताल में इलाज कर रहे डॉक्टर मरीज को थोड़ी भी राहत मिलता देखते हैं तो हाथ जोड़कर उन्हें घर जाने का अनुरोध करते हैं. ताकि गंभीर मरीजों को बैरंग न लौटना पड़े. कोविड-19 के मरीज सरकारी अस्पताल, बीआरडी मेडिकल कॉलेज, टीबी हॉस्पिटल और रेलवे हॉस्पिटल में खचाखच भरे पड़े हैं. इन अस्पतालों में नॉन कोविड मरीज भर्ती नहीं किए जा रहे हैं. ऐसे में जिला अस्पताल में भर्ती को लेकर उत्पन्न हुए इस गंभीर स्थिति से निपटने के लिए अगर जल्द कोई दूसरी व्यवस्था नहीं बनाई गई तो यहां आने वाले मरीजों को दिक्कत उठानी पड़ सकती है. देखा जाए तो अन्य मरीजों के साथ छह कोरोना संक्रमित और 92 संक्रमण के लक्षण वाले मरीजों का जिला अस्पताल में भी इलाज चल रहा है, लेकिन यहां पर भर्ती के लिए बेड खाली नहीं है, जिसके लिए हाहाकार मचा हुआ है.

12-12 घंटे की शिफ्ट में ड्यूटी कर रहे डॉक्टर
जिला अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक एससी श्रीवास्तव कहते हैं कि हाउसफुल चल रहे अस्पताल में उनके डॉक्टर उम्मीद से ज्यादा मेहनत कर रहे हैं. वे 12-12 घंटे की शिफ्ट में ड्यूटी कर रहे हैं. नॉन कोविड मरीजों के इलाज में कोई दिक्कत नहीं है. इसका पूरा ख्याल रखा जा रहा है. लेकिन जब बेड ही नहीं होगा तो हम भर्ती कहां करेंगे. मजबूरन गंभीर मरीजों को स्ट्रेचर पर इलाज देना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि उत्पन्न हुई स्थिति में कुछ महत्वपूर्ण वार्डों को बंद भी नहीं किया जा सकता.

ये भी पढ़ें: चुनाव परिणाम में RO ने की गड़बड़ी, उग्र समर्थकों ने पुलिस चौकी में लगाई आग

उन्होंने बताया कि अस्पताल के बर्न वार्ड, हृदय रोग विभाग, इंसेफेलाइटिस ट्रीटमेंट सेंटर, पीडियाट्रिक इंसेंटिव केयर यूनिट और टिटनेस वार्ड में पहले से मरीज भर्ती हैं. इन वार्डों में दूसरे मरीज भर्ती नहीं किए जा सकते. समस्या गंभीर है, जिसके निदान का प्रयास चल रहा है. लेकिन अभी सफलता नहीं मिली है.

गोरखपुर : कोरोना महामारी में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बेड नहीं है. वेंटिलेटर भी फुल हो गए हैं. वहीं जिला अस्पताल में भी ऐसे मरीजों को बेड नहीं मिल पा रहा है, जो दुर्घटना और गंभीर मामलों के हैं. एक तरफ जहां नॉन कोविड मरीज जिला अस्पताल में इलाज के लिए लाए जा रहे हैं तो वहीं कोविड के भी मरीज यहां दस्तक दे रहे हैं. लेकिन बेड न होने की वजह से अब मरीजों को स्ट्रेचर पर ही भर्ती करके डॉक्टर इलाज कर रहे हैं. 305 बेड का जिला अस्पताल पूरी तरह से फुल हो गया है.

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स्ट्रेचर पर भर्ती मरीज.

जिला अस्पताल में इलाज कर रहे डॉक्टर मरीज को थोड़ी भी राहत मिलता देखते हैं तो हाथ जोड़कर उन्हें घर जाने का अनुरोध करते हैं. ताकि गंभीर मरीजों को बैरंग न लौटना पड़े. कोविड-19 के मरीज सरकारी अस्पताल, बीआरडी मेडिकल कॉलेज, टीबी हॉस्पिटल और रेलवे हॉस्पिटल में खचाखच भरे पड़े हैं. इन अस्पतालों में नॉन कोविड मरीज भर्ती नहीं किए जा रहे हैं. ऐसे में जिला अस्पताल में भर्ती को लेकर उत्पन्न हुए इस गंभीर स्थिति से निपटने के लिए अगर जल्द कोई दूसरी व्यवस्था नहीं बनाई गई तो यहां आने वाले मरीजों को दिक्कत उठानी पड़ सकती है. देखा जाए तो अन्य मरीजों के साथ छह कोरोना संक्रमित और 92 संक्रमण के लक्षण वाले मरीजों का जिला अस्पताल में भी इलाज चल रहा है, लेकिन यहां पर भर्ती के लिए बेड खाली नहीं है, जिसके लिए हाहाकार मचा हुआ है.

12-12 घंटे की शिफ्ट में ड्यूटी कर रहे डॉक्टर
जिला अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक एससी श्रीवास्तव कहते हैं कि हाउसफुल चल रहे अस्पताल में उनके डॉक्टर उम्मीद से ज्यादा मेहनत कर रहे हैं. वे 12-12 घंटे की शिफ्ट में ड्यूटी कर रहे हैं. नॉन कोविड मरीजों के इलाज में कोई दिक्कत नहीं है. इसका पूरा ख्याल रखा जा रहा है. लेकिन जब बेड ही नहीं होगा तो हम भर्ती कहां करेंगे. मजबूरन गंभीर मरीजों को स्ट्रेचर पर इलाज देना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि उत्पन्न हुई स्थिति में कुछ महत्वपूर्ण वार्डों को बंद भी नहीं किया जा सकता.

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उन्होंने बताया कि अस्पताल के बर्न वार्ड, हृदय रोग विभाग, इंसेफेलाइटिस ट्रीटमेंट सेंटर, पीडियाट्रिक इंसेंटिव केयर यूनिट और टिटनेस वार्ड में पहले से मरीज भर्ती हैं. इन वार्डों में दूसरे मरीज भर्ती नहीं किए जा सकते. समस्या गंभीर है, जिसके निदान का प्रयास चल रहा है. लेकिन अभी सफलता नहीं मिली है.

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