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मुक्तिघाट पर वसूली को लेकर सख्त हुआ निगम प्रशासन - गोरखपुर जिले में अंत्येष्टि स्थल पर अव्यवस्था

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में अंत्येष्टि स्थल पर अव्यवस्था को लेकर प्रशासन सख्त हो गया है. वहीं, शवों की संख्या देखकर मौत के सरकारी आंकड़ों पर भी सवाल खड़ा हो रहा है.

गोरखपुर में अंत्येष्टि स्थल
गोरखपुर में अंत्येष्टि स्थल
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Published : May 3, 2021, 7:48 PM IST

गोरखपुरः कोरोना महामारी में मौत के आंकड़े को लेकर प्रदेश की सरकार हो या जिला प्रशासन या फिर स्वास्थ्य महकमा, किसी के भी दावे यकीन करने लायक नहीं लगते. गोरखपुर के मुक्तिधाम घाट पर नजर डालो तो अंतिम संस्कार को देखकर यह लगता है कि कागजी दावों में बिल्कुल हकीकत नहीं है. सरकारी आंकड़े में जो मौत दर्ज होती हैं, उनकी संख्या मुक्तिधाम पर होते अंत्येष्टि की तुलना में बहुत कम नजर आती है. इसकी पुष्टि ऐसे भी होती है क्योंकि मृतक को एंबुलेंस के जरिए कोरोना प्रोटोकॉल के तहत बनाए गए कपड़े में लेकर पहुंचाया जाता है. यहां मौजूद नगर निगम के कर्मचारी इन शवों को रिसीव करते हैं और घरवालों की इच्छा के मुताबिक लकड़ी, गैस आधारित या विद्युत चालित व्यवस्था के से शव का अंतिम संस्कार करते हैं.

गोरखपुर में अंत्येष्टि स्थल

रुपयों की वसूली पर नगर आयुक्त सख्त, 4 सदस्यीय कमेटी बनेगी
अंत्येष्टि स्थल पर तैनात कर्मचारियों के द्वारा कोरोना से जान गंवाने वाले मरीजों के परिजनों से रुपयों की वसूली की बात भी सामने आई थी. यहां तक की लकड़ी का दाम भी कुछ लोगों से वसूला गया था. इसकी शिकायत नगर आयुक्त अविनाश सिंह तक पहुंची. इसके बाद उन्होंने मौके का मुआयना किया और 4 सदस्यीय टीम गठित करके, इस पर पूरी निगरानी करने और आने वाली शिकायतों के आधार पर कार्रवाई करने की बात कही. उन्होंने कहा कि इस कमेटी में नगर निगम के मुख्य अभियंता, सहायक नगर आयुक्त, नगर स्वास्थ्य अधिकारी और प्रवर्तन दल के प्रभारी शामिल हैं, जो विपदा की इस घड़ी में पीड़ित परिजनों की पूरी मदद करेंगे. उन्होंने कहा कि अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी मुफ्त उपलब्ध कराई जाएगी और किसी भी तरह से अंत्येष्टि होने पर परिजनों से शुल्क नहीं वसूला जाएगा.

31 प्लेटफॉर्म उपलब्ध
बाबा मुक्तेश्वरनाथ मुक्तिधाम (अंत्येष्टि स्थल) पर पार्थिव शरीर के शवदाह के लिए 31 प्लेटफार्म उपलब्ध हैं. इसमें कवर्ड ओपेन प्लेटफार्म के साथ लकड़ी एवं गैस आधारित, प्रदूषण मुक्त शवदाह संयंत्र की व्यवस्था उपलब्ध है. अंत्येष्टि स्थल पर शव के दाह संस्कार एवं साफ सफाई हेतु दो पालियों में 15-15 कर्मचारियों को तैनात किया गया है. इसी के साथ दाहसंस्कार के उचित प्रबंधन हेतु प्रवर्तन दल के जवानों की शिफ्टवार 4-4 की संख्या में तैनाती की गई है. इसके साथ अंत्येष्टि स्थल के सम्पूर्ण पर्यवेक्षण हेतु 4 वरिष्ठ अधिकारियों को भी तैनात किया गया है.

