गोरखपुर: नई शिक्षा नीति का असर धीरे-धीरे अब गोरखपुर विश्वविद्यालय में भी दिखाई देने लगा है. इसी कड़ी में पंडित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय और विश्व के उत्कृष्ट विश्वविद्यालय मिलकर ट्विनिंग, जॉइंट और ड्यूल डिग्री कोर्स पर काम करेंगे. इसके लिए विश्वविद्यालय ने यूजीसी की नियमावली के तहत समिति भी गठित कर दी है.
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने देश के सर्वश्रेष्ट विश्वविद्यालय जो नैक मूल्यांकन में 3.01 और उससे अधिक स्कोर रखते हों, या NIRF श्रेष्ट 100 या वर्ल्ड रैंकिंग में श्रेष्ठतम 500 में अपनी योग्यता रखतें हों, उसे विश्व के अन्य श्रेष्ट विश्वविद्यालयों के साथ सम्मिलित डिग्री ऑफर करने के लिए योग्य किया गया है. ऐसे भारतीय विश्वविद्यालयों को सयुंक्त उपाधि के लिए यूजीसी से पूर्व मंजूरी नहीं लेनी होगी.
ऐसी डिग्री किसी भी अन्य भारतीय डिग्री की समकक्षता, लाभ, अधिकार और विशेषाधिकार रखेगी. इस कार्यक्रम के अंतर्गत आने वाले छात्र को सम्बंधित विदेशी विश्वविद्यालय से 30 प्रतिशत से अधिक क्रेडिट पास करना होगा. दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने नैक मूल्याकन में 3.78 स्कोर के साथ उक्त डिग्री के लिए योग्यता रखते हुए, यूजीसी, नई दिल्ली के निर्देशानुसार समिति का गठन कर दिया है. जो पॉलिसी-डॉक्यूमेंट का निर्धारण, विनिमयन और अंतर्राष्ट्रीय शैक्षिणक सहयोग के सरलता में कार्य करेंगी.
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यूजीसी के भारतीय और विदेशी संस्थानों के साथ डुअल डिग्री, जॉइंट डिग्री और ट्विनिंग डिग्री कार्यक्रमों को नोटिफिकेशन के आधार पर मंजूर किया जाएगा. भारतीय और विदेशी उच्चतर शिक्षा संस्थानों के बीच शैक्षणिक सहयोग विनिमय 2022 के क्रम में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने विदेशी विश्वविद्यालय के साथ ट्विनिंग, जॉइंट और ड्यूल डिग्री कार्यक्रमों का संचालन करने के लिए जो समिति गठित की है, उसमें, प्रो. दिनेश यादव के नेतृत्व में (निदेशक शोध) समिति कार्य करेगी. जिसमें डॉ. रामवंत गुप्ता (निदेशक इंटरनेशनल सेल), डॉ. सचिन कुमार सिंह (रसायन विज्ञान विभाग) और डॉ. अम्बरीश श्रीवास्तव (भौतिक विज्ञान विभाग) सदस्य के रूप में कार्य करेंगे.
गोरखपुर विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. महेंद्र सिंह ने बताया कि उक्त शैक्षणिक सहयोग विनिमय से गोरखपुर विश्वविद्यालय के होनहार छात्र विदेशी संस्थानों के पाठ्यक्रम के माध्यम से उच्च-शिक्षा को अंतरराष्ट्रीयकरण और बहुविषयक शिक्षा की ओर ले जा सकेंगे. वहीं, विदेशी छात्रों के लिए गोरखपुर विश्वविद्यालय में अध्ययन शैक्षणिक और बौद्धिक सहयोग आसान होगा.
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