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अंतरिक्ष में सेटेलाइट भेजेगा MMMUT गोरखपुर, इसरो तय करेगा लॉन्चिंग पैड, 8 महीने में हो जाएगा तैयार

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Published : May 5, 2023, 2:55 PM IST

मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय(MMMUT) गोरखपुर के नाम आगामी महीनों के एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ जाएगी. विवि की ओर से एजुकेशनल सेटेलाइट लांच किया जाएगा. इसकी तैयारियां शुरू हो चुकी हैं.

मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय एजुकेशनल सेटेलाइट लांच करेगा.
मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय एजुकेशनल सेटेलाइट लांच करेगा.
मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय एजुकेशनल सेटेलाइट लांच करेगा.

गोरखपुर : मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय(MMMUT) सेटेलाइट निर्माण के क्षेत्र में भी कदम बढ़ाने जा रहा है. विश्वविद्यालय के 4 विभागों के इंजीनियरिंग के शोधार्थी, वरिष्ठ प्रोफेसरों के साथ मिलकर 6 किलो 500 ग्राम वजन की सेटेलाइट का निर्माण करेंगे. इसका लॉन्चिंग पैड इसरो तय करेगा. इसरो की देखरेख में इस एजुकेशनल सेटेलाइट को लांच किया जाएगा. मूल रूप से यह सेटेलाइट नदियों में प्रदूषण और उसके किनारे होने वाली बसावट के साथ तटबंध की सुरक्षा को लेकर काम करेगा.

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर जेपी पांडेय ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि नए अविष्कार और शोध के क्षेत्र में यह तकनीक, विश्वविद्यालय को एक नई ऊंचाई देगी. उन्होंने कहा कि 8 माह के अंदर इस सेटेलाइट को तैयार कर लिया जाएगा. इसके बाद इसे लांच किया जाएगा. बहुत जल्द इस पर कार्य शुरू होगा. जनवरी 2024 में यह कभी भी लांच हो सकता है. इस एजुकेशनल सेटेलाइट को किस जगह से लांच किया जाएगा, इसका फैसला इसरो को करना है. कुलपति ने बताया कि इस सेटेलाइट का नाम भी रख दिया गया है. यह गुरु गोरक्षनाथ के नाम से जाना जाएगा. सेटेलाइट निर्माण के लिए विश्वविद्यालय ने 21 सदस्यों की टीम बनाई है. इसमें इंजीनियरिंग के विभिन्न विभागों के 11 मेधावी छात्र शामिल हैं. टीम में 5 वरिष्ठ शिक्षकों को बतौर विशेषज्ञ जगह दी गई है.

कुलपति ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर एसके सोनी इसके कोऑर्डिनेटर होंगे. केमिकल इंजीनियर के अध्यक्ष प्रोफेसर विठ्ठल गोले सह कोऑर्डिनेटर की भूमिका निभाएंगे. सेटेलाइट निर्माण से इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर, इलेक्ट्रिकल, सिविल और केमिकल विभाग को जोड़ा गया है. विशेषज्ञ सलाह के लिए इसरो के पूर्व वैज्ञानिक से भी संपर्क साधा गया है.

कुलपति प्रोफेसर पांडेय ने कहा कि सेटेलाइट और उसका ग्राउंड स्टेशन विश्वविद्यालय कैंपस में इस वर्ष के आखिरी माह तक तैयार कर लिया जाएगा. इस प्रोजेक्ट के लिए धन की व्यवस्था विश्वविद्यालय ने कर ली है. दो निजी एजेंसी के साथ धन उपलब्ध कराने के लिए सहमति बन चुकी है. जरूरत पड़ी तो विश्वविद्यालय अपने धनराशि का इस्तेमाल इस कार्य में करेगा. कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय ड्रोन टेक्नोलॉजी विकसित करने में काफी बड़ा मुकाम हासिल कर चुका है. इसके बाद सेटेलाइट निर्माण के लिए विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने मन बनाया है. अब निर्माण की ओर कदम बढ़ चला है. उनका मानना है कि विश्वविद्यालय के पास अगर अपना सेटेलाइट होगा तो उसके अध्ययन के बारे में पूरी दुनिया जानेगी. उन्होंने कहा कि इसको लेकर कॉलेज आफ इंजीनियरिंग पुणे से भी संपर्क साधा गया है, जो अपनी एजुकेशनल सेटेलाइट लांच कर चुका है. इन सभी स्थितियों का आकलन करते हुए विश्वविद्यालय सेटेलाइट को लांच करने के लिए निर्माण की प्रक्रिया में जुट गया है.