शौचालय और स्नानागार
मृतकों के परिजनों के लिए शौचालय और स्नानागार की व्यवस्था भी की गई है. साथ ही साथ पेयजल एवं उचित प्रकाश व्यवस्था भी कराई गई है. शवों को ले जाने के लिए स्ट्रेचर की व्यवस्था भी है. जिन कर्मचारियों द्वारा दाह संस्कार का कार्य कराया जाता है, उनके के लिये पीपीई किट एवं सैनेटाइजर की व्यवस्था भी अंत्येष्टि स्थल के कंट्रोल रूम पर उपलब्ध है.

इसे भी पढ़ेंः टॉस से भी जब नहीं हुआ जीत-हार का फैसला तब पर्ची का लिया सहारा

वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी पर रोक
नगर आयुक्त ने प्रवर्तन दल के प्रभारी कर्नल सीपी सिंह को भी इस जांच टीम में शामिल किया है. शिकायत आई थी कि रात के समय अंत्येष्टि करने में निगम के कर्मचारी 40 हजार रुपये तक की मांग कर रहे थे. मौके पर पुलिस की टीम भी पहुंच गई थी. यही वजह है कि नगर आयुक्त ने सख्ती बढ़ाई है. स्वास्थ विभाग के आंकड़ों में कोरोनावायरस से मौत उनके पोर्टल पर काफी देर से अपलोड होती है. उनके आंकड़ों के मुताबिक अभी तक कुल 428 लोगों की मौत हुई है, जबकि श्मशान घाट का नजारा कुछ और ही दिखाता है. मरने वालों में गोरखपुर के अलावा आसपास के जिले के लोग भी शामिल होते हैं. इनकी भी अंत्येष्टि गोरखपुर के राप्ती नदी तट पर ही हो रही है. वहीं नगर आयुक्त ने कहा है कि निगम के, जो भी कर्मचारी इस कार्य में लगे हैं, उनका मानदेय बढ़ाया जाएगा. साथ ही प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी. नगर आयुक्त ने कहा कि नगर निगम समस्त पार्थिव शरीरों की अंत्येष्टि हिन्दू रिति-रिवाजों के अनुसार करा रही है. भविष्य में यदि किसी के द्वारा अन्तयेष्टि स्थल के आस-पास फोटोग्राफी अथवा वीडियोग्राफी करते हुए पकड़े जाएंगे तो उनके विरूद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

गोरखपुरः कोरोना महामारी में मौत के आंकड़े को लेकर प्रदेश की सरकार हो या जिला प्रशासन या फिर स्वास्थ्य महकमा, किसी के भी दावे यकीन करने लायक नहीं लगते. गोरखपुर के मुक्तिधाम घाट पर नजर डालो तो अंतिम संस्कार को देखकर यह लगता है कि कागजी दावों में बिल्कुल हकीकत नहीं है. सरकारी आंकड़े में जो मौत दर्ज होती हैं, उनकी संख्या मुक्तिधाम पर होते अंत्येष्टि की तुलना में बहुत कम नजर आती है. इसकी पुष्टि ऐसे भी होती है क्योंकि मृतक को एंबुलेंस के जरिए कोरोना प्रोटोकॉल के तहत बनाए गए कपड़े में लेकर पहुंचाया जाता है. यहां मौजूद नगर निगम के कर्मचारी इन शवों को रिसीव करते हैं और घरवालों की इच्छा के मुताबिक लकड़ी, गैस आधारित या विद्युत चालित व्यवस्था के से शव का अंतिम संस्कार करते हैं.

