गोरखपुर: लोगों की आस्था, श्रद्धा और मनोकामना की सिद्धि का बहुत बड़ा केंद्र है शहर का 'बाबा मुक्तेश्वरनाथ' मंदिर. भगवान भोलेनाथ के इस मंदिर पर प्रति दिन लोग श्रद्धा भाव से जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और पूजन आदि के लिए पहुंचते हैं. लेकिन, जब महाशिवरात्रि जैसा पर्व हो तो इस शिव मंदिर के प्रति भक्तों की श्रद्धा और भी बढ़ जाती है. कहा जाता है कि बाबा मुक्तेश्वरनाथ के मंदिर में शीश झुकाने और अपनी मुराद लेकर आने वाले हर भक्त की मुराद पूरी होती है. यह मुक्ति का मार्ग जहां खोलते हैं, वहीं भक्ति और वृद्धि भी भक्तों को प्रदान करते हैं. इन्हें शमशान का शिव कहा जाता है, जिसकी वजह से इनका नाम मुक्तेश्वरनाथ पड़ा. राप्ती नदी के तट पर स्थित इस मंदिर में श्मशान में आने वाले लोग, अपनी मुक्ति और मोक्ष की कामना करते हैं और बाबा भोलेनाथ के प्रति श्रद्धानवत होते हैं. शिवरात्रि में तो यहां शिव भक्तों का जनसैलाब उमड़ता है. लंबी-लंबी लाइन में लोग घंटों खड़े होकर बाबा को जलाभिषेक करने में जुटे दिखाई देते हैं.
रात 2 बजे से यहां घंटा घड़ियाल बजने लगता है और श्रद्धालु कतारबद्ध होकर भगवान शिव को जलाभिषेक करते हैं. ऐसी मान्यता है कि करीब 400 वर्ष पूर्व राप्ती नदी का क्षेत्र घना जंगल हुआ करता था. जिधर से मौजूदा समय के सिद्धार्थनगर जिले के तत्कालीन बांसी स्टेट के राजा यहां शिकार करने आए थे. तब यहां के जंगल में उन्हें शेरों ने घेर लिया था. जान संकट में फंसी देखकर राजा ने अपने आराध्य भगवान शिव शंकर को याद किया. चमत्कार हुआ और शेर वापस लौट गए. इसके बाद इसी स्थान पर राजा ने भगवान शिव का मंदिर बनाने का संकल्प लिया.
इनके आदेश पर महाराष्ट्र निवासी बाबा काशीनाथ ने यहां मंदिर की स्थापना कराई. कहा जाता है कि बाबा काशीनाथ मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित नौसड़ कस्बे में पेवनपुर निवासी यदुनाथ उपाध्याय को मंदिर का कार्यभार सौंप कर तीर्थाटन पर चले गए. फिर नहीं लौटे. तब से उन्हीं का परिवार इस मंदिर की देखभाल करता है. चौथी पीढ़ी आज इस मंदिर की देखभाल कर रही है. मौजूदा समय में इसकी देखभाल रामनाथ उपाध्याय के जिम्मे है. वे बताते हैं कि जो भी श्रद्धालु यहां आता है, उसकी मनोकामना, इच्छा जरूर बाबा भोलेनाथ पूरा करते हैं.
वहीं डॉक्टर फणींद्रनाथ तिवारी कहते हैं कि लोगों की आस्था और विश्वास के केंद्र बाबा मुक्तेश्वरनाथ बड़े ही हठयोगी प्रवृत्ति के हैं. यह जिस पर कृपा बरसा देते हैं, फिर उसको अपने से मुक्त भी कर देते हैं. उनसे खुद को यह जोड़कर नहीं रखते. लेकिन, यह उनकी अपार कृपा ही है कि जो पुजारी शुरुआती दौर में इनकी सेवा में जुड़े, उनके परिवार को ही लगातार सेवा का अवसर बाबा दे रहे हैं. यह मंदिर समय के साथ अपने स्वरूप को विस्तार नहीं दे पाया और जर्जर अवस्था में जा रहा था. लेकिन, जब मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुए तो उन्होंने मंदिरों के जीर्णोद्धार के क्रम में बाबा मुक्तेश्वरनाथ के मंदिर का भी जीर्णोद्धार कराया और जरूरी जन सुविधाओं को यहां उपलब्ध कराया, जिससे आने वाले श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो.
सीएम योगी आदित्यनाथ भी यहां आते हैं और बाबा का जलाभिषेक, रुद्राभिषेक करते हैं. एक बार फिर इस महाशिवरात्रि पर बन रहे अद्भुत संयोग पर योगी आदित्यनाथ इस मंदिर में दर्शन पूजन के लिए आज यहां आएंगे. आम दिनों में सुबह 7 बजे और शाम को 8 बजे आरती होती है. शिवरात्रि के दिन या रात जागरण होता है. रात में 9 बजे, 12 बजे, भोर में 3 बजे और सुबह 6 बजे आरती होती है. बाबा के पूजन-अर्चन और जलाभिषेक के बाद यहां लगे मेले का लोग लुत्फ उठाते हैं. मंदिर के पुजारी रामनाथ बाबा कहते हैं कि आरोग्यता के साथ हर प्रकार के कष्टों के निवारण के लिए मंदिर में पूजा अनुष्ठान होता है. यहां प्राचीन कुआं और पीपल का वृक्ष भी है, जो शिव भक्तों की श्रद्धा का केंद्र है. यह भी पूजा जाता है.
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