गोरखपुरः आकाशवाणी केंद्र गोरखपुर को शनिवार से बंद किए जाने की खबर और प्रसार भारती के फैसले से गोरखपुर के लोग बेहद आहत हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में लोगों ने कहा कि आकाशवाणी केंद्र के माध्यम से सैकड़ों लोगों को रोजगार मिला हुआ था और यह समाज के लिए कई रास्ते से फायदेमंद था.
किसानों के लिए था कारगर
खेती किसानी से जुड़े हुए किसानों को उनके फसल के बारे में कई तरह की जानकारी रेडियो के माध्यम से मिलती थी. गीत-संगीत के माध्यम से भी यह लोगों का मनोरंजन करता था. स्थानीय और देश-दुनिया की खबरों को पाने का भी यह लोगों का विश्वसनीय साधन था. लोगों ने कहा इस केंद्र को बंद किया जाना कहीं से भी उचित नहीं है. प्रसार भारती और केंद्र सरकार को इस फैसले पर एक बार फिर से विचार करना चाहिए. स्थानीय लोगों ने कहा कि पीएम मोदी भी रेडियो के माध्यम से ही मन की बात करते हैं.
2 अक्टूबर 1974 को पहली बार हुआ था प्रसारण
गोरखपुर ट्रांसमिशन केंद्र 1972 में बनकर तैयार हुआ था, लेकिन प्रसारण शुरू होने में 2 साल और लग गए. 2 अक्टूबर 1974 को दिल्ली स्थित ट्रांसमीटर से लखनऊ के उद्घोषक अरुण श्रीवास्तव ने पहली बार यहां की सूचना और खबर प्रसारित की थी. इसके बाद यह सिलसिला चल पड़ा, जिसके माध्यम से लोगों को खबरों के साथ खेती-किसानी, मनोरंजन और तमाम ज्ञानवर्धक चीजें रेडियो लोगों तक परोसता था. यही वजह है कि जब यह बंद होने जा रहा है तो लोगों को बहुत पीड़ा हो रही है. लोगों ने कहा कि यह फैसला कहीं से भी उचित नहीं है, क्योंकि किसान, कलाकार, कार्यक्रम बनाने वाले लोगों को इससे सीधे लाभ होता है.
जुगानी भाई को सुनता था पूरा भोजपुरी समाज
पूर्वांचल की महत्वपूर्ण बोली भोजपुरी को भी आकाशवाणी लोगों के बीच ले जाता था. 'जुगानी भाई' के नाम से मशहूर आकाशवाणी के कार्यक्रम अधिकारी भोजपुरी का कार्यक्रम पेश करते थे. इसे गांव से लेकर पूरे पूर्वोत्तर में बड़े मन से सुना जाता था. लोगों का कहना है कि मौजूदा दौर जब सूचना संचार की तरफ और तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में इस महत्वपूर्ण केंद्र का बंद किया जाना कहीं से भी उचित नहीं है.