गोरखपुर में अंत्येष्टि स्थल

रुपयों की वसूली पर नगर आयुक्त सख्त, 4 सदस्यीय कमेटी बनेगी
अंत्येष्टि स्थल पर तैनात कर्मचारियों के द्वारा कोरोना से जान गंवाने वाले मरीजों के परिजनों से रुपयों की वसूली की बात भी सामने आई थी. यहां तक की लकड़ी का दाम भी कुछ लोगों से वसूला गया था. इसकी शिकायत नगर आयुक्त अविनाश सिंह तक पहुंची. इसके बाद उन्होंने मौके का मुआयना किया और 4 सदस्यीय टीम गठित करके, इस पर पूरी निगरानी करने और आने वाली शिकायतों के आधार पर कार्रवाई करने की बात कही. उन्होंने कहा कि इस कमेटी में नगर निगम के मुख्य अभियंता, सहायक नगर आयुक्त, नगर स्वास्थ्य अधिकारी और प्रवर्तन दल के प्रभारी शामिल हैं, जो विपदा की इस घड़ी में पीड़ित परिजनों की पूरी मदद करेंगे. उन्होंने कहा कि अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी मुफ्त उपलब्ध कराई जाएगी और किसी भी तरह से अंत्येष्टि होने पर परिजनों से शुल्क नहीं वसूला जाएगा.

31 प्लेटफॉर्म उपलब्ध
बाबा मुक्तेश्वरनाथ मुक्तिधाम (अंत्येष्टि स्थल) पर पार्थिव शरीर के शवदाह के लिए 31 प्लेटफार्म उपलब्ध हैं. इसमें कवर्ड ओपेन प्लेटफार्म के साथ लकड़ी एवं गैस आधारित, प्रदूषण मुक्त शवदाह संयंत्र की व्यवस्था उपलब्ध है. अंत्येष्टि स्थल पर शव के दाह संस्कार एवं साफ सफाई हेतु दो पालियों में 15-15 कर्मचारियों को तैनात किया गया है. इसी के साथ दाहसंस्कार के उचित प्रबंधन हेतु प्रवर्तन दल के जवानों की शिफ्टवार 4-4 की संख्या में तैनाती की गई है. इसके साथ अंत्येष्टि स्थल के सम्पूर्ण पर्यवेक्षण हेतु 4 वरिष्ठ अधिकारियों को भी तैनात किया गया है.

शौचालय और स्नानागार
मृतकों के परिजनों के लिए शौचालय और स्नानागार की व्यवस्था भी की गई है. साथ ही साथ पेयजल एवं उचित प्रकाश व्यवस्था भी कराई गई है. शवों को ले जाने के लिए स्ट्रेचर की व्यवस्था भी है. जिन कर्मचारियों द्वारा दाह संस्कार का कार्य कराया जाता है, उनके के लिये पीपीई किट एवं सैनेटाइजर की व्यवस्था भी अंत्येष्टि स्थल के कंट्रोल रूम पर उपलब्ध है.

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वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी पर रोक
नगर आयुक्त ने प्रवर्तन दल के प्रभारी कर्नल सीपी सिंह को भी इस जांच टीम में शामिल किया है. शिकायत आई थी कि रात के समय अंत्येष्टि करने में निगम के कर्मचारी 40 हजार रुपये तक की मांग कर रहे थे. मौके पर पुलिस की टीम भी पहुंच गई थी. यही वजह है कि नगर आयुक्त ने सख्ती बढ़ाई है. स्वास्थ विभाग के आंकड़ों में कोरोनावायरस से मौत उनके पोर्टल पर काफी देर से अपलोड होती है. उनके आंकड़ों के मुताबिक अभी तक कुल 428 लोगों की मौत हुई है, जबकि श्मशान घाट का नजारा कुछ और ही दिखाता है. मरने वालों में गोरखपुर के अलावा आसपास के जिले के लोग भी शामिल होते हैं. इनकी भी अंत्येष्टि गोरखपुर के राप्ती नदी तट पर ही हो रही है. वहीं नगर आयुक्त ने कहा है कि निगम के, जो भी कर्मचारी इस कार्य में लगे हैं, उनका मानदेय बढ़ाया जाएगा. साथ ही प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी. नगर आयुक्त ने कहा कि नगर निगम समस्त पार्थिव शरीरों की अंत्येष्टि हिन्दू रिति-रिवाजों के अनुसार करा रही है. भविष्य में यदि किसी के द्वारा अन्तयेष्टि स्थल के आस-पास फोटोग्राफी अथवा वीडियोग्राफी करते हुए पकड़े जाएंगे तो उनके विरूद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

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