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शहीद रामप्रसाद बिस्मिल को नमन करने पहुंचीं राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य चंद्रमुखी देवी - राष्ट्रीय महिला आयोग

राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य चंद्रमुखी देवी ने शहीद पंडित रामप्रसाद बिस्मिल की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किया. इसके साथ ही उन्होंने शहीद पंडित रामप्रसाद बिस्मिल के बलिदान को याद किया.

चंद्रमुखी देवी ने शहीद बिस्मिल की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किया.
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Published : Aug 15, 2019, 3:50 AM IST

गोरखपुर: जनपद में स्थापित शहीद पंडित रामप्रसाद बिस्मिल की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करने और उन्हें नमन करने के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य चंद्रमुखी देवी बुधवार को नई दिल्ली से गोरखपुर पहुंचीं. इस दौरान उनके साथ जेल सुपरिटेंडेंट डॉ. रामधनी राही और जेलर प्रेम सागर शुक्ला मौजूद रहे.

चंद्रमुखी देवी ने शहीद बिस्मिल की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किया.

गोरखपुर की रहने वाली हैं चंद्रमुखी देवी

मूल रूप से गोरखपुर की रहने वाली चंद्रमुखी देवी पहले कभी यहां आ नहीं पाई थीं. बुधवार को जब उन्होंने शहीद राम प्रसाद बिस्मिल की प्रतिमा का माल्यार्पण किया तो वह उनके बलिदान को यादकर भाव विभोर हो गईं. उनका गला रूध गया, लगा कि मानो वह रो पड़ेंगीं. इस दौरान उन्होंने ईटीवी भारत से एक्सक्लुसिव बातचीत में कहा कि आज के दिन वह खुद को बेहद गौरवान्वित महसूस कर रही हैं. इसके साथ ही इस बात का एहसास कर रही हैं कि अगर बिस्मिल जैसे वीर सपूत नहीं होते तो आजादी की कल्पना अधूरी रह जाती.

महिला बंदियों से जाना उनका हाल-चाल

चंद्रमुखी देवी ने पंडित रामप्रसाद बिस्मिल की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करने से पहले जेल का निरीक्षण किया और महिला बंदियों का हाल-चाल जाना. चंद्रमुखी देवी ने कहा कि देश में आजादी का पर्व धूमधाम और जोश के साथ मनाया जाता है, लेकिन लेकिन आजादी के महानायकों की शहादत को कभी भुलाया नहीं जा सकता.

गोरखपुर: जनपद में स्थापित शहीद पंडित रामप्रसाद बिस्मिल की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करने और उन्हें नमन करने के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य चंद्रमुखी देवी बुधवार को नई दिल्ली से गोरखपुर पहुंचीं. इस दौरान उनके साथ जेल सुपरिटेंडेंट डॉ. रामधनी राही और जेलर प्रेम सागर शुक्ला मौजूद रहे.

चंद्रमुखी देवी ने शहीद बिस्मिल की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किया.

गोरखपुर की रहने वाली हैं चंद्रमुखी देवी

मूल रूप से गोरखपुर की रहने वाली चंद्रमुखी देवी पहले कभी यहां आ नहीं पाई थीं. बुधवार को जब उन्होंने शहीद राम प्रसाद बिस्मिल की प्रतिमा का माल्यार्पण किया तो वह उनके बलिदान को यादकर भाव विभोर हो गईं. उनका गला रूध गया, लगा कि मानो वह रो पड़ेंगीं. इस दौरान उन्होंने ईटीवी भारत से एक्सक्लुसिव बातचीत में कहा कि आज के दिन वह खुद को बेहद गौरवान्वित महसूस कर रही हैं. इसके साथ ही इस बात का एहसास कर रही हैं कि अगर बिस्मिल जैसे वीर सपूत नहीं होते तो आजादी की कल्पना अधूरी रह जाती.

महिला बंदियों से जाना उनका हाल-चाल

चंद्रमुखी देवी ने पंडित रामप्रसाद बिस्मिल की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करने से पहले जेल का निरीक्षण किया और महिला बंदियों का हाल-चाल जाना. चंद्रमुखी देवी ने कहा कि देश में आजादी का पर्व धूमधाम और जोश के साथ मनाया जाता है, लेकिन लेकिन आजादी के महानायकों की शहादत को कभी भुलाया नहीं जा सकता.

Intro:गोरखपुर। स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर आजादी के महानायको को लोग याद करना नहीं भूले। गोरखपुर जेल में स्थापित शहीद पंडित रामप्रसाद बिस्मिल की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करने और उन्हें नमन करने के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य चंद्रमुखी देवी नई दिल्ली से बुधवार को गोरखपुर पहुंची। वह जेल सुपरिटेंडेंट डॉ रामधनी राही और जेलर प्रेम सागर शुक्ला के साथ बिस्मिल की प्रतिमा के पास पहुंची और उन्हें माल्यार्पण कर अपना श्रद्धा सुमन भेंट किया। यही नहीं वह जेल परिसर में बिस्मिल जी से जुड़ी हुई हर यादों को देखीं और भाव विभोर हो उठीं।

नोट--कम्प्लीट पैकेज, वॉइस ओवर अटैच है।


Body:मूल रूप से गोरखपुर की रहने वाली चंद्रमुखी देवी के यादों में तो यह शहीद स्थल था पर इससे पहले वह कभी यहां आ नहीं पाई थीं। बुधवार को जब वह गोरखपुर जेल के अंदर स्थित राम प्रसाद बिस्मिल जी की प्रतिमा को माल्यार्पण की तो वह ऐसे वीर सपूत के आजादी के लिए किए गए कृत्य और बलिदान को यादकर भाव विभोर हो गई। उनका गला रूध गया, लगा कि मानो वह रो पड़ेगी। इस दौरान उन्होंने ईटीवी भारत से एक्सक्लुसिव बातचीत में कहा कि आज के दिन वो खुद को बेहद गौरान्वित महसूस कर रही हैं। साथ ही इस बात का एहसास कर रही हैं कि अगर बिस्मिल जैसे वीर सपूत नहीं होते तो आजादी की कल्पना अधूरी रह जाती।

बाइट--चंद्रमुखी देवी, सदस्य, केंद्रीय महिला आयोग


Conclusion:चंद्रमुखी देवी इसके पहले जेल का भी निरीक्षण किया और महिला बंदियों का भी हालचाल जाना। उन्होंने कहा कि देश के आजादी का पर्व 15 अगस्त पूरे धूमधाम और जोश खरोश के साथ मनाया जाता है। लेकिन इस आजादी के महानायको की शहादत को भुलाया नहीं जा सकता। जितने भी क्रांतिकारी भाई देश के लिए अपनी जवानी बलिदान कर दिए उन्हें यह दिन याद करने का है, नमन करने का है।

मुकेश पाण्डेय
Etv भारत, गोरखपुर
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