गोरखपुर: गोरखपुर समेत मंडल के चार जिलों के ऐसे लोग जिन्होंने फरवरी 2009 के बाद लाखों का पक्के मकान या इमारतें बनायी हैं, अब वो श्रम विभाग को टैक्स देने के लिए तैयार हो जाएं. सेस के रूप में यह टैक्स श्रम विभाग लेगा, जो आपके मकान या भवन निर्माण की कुल लागत का एक प्रतिशत होगा. यानी की अगर तीस लाख रुपये का मकान है, तो 30 हजार सेस टैक्स देना होगा. राज्य सरकार ने इस टैक्स को वसूलने के लिए गोरखपुर मंडल को 25 करोड़ का टारगेट दिया है.
पूरे प्रदेश में, यह टॉरगेट 20 अरब का है. जिसके बाद श्रम विभाग के अधिकारी सरकारी विभागों से लेकर निजी तौर पर बनने वाली बिल्डिंग, हॉस्पिटल, मॉल, मकान सभी को नोटिस जारी करना शुरू किया है. इस नियम के तहत 10 लाख से ऊपर के निर्मित भावन पर टैक्स लागू होगा. प्रदेश में सरकारी और निजी तौर पर करीब एक करोड़ से अधिक मकान और संस्थाएं इस दायरे में है. विभागीय अधिकारियों की माने तो इस टैक्स के पैसे से सरकार अपनी नई योजना अटल आवासीय विद्यालयों का विशेष तौर पर संचालन करेगी. इसके अलावा भवन निर्माण एवं कर्मकार कल्याण के तहत विभिन्न योजनाओं में भी यह पैसे खर्च होंगे.
गोरखपुर मंडल के उप श्रमायुक्त अमित कुमार मिश्रा ने ईटीवी भारत को विशेष तौर पर बताया कि मंडल में निर्मित निर्माणाधीन भवन, नर्सिंग होम, विद्यालय भवन, पेट्रोल पंप, ईट भट्ठे, कल कारखाने, आवासीय और अनावसीय भवनों की सूची संबंधित विभागों से प्राप्त कर सेस जमा कराने (CESS on buildings constructed after February 2009) व पंजीयन कराए जाने के संबंध में नोटिस जारी किया जा रहा है. गोरखपुर मंडल में 15 दिसंबर तक लक्ष्य के सापेक्ष 22 करोड़ की वसूली की जा चुकी है.
31 मार्च 2023 तक लक्ष्य से दो से तीन करोड़ अधिक की वसूली संभव होगी ऐसी कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि सेस जमा नहीं करने वालों पर कार्रवाई भी की जाएगी. उप श्रम आयुक्त अमित कुमार मिश्रा ने कहा कि मजदूरों और उनके बच्चों के कल्याण के लिए राज्य सरकार जो भी योजनाएं संचालित कर रही है उसमें श्रम विभाग का विशेष योगदान है. और सेस के तहत आने वाले टैक्स के पैसे से उन्हें साइकिल, स्वास्थ्य की सुविधा, बच्चों के पढ़ाई लिखाई, दुर्घटना बीमा जैसी तमाम योजनाओं को सरकार पूरा कर रही है.
उन्होंने कहा कि भारत सरकार के 1996 भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार अधिनियम के तहत एक फ़ीसदी सेस लेने का प्रावधान है. हालांकि पहले सुप्रीम कोर्ट ने इसे 2 फ़ीसदी तक लेने को कहा था लेकिन सरकार ने इसमें बदलाव किया. उत्तर प्रदेश में फरवरी 2009 से इसे लागू किया गया था. जिसके मुताबिक सरकारी व गैर सरकारी किसी भी तरह के निर्माण से एक प्रतिशत सेस कर लिया जाएगा. उन्होंने बताया कि जीडीए, आवास विकास और अन्य निर्माण एजेंसियों से पहले से ही एक प्रतिशत कर लिया जा रहा है. इसके बाद उनके यहां प्रस्तुत जो नक्शा पास होता है उससे भी. उन्होने कहा श्रमिकों के लिए 15 से अधिक कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं. टैक्स से मिले इन्हीं रुपयों की मदद से इन योजनाओं का संचालन किया जाता है.
उन्होंने कहा कि लोक निर्माण विभाग हो या स्वास्थ्य विभाग, जो भी सरकारी निर्माण होते हैं उनसे इस मद में धनराशि जमा कराई जाती है. साथ ही निजी तौर पर निर्मित होने वाले नर्सिंग होम, हॉस्पिटल की सूची के हिसाब से नोटिस जारी किया जाता है. गोरखपुर मंडल में 2लाख 80000 से ज्यादा श्रमिक पंजीकृत हैं और जो निर्माणस्थल टैक्स के दायरे में हैं वह अनुमानित दस लाख से ऊपर हैं. उन्होंने कहा कि रेलवे, एनएचआई या जो भी राष्ट्रीय संस्था हैं वह अपना टैक्स सीधे स्तर पर जमा कर देती हैं. (Labour Department will collect cess)
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