गोरखपुर: अगर आप खगोल विज्ञान में रुचि रखते हैं, तब यह खबर आपके लिए आज विशेष है. ब्रह्मांड को जानने का एक सुनहरा अवसर आपकी प्रतीक्षा कर रहा है. जी हां हम बात कर रहे हैं 25 अक्टूबर 2022 यानी की आज मंगलवार को होने वाले सूर्य ग्रहण की. यह सूर्य ग्रहण दुनिया के कई देशों में देखा जा सकता है. इनमें मुख्यतः यूरोप, मिडिल ईस्ट, पूर्वोत्तर अमेरिका, वेस्टर्न एशिया, नॉर्थ अटलांटिक महासागर, नॉर्थ इंडियन ओसियन जैसे देश शामिल हैं. इस विषय पर वीर बहादुर सिंह नक्षत्रशाला तारामंडल गोरखपुर के खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया है कि आप अगर आंशिक सूर्य ग्रहण का दीदार करना चाहते हैं तो यहां आकर इसे विशेष दूरबीनों के माध्यम से निशुल्क देख सकते हैं.
क्या होता है ग्रहण
खगोलविद ने बताया कि जब सूर्य, चन्द्रमा और पृथ्वी तीनों खगोलिए पिंड एक सीधी रेखा में आ जाते हैं तब इस अद्भुत खगोलिया घटना को ग्रहण कहते हैं. ग्रहण दो प्रकार के होते हैं. एक सूर्य ग्रहण और दूसरा चंद्र ग्रहण. जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में से चन्द्रमा गुजरता है तो इस खगोलीय घटना को सूर्य ग्रहण कहते हैं. इस दौरान सीधे सूर्य से पृथ्वी पर आने वाली सूर्य की किरणें बीच में चन्द्रमा आ जाने के कारण कुछ समय के लिए बाधित हो जाती हैं और चन्द्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है. इस कारण दिन में ही रात का आभास भी होता है और यह केवल अमावस्या को ही होता है. इसी खगोलीय घटना को ही खगोल विज्ञान की भाषा में सोलर एक्लिप्स या सूर्य ग्रहण कहा जाता है.
प्रत्येक अमावस्या को क्यों नहीं होता सूर्य ग्रहण
प्रत्येक अमावस्या को सूर्य ग्रहण नहीं होता, क्योंकि चन्द्रमा का पृथ्वी से अक्षीय झुकाव 5 डिग्री है. इस कारण चन्द्रमा पृथ्वी का चक्कर लगाते हुए कभी अक्षयीय प्लेन के ऊपर से तो कभी नीचे से गुजर जाता है. लेकिन, जब तीनों एक सीधे रेखा में आ जाते हैं तब ग्रहण की स्थिति बनती है. सूर्य ग्रहण भी चार प्रकार के होते हैं. एक पूर्ण सूर्य ग्रहण, दूसरा आंशिक सूर्य ग्रहण, तीसरा अन्नुलर या बलयाकार या छल्लेदार सूर्य ग्रहण और चौथा हाइब्रिड सूर्य ग्रहण.
पूर्ण सूर्य ग्रहण तब होता है जब चन्द्रमा के कारण सूर्य से पृथ्वी पर आने वाली रोशनी एवम सूर्य का चंद्रमा से पूरी तरह से ढक जाना और कुछ देर के लिए सूर्य की किरणों का दिखना बंद हो जाता है. इस घटना को पूर्ण सूर्य ग्रहण कहा जाता है. दूसरा आंशिक सूर्य ग्रहण जब चन्द्रमा के कारण सूर्य से पृथ्वी पर आने वाली रोशनी एवम सूर्य का आंशिक रूप से दिखाई न देना ही आंशिक सूर्य ग्रहण कहलाता है. तीसरा अन्नुलर/बल्याकार या छल्लेदार सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य से पृथ्वी पर आने वाली रोशनी का चंद्रमा द्वारा ब्लॉक हो जाना और चन्द्रमा का पृथ्वी से दूर होने के कारण सूर्य का बाह्य भाग एक छल्ले या अंगूठी के आकार का दिखाई देना इसे रिंग ऑफ फायर भी कहा जाता है. चौथा हाइब्रिड सूर्य ग्रहण तो बहुत ही दुर्लभ माना जाता है, क्योंकि यह पूर्ण सूर्य ग्रहण और अन्नुलर सूर्य ग्रहण के संयोग से घटित होने वाली खगोलीय घटना होती है.
किस समय दिखाई देगा आशिक सूर्य ग्रहण
भारत में आंशिक सूर्य ग्रहण की शुरुआत शाम 4 बजकर 25 मिनट से 5 बजे तक है. गोरखपुर से इस आंशिक सूर्य ग्रहण को देखने का समय शाम 4 बजकर 38 मिनट से शुरू होगा और सूर्यास्त तक इसे देख सकते हैं. इसके बाद अगला सूर्य ग्रहण 2 अगस्त सन 2027 को होगा जो भारत के कई हिस्सों से देखा जा सकेगा.
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कैसे देखें आंशिक सूर्य ग्रहण
अपनी आंखों से सीधे सूर्य ग्रहण को न देखें. नहीं तो सूर्य से निकलने वाली अल्ट्रा वायलेट किरणें (इंफ्रा रेड) आपकी आंखों को नुकसान पहुंचा सकती हैं या पूरी तरह से अंधापन भी कर सकती हैं. आंशिक सूर्य ग्रहण देखने के लिए हमेशा पॉलिमेराइजड सोलर फिल्टर, सोलर गॉगल्स, सोलर टेलिस्कोप, पिन होल कैमरे या सोलर फिल्टर युक्त बायनोक्यूलर का प्रयोग करें या आप सीधे वीर बहादुर सिंह नक्षत्र शाला (तारामंडल) गोरखपुर में आ करके विभिन्न प्रकार के सोलर टेलिस्कोप्स के माध्यम से आंशिक सूर्य ग्रहण का दीदार निशुल्क कर सकते हैं. इससे संबंधित किसी भी विशिष्ट एवम विशेष खगोलिय जानकारी के लिए आप नक्षत्रशाला के खगोलविद अमर पाल सिंह से जानकारियां भी प्राप्त कर सकते हैं.