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पूर्वोत्तर रेलवे ने दो लाख टन कार्बन उत्सर्जन रोकने में हासिल की सफलता, ऊर्जा संरक्षण पर भी काम जारी

पूर्वोत्तर रेलवे अपनी नीतियों के जरिए प्रदूषण मुक्त भारत अभियान को बढ़ावा दे रहा है. इसके अलावा प्रदूषण नियंत्रण और ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में भी बड़ी उपलब्धि हासिल की है.

Gorakhpur
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Published : Jun 17, 2023, 5:16 PM IST

पूर्वोत्तर रेलवे ऊर्जा संरक्षण पर जोर दे रहा है.

गोरखपुर : प्रदूषण को रोकने और कम करने के मामले में पूर्वोत्तर रेलवे ने मिसाल कायम की है. अपने संसाधनों और नीतियों के बल पर एनईआर ने 3031 किलोमीटर तक रेलवे लाइन का पूरी तरह से विद्युतीकरण किया है. प्रदूषण नियंत्रण और ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में बड़ा पायदान हासिल किया. इसके अलावा पौधरोपण और सोलर एनर्जी पर भी रेलवे का पूरा जोर है. इसके जरिए पूर्वोत्तर रेलवे ने करीब दो लाख टन कार्बन उत्सर्जन रोकने में सफलता प्राप्त की है.

पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि पूर्वोत्तर रेलवे करीब एक लाख 84000 टन कार्बन उत्सर्जन रोकने में सफल रहा है. इससे बहुत बड़े क्षेत्रफल में प्रदूषण की समस्या नियंत्रित होगी. डीजल की खपत कम या कह सकते हैं कि बंद हो गई है. इलेक्ट्रिक इंजन के प्रयोग से प्रति वर्ष सात करोड़ लीटर डीजल बच रहा है. इससे बहुत बड़ी धनराशि की भी बचत हो रही है. पूर्वोत्तर रेलवे में कुल 75 एक्सप्रेस ट्रेन और 85 ट्रेनें हैं. इसके अलावा अन्य जोन की भी ट्रेन यहां से गुजरती हैं. इसके अलावा पौधरोपण और सोलर एनर्जी पर रेलवे ने पूरा जोर दिया है. इससे प्रदूषण मुक्त भारत अभियान को काफी सपोर्ट मिलता दिखाई दे रहा है.

पूर्वोत्तर रेलवे बेहतर कार्य कर रहा है.
पूर्वोत्तर रेलवे बेहतर कार्य कर रहा है.

शत प्रतिशत विद्युतीकरण का कार्य पूरा : मुख्य जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि, पूर्वोत्तर रेलवे हरित रेलवे की तरफ तेजी से बढ़ रहा है. नेट कार्बन उत्सर्जन को शून्य करने के लिए शत प्रतिशत रेल मार्ग का विद्युतीकरण पूरा कर लिया गया है. हरियाली फैलाने के लिए मुख्यालय गोरखपुर के अलावा लखनऊ, वाराणसी और इज्जत नगर मंडल में भी व्यापक पैमाने पर पौधरोपण, स्टेशन और कॉलोनियों में सोलर पैनल लगाए गए हैं. उन्होंने कहा कि जो डीजल इंजन पूर्वोत्तर रेलवे के विभिन्न रूटों पर चला करते थे, वह भारत सरकार के निविदा नियमों के तहत कुछ ऐसे देशों को भेजे गए हैं, जहां पर अभी भी डीजल इंजन का उपयोग रेल संचालन से लेकर अन्य कार्य में किया जाता है. वहीं देश के अंदर भी कुछ व्यावसायिक कंपनियों ने भी अपने यहां माल ढुलाई के लिए इस तरह के इंजन को खरीदा है. उन्होंने कहा कि अब सिर्फ मीटर गेज यानी कि छोटी लाइन पर डीजल इंजन, बहराइच- नानपारा और मैलानी के बीच चल रहा है. यह भी कुछ समय के बाद हट जाएगा. उन्होंने कहा कि इस वित्तीय वर्ष में 2 लाख 82 हजार मीट्रिक टन फुट प्रिंट कार्बन की बचत हुई है. कार्बन की गणना इकाई फुट प्रिंट है. इसी से माप होती है.

ध्वनि प्रदूषण पर भी लगा अंकुश : मुख्य जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि पूर्वोत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल में 828.54 किलोमीटर, वाराणसी मंडल में 1262.28 किलोमीटर और इज्जत नगर मंडल में 940.41 किलोमीटर रेल मार्ग का विद्युतीकृत हो गया है. इलेक्ट्रिक इंजनों में हेड ऑन जनरेशन (HOG) का उपयोग होने से पावर कार में भी डीजल की खपत लगभग समाप्त हो गई है. इससे कोच में लाइट, पंखा, एसी चला करते थे. पावर कार नहीं चलने से ध्वनि प्रदूषण पर भी अंकुश लग गया है. करीब 14 हजार किलो लीटर डीजल बचा है. वर्ष 2018-19 से वर्ष 2022-23 की तुलना की जाय तो अब प्रति वर्ष 95 हजार किलो लीटर डीजल की बचत हुई है. इससे हजारों करोड़ रुपए बचे हैं. इसके अलावा री जनरेटिंग एनर्जी से भी उर्जा संचयन और उपयोग का कार्य हुआ है. जब ब्रेकिंग होती है तो उस दौरान जो एनर्जी निकलती है उसको इलेक्ट्रिकल एनर्जी में कनवर्ट कर लिया जाता है. इससे रेलवे ने 2022-23 में 45 हजार मेगावाट प्रति घंटे की उर्जा प्राप्त की. उन्होंने कहा कि रेलवे लगातार ऊर्जा संरक्षण और प्रदूषण को रोकने में क्रियाशील है. इसके सार्थक परिणाम भी सामने आने लगे हैं.

