गोरखपुर: तकनीकी शिक्षा का पूर्वांचल में सबसे बड़ा केंद्र मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (MMMUT) वर्ष 2024 के आगाज के साथ शोध के क्षेत्र में छात्रों को बड़ा अवसर देने जा रहा है. नए साल में दो बार शोध पात्रता परीक्षा आयोजित होगी. जिसके आधार पर शोध के लिए दाखिले दिए जाएंगे. नई शिक्षा नीति के मसौदे के तहत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर जेपी सैनी ऐसी योजना को लागू करने में जुटे हैं.
BTech वाले बिना MTech किए ले सकेंगे PHD में प्रवेशः यही नहीं अब बीटेक के वह छात्र भी शोध पात्रता परीक्षा में सीधे तौर पर शामिल हो सकेंगे जिन्होंने 75% अंक अपने बीटेक की परीक्षा में हासिल किया है. उन्हें एमटेक करने की जरूरत नहीं होगी. ईटीवी भारत से बातचीत में कुलपति ने इस बात का साफ जिक्र किया कि शोध के कई अन्य पहलुओं को अपनाया जा रहा है. भारत सरकार के पोर्टल पर शुद्ध प्रपत्र को अपलोड करने की प्रक्रिया भी चल रही है, जिससे जनरल भी प्रकाशित होंगे और शोध के लिए सरकार से ग्रांट भी मिलने की उम्मीद जगेगी.
शोध और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए बदलाव किए गएः कुलपति ने कहा कि शोध के क्षेत्र में छात्रों को कौशल प्रदान करने के लिए पिछले दिनों विद्या परिषद की बैठक में इस पर मोहर लगाई गई है. इसीलिए रिसर्च और इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए एक प्रोफेसर को अलग से डीन रिसर्च की जिम्मेदारी दी गई है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शोध और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए किए गए प्रावधानों के अंतर्गत, यह सब बदलाव किए जा रहे हैं.
PHD के लिए एमटेक की जरूरत नहींः विश्वविद्यालय की कार्य योजना के मुताबिक अब बीटेक के विद्यार्थियों को पीएचडी करने के लिए एमटेक करने की बाध्यता नहीं होगी. वह सीधे पीएचडी में प्रवेश की प्रक्रिया का हिस्सा बन सकेंगे. इस प्रक्रिया से सिर्फ मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के छात्र ही नहीं बल्कि दूसरे संस्थानों के छात्रों को भी जुड़ने का अवसर मिलेगा. पीएचडी में प्रवेश के लिए साल में एक बार होने वाली परीक्षा अब दो बार होगी.
नई योजना से PHD में प्रवेश के अधिक अवसर मिलेंगेः इससे मेधावी छात्रों के पास पीएचडी में प्रवेश के अधिक अवसर होंगे और शोध की गुणवत्ता भी बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के शोध का डंका दुनिया के कई देशों में बजता है. अच्छी सैलरी और पैकेज वाली नौकरियों की बरसात हुई है. विश्वविद्यालय का प्लेसमेंट सेल भी लगातार सक्रिय है और पिछले तीन वर्षों में प्रतिवर्ष 1000 से अधिक छात्र प्लेसमेंट पा रहे हैं. यह विश्वविद्यालय की गुणवत्ता को दर्शाता है. यहां का एवरेज पैकेज साढ़े सात लाख से ऊपर जा रहा है.
राज्य आपदा प्रबंधन ने विश्वविद्यालय से मांगा था प्रोजेक्टः कुलपति ने बताया कि राज्य आपदा प्रबंधन ने विश्वविद्यालय के मेधावी और शोध छात्रों से आपदा प्रबंधन और शमन पर शोध के लिए प्रस्ताव मांगा था जो अपलोड किया गया है. उसे स्वीकार करते हुए शोध की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का बस इंतजार है. इसमें यह बताया जा सकेगा कि कैसे आपदा के प्रभाव को नियंत्रित और कम किया जा सकता है. इन शोध पर करीब 15 करोड़ से अधिक का बजट भी खर्च होगा.
आपदा के प्रभाव को कम करने का प्रोजेक्ट तैयारः विश्वविद्यालय के डीन प्लानिंग प्रोफेसर आरडी पटेल ने बताया कि आपदा प्रबंधन और शमन पर शोध के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन फंड और राज्य आपदा फंड निर्धारित है. बिजली से जुड़ी आपदा के प्रबंधन का प्रस्ताव इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग ने भूकंप और बाढ़ जैसी आपदा को नियंत्रित करने का प्रस्ताव सिविल इंजीनियरिंग, आग लगने पर नियंत्रण का प्रस्ताव मैकेनिकल इंजीनियरिंग और रसायन से जुड़ी आपदा के प्रभाव को न्यूनतम करने का प्रस्ताव केमिकल इंजीनियरिंग में तैयार किया है. कंप्यूटर साइंस और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग विभाग ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए आपदा का पता लगाने और उसका प्रभाव को कम करने का प्रस्ताव बनाया है. विश्वविद्यालय को अब उसे प्रस्ताव की मंजूर करने का इंतजार है.