गोरखपुरः प्रदेश में चल रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के बीच गोरखपुर में एक ऐसा भी गांव है जहां आजादी के बाद पहली बार ग्राम प्रधान चुना जाएगा. यह गांव बेहद खास है और यहां पर रहने वाले लोग भी खास हैं. यही वजह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रत्येक वर्ष यहां के लोगों के साथ दीपावली मनाते हैं. इस गांव का नाम 'वनटांगिया' है. जंगल से घिरे करीब ढाई हजार से अधिक आबादी वाले इस गांव को स्वतंत्र भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था से जोड़ने की पहल और प्रयास मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार में हुआ.
17 सितंबर 2017 को मिला राजस्व गांव का दर्जा
17 सितंबर 2017 को योगी की सरकार ने इस गांव को राजस्व गांव का दर्जा दिला कर केंद्र और प्रदेश सरकार की चलाई जा रही जन कल्याणकारी योजनाओं से इसे लाभान्वित करना शुरू किया. इसके बाद यहां के लोग मुख्यधारा से जुड़ने लगे हैं. पहली बार अपने मताधिकार का प्रयोग कर ग्राम प्रधान चुनने जा रहे लोगों में उल्लास और उत्सव का माहौल है.
गोरखपुर के साथ महाराजगंज जिले के भी वनटांगिया समुदाय के लोग पहली बार अपना प्रधान चुनेंगे. गोरखपुर में इस समुदाय के पांच टोलों को मिलाकर एक ग्राम पंचायत का गठन हुआ है, जिसमें मतदाताओं की संख्या करीब 1950 है. पहली बार होने जा रहे चुनाव में यह सीट अनुसूचित जाति के खाते में गई है. यहां से कुल 2 दावेदार चुनावी मैदान में है. लेकिन यहां बसे हुए लोगों में इस बात को लेकर खुशी है कि योगी आदित्यनाथ ने यहां के विकास और सम्मान के साथ जो प्यार और पहचान दिया है अब ग्राम पंचायत के बन जाने से भविष्य की कई और जरूरी सुविधाओं के पूरे होने की उम्मीद जग गई है. यहां के लोग अपने मताधिकार के प्रयोग को लेकर बेहद ही उत्साहित हैं.
विकास की नजीर पेश कर रहा गांव
वनटांगिया के लोगों का कहना है कि जिस प्रकार जंगल में बसे उन लोगों तक योगी जी ने सड़क, बिजली, पानी, शौचालय, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री आवास, स्कूल, राशन की दुकान, आंगनबाड़ी केंद्र सभी सुविधाओं को पहुंचाया है. वैसे ही उनके सम्मान में वह पंचायत के चुनाव में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेंगे. जंगल की जमीन पर खेती-बाड़ी और सब्जियों को उगाते चले आ रहे लोगों का कहना है कि जिस जमीन पर वह खेती बाड़ी कर रहे हैं. वही जमीन खसरा- खतौनी में उनके हक और हिस्से में दर्ज हो जाए तो उनका जीवन खुशहाल हो जाएगा.
वनटांगिया गांव अंग्रेजी शासन में 1918 के आसपास बताया गया था. जिसका मकसद साखू के पौधों का रोपण करके एक बड़ा वन क्षेत्र तैयार करना था. इन पौधों की देखभाल करने के लिए जिन लोगों को यहां बसाया गया वह अपने आसपास की जमीनों पर खेती-बाड़ी कर जो कुछ भी फसल उगाते वह उनके जीवन जीने का सहारा बना. कुसम्ही जंगल के 5 टोले में इस समुदाय के लोग रहते हैं. अस्सी और 90 के दशक के बीच इन्हें जंगल से बेदखल करने की कोशिश भी की गई थी. उस दौरान गोली भी चली थी, 2 लोगों की मौत हुई और 28 लोग घायल भी हुए थे.
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2009 से वनटांगियों के बीच दीवाली मनाते हैं सीएम योगी
इसके बाद भी यहां के लोग यहीं के होकर रहे गए. इनके संकल्प और मेहनत को देखते हुए योगी आदित्यनाथ बतौर सांसद इनके बीच आते रहे. यहां के बच्चों के पढ़ाई- लिखाई के लिए उन्होंने गोरक्षनाथ पीठ की तरफ से एक पाठशाला की स्थापना भी कराई. वर्ष 2009 से लगातार इनके बीच वह दिवाली के दिन पहुंचकर दिवाली मनाते आ रहे हैं. यही वजह है कि उनके कार्यकाल में इस समुदाय के लोगों को देश की मुख्यधारा, मौलिक अधिकारों के प्रति सजगता और संविधान में वर्णित व्यवस्थाओं से जुड़ने का अवसर मिल रहा है. जहां की सरकार पहली बार 2 मई को चुनी जाएगी, जिसका मतदान 15 अप्रैल को संपन्न होगा.