गोरखपुर: जिले के सांसद कमलेश पासवान ने बहराइच और श्रावस्ती के राजा सुहेलदेव के नाम के आगे सुहलदेव पासी शब्द जोड़ने की मांग की है. उन्होंने कहा कि राजा सुहेलदेव पासी समाज के राजा थे. इससे पहले पासी समाज के लोगो ने कांफ्रेंस करके बसन्त पंचमी के दिन जिस स्मारक का उद्घाटन देश के प्रधानमंत्री ने वर्चुअल जुड़कर किया है, उसका नाम सुहेलदेव स्मारक की जगह राजा सुहेलदेव पासी स्मारक रखने की मांग की है.
मंगलवार को बसंत पंचमी के मौके पर यूपी सरकार ने 11 वीं शताब्दी के बहराइच-श्रावस्ती रियासत के राजा सुहेलदेव की 1012 वीं जयंती पर देश के प्रधानमंत्री ने वर्चुअल जुड़कर व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भूमि पूजन कर महाराजा सुहेलदेव के स्मारक की आधारशिला रखी है. जिस पर गोरखपुर के बासगाव के सांसद कमलेश पासवान टिप्पणी करते हुए महाराजा सुहेलदेव के नाम से बनने वाले स्मारक का नाम सुहेलदेव पासी रखने की मांग की है.
महाराजा सुहेलदेव पासी, पासी समाज के प्रेरणा स्रोत
पासी समाज एकता मंच उत्तर प्रदेश के तत्वावधान में अखिल भारतीय पासी समाज महासंघ के जिलाध्यक्ष रामअवध पासवान व अखिल भारतीय एकिकृत पासी महासभा के जिलाध्यक्ष भोलानाथ पासवान ने संयुक्त रूप से पीएम मोदी और सीएम योगी ने क्रमश: महाराजा सुहेलदेव के स्मारक का शिलान्यास और भूमि पूजन किया है. जबकि पासी समाज के श्रद्घेय महाराजा सुहेलदेव पासी शब्द नहीं जोड़ा गया है.
इस अवसर पर राममअवध पासवान, भोलानाथ पासवान संयुक्त रूप से कहा कि समस्त पासी समाज सुहेलदेव स्मारक के नामकरण में सम्पूर्ण नाम 'महाराजा सुहेलदेव पासी' रखने की मांग करता है. इनके साथ पासी समाज के विभिन्न विभिन्न संगठनों के सदस्य रामकरन पासी, रामसेवक पासी, सत्यनारायण पासवान, बाबूलाल पासी, मोनू पासवान, अभिषेक पासवान, सच्चििदानं पासवान, राजेश मिस्त्री, रवीन्द्र कुमार, विरेन्द्र पासवान सहित अन्य लोग मौजूद रहे.
सांसद कमलेश पासवान ने मीडिया को दिए गए बयान में कहा है कि महाराजा सुहेलदेव को हमारे पासी समाज मे धरोहर के रूप में माना जाता है. महाराजा सुहेलदेव के बारे में हमे इतिहास में पढ़ाया गया है. उनका बहराइच में राज्य था. गजनी का भांजा हिन्दू धर्म के खिलाफ अपना राज्य स्थापित करने के लिए लड़ाई के लिए आया. जहां महाराज सुहेलदेव व उनके जबाज सिपाहियों से उसकी लड़ाई कई दिनों तक चली और वह मारा गया. जिसका प्रमाण वहां मौजूद है. पिछले कुछ दिनों से मुझे पता चला है. महाराजा सुहेलदेव पासी के इतिहास से छेड़छाड़ किया जा रहा है. उनको दूसरे समाज से जोड़ा जा रहा है. हमने इसके लिए पत्र लिखा है.