यह भी पढ़ें : रामगढ़ ताल में होगी रोइंग प्रतियोगिता, देश के 576 खिलाड़ी करेंगे प्रतिभाग, सीएम योगी करेंगे उद्घाटन

मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय एजुकेशनल सेटेलाइट लांच करेगा.

गोरखपुर : मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय(MMMUT) सेटेलाइट निर्माण के क्षेत्र में भी कदम बढ़ाने जा रहा है. विश्वविद्यालय के 4 विभागों के इंजीनियरिंग के शोधार्थी, वरिष्ठ प्रोफेसरों के साथ मिलकर 6 किलो 500 ग्राम वजन की सेटेलाइट का निर्माण करेंगे. इसका लॉन्चिंग पैड इसरो तय करेगा. इसरो की देखरेख में इस एजुकेशनल सेटेलाइट को लांच किया जाएगा. मूल रूप से यह सेटेलाइट नदियों में प्रदूषण और उसके किनारे होने वाली बसावट के साथ तटबंध की सुरक्षा को लेकर काम करेगा.

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर जेपी पांडेय ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि नए अविष्कार और शोध के क्षेत्र में यह तकनीक, विश्वविद्यालय को एक नई ऊंचाई देगी. उन्होंने कहा कि 8 माह के अंदर इस सेटेलाइट को तैयार कर लिया जाएगा. इसके बाद इसे लांच किया जाएगा. बहुत जल्द इस पर कार्य शुरू होगा. जनवरी 2024 में यह कभी भी लांच हो सकता है. इस एजुकेशनल सेटेलाइट को किस जगह से लांच किया जाएगा, इसका फैसला इसरो को करना है. कुलपति ने बताया कि इस सेटेलाइट का नाम भी रख दिया गया है. यह गुरु गोरक्षनाथ के नाम से जाना जाएगा. सेटेलाइट निर्माण के लिए विश्वविद्यालय ने 21 सदस्यों की टीम बनाई है. इसमें इंजीनियरिंग के विभिन्न विभागों के 11 मेधावी छात्र शामिल हैं. टीम में 5 वरिष्ठ शिक्षकों को बतौर विशेषज्ञ जगह दी गई है.

कुलपति ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर एसके सोनी इसके कोऑर्डिनेटर होंगे. केमिकल इंजीनियर के अध्यक्ष प्रोफेसर विठ्ठल गोले सह कोऑर्डिनेटर की भूमिका निभाएंगे. सेटेलाइट निर्माण से इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर, इलेक्ट्रिकल, सिविल और केमिकल विभाग को जोड़ा गया है. विशेषज्ञ सलाह के लिए इसरो के पूर्व वैज्ञानिक से भी संपर्क साधा गया है.

कुलपति प्रोफेसर पांडेय ने कहा कि सेटेलाइट और उसका ग्राउंड स्टेशन विश्वविद्यालय कैंपस में इस वर्ष के आखिरी माह तक तैयार कर लिया जाएगा. इस प्रोजेक्ट के लिए धन की व्यवस्था विश्वविद्यालय ने कर ली है. दो निजी एजेंसी के साथ धन उपलब्ध कराने के लिए सहमति बन चुकी है. जरूरत पड़ी तो विश्वविद्यालय अपने धनराशि का इस्तेमाल इस कार्य में करेगा. कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय ड्रोन टेक्नोलॉजी विकसित करने में काफी बड़ा मुकाम हासिल कर चुका है. इसके बाद सेटेलाइट निर्माण के लिए विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने मन बनाया है. अब निर्माण की ओर कदम बढ़ चला है. उनका मानना है कि विश्वविद्यालय के पास अगर अपना सेटेलाइट होगा तो उसके अध्ययन के बारे में पूरी दुनिया जानेगी. उन्होंने कहा कि इसको लेकर कॉलेज आफ इंजीनियरिंग पुणे से भी संपर्क साधा गया है, जो अपनी एजुकेशनल सेटेलाइट लांच कर चुका है. इन सभी स्थितियों का आकलन करते हुए विश्वविद्यालय सेटेलाइट को लांच करने के लिए निर्माण की प्रक्रिया में जुट गया है.

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