यह भी पढ़ें : गोरखपुर स्टेशन पर दबाव होगा कम, सेटेलाइट सिटी स्टेशन बनेगा कई ट्रेनों का नया ठिकाना

पूर्वोत्तर रेलवे ऊर्जा संरक्षण पर जोर दे रहा है.

गोरखपुर : प्रदूषण को रोकने और कम करने के मामले में पूर्वोत्तर रेलवे ने मिसाल कायम की है. अपने संसाधनों और नीतियों के बल पर एनईआर ने 3031 किलोमीटर तक रेलवे लाइन का पूरी तरह से विद्युतीकरण किया है. प्रदूषण नियंत्रण और ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में बड़ा पायदान हासिल किया. इसके अलावा पौधरोपण और सोलर एनर्जी पर भी रेलवे का पूरा जोर है. इसके जरिए पूर्वोत्तर रेलवे ने करीब दो लाख टन कार्बन उत्सर्जन रोकने में सफलता प्राप्त की है.

पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि पूर्वोत्तर रेलवे करीब एक लाख 84000 टन कार्बन उत्सर्जन रोकने में सफल रहा है. इससे बहुत बड़े क्षेत्रफल में प्रदूषण की समस्या नियंत्रित होगी. डीजल की खपत कम या कह सकते हैं कि बंद हो गई है. इलेक्ट्रिक इंजन के प्रयोग से प्रति वर्ष सात करोड़ लीटर डीजल बच रहा है. इससे बहुत बड़ी धनराशि की भी बचत हो रही है. पूर्वोत्तर रेलवे में कुल 75 एक्सप्रेस ट्रेन और 85 ट्रेनें हैं. इसके अलावा अन्य जोन की भी ट्रेन यहां से गुजरती हैं. इसके अलावा पौधरोपण और सोलर एनर्जी पर रेलवे ने पूरा जोर दिया है. इससे प्रदूषण मुक्त भारत अभियान को काफी सपोर्ट मिलता दिखाई दे रहा है.

पूर्वोत्तर रेलवे बेहतर कार्य कर रहा है.
पूर्वोत्तर रेलवे बेहतर कार्य कर रहा है.

शत प्रतिशत विद्युतीकरण का कार्य पूरा : मुख्य जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि, पूर्वोत्तर रेलवे हरित रेलवे की तरफ तेजी से बढ़ रहा है. नेट कार्बन उत्सर्जन को शून्य करने के लिए शत प्रतिशत रेल मार्ग का विद्युतीकरण पूरा कर लिया गया है. हरियाली फैलाने के लिए मुख्यालय गोरखपुर के अलावा लखनऊ, वाराणसी और इज्जत नगर मंडल में भी व्यापक पैमाने पर पौधरोपण, स्टेशन और कॉलोनियों में सोलर पैनल लगाए गए हैं. उन्होंने कहा कि जो डीजल इंजन पूर्वोत्तर रेलवे के विभिन्न रूटों पर चला करते थे, वह भारत सरकार के निविदा नियमों के तहत कुछ ऐसे देशों को भेजे गए हैं, जहां पर अभी भी डीजल इंजन का उपयोग रेल संचालन से लेकर अन्य कार्य में किया जाता है. वहीं देश के अंदर भी कुछ व्यावसायिक कंपनियों ने भी अपने यहां माल ढुलाई के लिए इस तरह के इंजन को खरीदा है. उन्होंने कहा कि अब सिर्फ मीटर गेज यानी कि छोटी लाइन पर डीजल इंजन, बहराइच- नानपारा और मैलानी के बीच चल रहा है. यह भी कुछ समय के बाद हट जाएगा. उन्होंने कहा कि इस वित्तीय वर्ष में 2 लाख 82 हजार मीट्रिक टन फुट प्रिंट कार्बन की बचत हुई है. कार्बन की गणना इकाई फुट प्रिंट है. इसी से माप होती है.

ध्वनि प्रदूषण पर भी लगा अंकुश : मुख्य जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि पूर्वोत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल में 828.54 किलोमीटर, वाराणसी मंडल में 1262.28 किलोमीटर और इज्जत नगर मंडल में 940.41 किलोमीटर रेल मार्ग का विद्युतीकृत हो गया है. इलेक्ट्रिक इंजनों में हेड ऑन जनरेशन (HOG) का उपयोग होने से पावर कार में भी डीजल की खपत लगभग समाप्त हो गई है. इससे कोच में लाइट, पंखा, एसी चला करते थे. पावर कार नहीं चलने से ध्वनि प्रदूषण पर भी अंकुश लग गया है. करीब 14 हजार किलो लीटर डीजल बचा है. वर्ष 2018-19 से वर्ष 2022-23 की तुलना की जाय तो अब प्रति वर्ष 95 हजार किलो लीटर डीजल की बचत हुई है. इससे हजारों करोड़ रुपए बचे हैं. इसके अलावा री जनरेटिंग एनर्जी से भी उर्जा संचयन और उपयोग का कार्य हुआ है. जब ब्रेकिंग होती है तो उस दौरान जो एनर्जी निकलती है उसको इलेक्ट्रिकल एनर्जी में कनवर्ट कर लिया जाता है. इससे रेलवे ने 2022-23 में 45 हजार मेगावाट प्रति घंटे की उर्जा प्राप्त की. उन्होंने कहा कि रेलवे लगातार ऊर्जा संरक्षण और प्रदूषण को रोकने में क्रियाशील है. इसके सार्थक परिणाम भी सामने आने लगे हैं.

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