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साइकिल से तय किया मुंबई से गोरखपुर तक का सफर, सुनाई आपबीती

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के भटहट का रहने वाला एक मजदूर साइकिल से सैकड़ों किमी का सफर तय करके 14 दिन बाद मुुंबई से अपने गांव पहुंचा. गांव पहुंचने पर उसने अपने सफर की पूरी कहानी बताई.

labor travel from Mumbai to Gorakhpur
मजदूर को आइसोलेशन सेंटर में क्वारंटाइन किया गया है
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Published : May 4, 2020, 3:47 AM IST

गोरखपुर: जिले के भटहट ब्लाक के ग्राम सभा अबादी सखनी निवासी मोहन निषाद नवम्बर 2019 में रोजगार की तलाश में मुम्बई गया था. लॉकडाउन के दौरान उसे भोजन की दिक्कत हुई तो वह साइकिल से ही मुंबई से गोरखपुर के लिए निकल पड़ा. गांव पहुंचने के बाद प्रशासन ने उसे आलमीन स्कूल में बने आइसोलेशन सेंटर में क्वारंटाइन कर दिया.

गांव पहुंचने पर युवक ने अपने दर्द भरे सफर की कहानी सुनाई तो सभी हैरत में पड़ गए. उसने बताया कि मुंबई से गोरखपुर तक अपने सफर के दौरान वह सुबह से लेकर 11 बजे रात तक साइकिल चलाता था. इस दौरान रास्ते में कई बार उसकी साइकिल खराब हुई जिसकी उसने खुद ही मरम्मत की और फिर अपने सफर में आगे बढ़ता रहा. इस दौरान रास्ते में भी उसे खाने-पीने के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ा.

घर आने के लिए खरीदी नई साइकिल

मोहन निषाद मंबई के पनवेल में टाइल्स लगाने का काम करता था. लॉकडाउन में उसका काम ठप हो गया. तब उसने घर आने का निर्णय लिया. किसी तरह पैसा जुटा कर उसने एक नई साइकिल और टूल्स कि़ट खरीदा और 20 अप्रैल को पनवेल से साइकिल लेकर गोरखपुर के लिए निकल पड़ा.

रास्ते में कई जगह पंचर हुई साइकिल

मोहन निषाद ने बताया कि, सफर के दौरान वह सुबह से लेकर रात 11 बजे तक साइकिल चलाता था. इस दौरान रास्ते में कई जगहों पर उसकी साइकिल पंचर भी हुई. जिसे उसने अपने पास मौजूद टूल किट की मदद से ठीक किया और आगे बढ़ता रहा. मोहन निषाद ने कहा कि, सफर के दौरान उसे पुलिस से डर भी लग रहा था कि, सड़क पर चलते हुऐ देखकर पुलिस लाठियां ना भांज दें. लेकिन बावजूद इसके उसने हार नहीं मानी और अपनी मंजिल की ओर चलता रहा.

उसने बताया कि, एकांत में ढाबा देखकर वह खाने-पीने के लिए साइकिल रोकता था और कई बार उसे दो रोटी के लिए ढाबे वालों से मिन्नतें करनी पड़ीं. किसी दिन भोजन नसीब होता था तो किसी दिन भूखे पेट रह कर ही साइकिल चलाना पड़ता था.

रास्ते में नहीं हुआ स्वास्थ्य परीक्षण

चौदह दिन बाद रविवार की सुबह मोहन निषाद अपने गांव पहुंचा, घर ना जा कर वह सीधा प्राथमिक विद्यालय पर पहुंचा. जहां ग्राम प्रधान ने खाना खिलाने के बाद उसे आलमीन स्कूल में क्वारंटीन कर दिया. मोहन ने बताया कि इन चौदह दिनों में सैकड़ों किमी की दूरी तय करने के दौरान रास्ते में कई नाके और चेकपोस्ट पड़े लेकिन कहीं भी उसकी स्क्रिनिंग नहीं हुई. वह बिना रोक-टोक साइकिल चलता रहा.

एडीओ पंचायत जगवंश कुशवाहा ने बताया कि भटहट ब्लाक क्षेत्र में बाहर से आने वाले प्रवासी मजदूरों की संख्या करीब छह सौ है. सभी लोगों को क्वारंटाइन किया जा रहा है. रेडजोन जैसे मुंबई, दिल्ली और पंजाब से आने वाले मजदूरों को आलमीन स्कूल में 14 दिन के लिए क्वारंटाइन किया जा रहा है.

गोरखपुर: जिले के भटहट ब्लाक के ग्राम सभा अबादी सखनी निवासी मोहन निषाद नवम्बर 2019 में रोजगार की तलाश में मुम्बई गया था. लॉकडाउन के दौरान उसे भोजन की दिक्कत हुई तो वह साइकिल से ही मुंबई से गोरखपुर के लिए निकल पड़ा. गांव पहुंचने के बाद प्रशासन ने उसे आलमीन स्कूल में बने आइसोलेशन सेंटर में क्वारंटाइन कर दिया.

गांव पहुंचने पर युवक ने अपने दर्द भरे सफर की कहानी सुनाई तो सभी हैरत में पड़ गए. उसने बताया कि मुंबई से गोरखपुर तक अपने सफर के दौरान वह सुबह से लेकर 11 बजे रात तक साइकिल चलाता था. इस दौरान रास्ते में कई बार उसकी साइकिल खराब हुई जिसकी उसने खुद ही मरम्मत की और फिर अपने सफर में आगे बढ़ता रहा. इस दौरान रास्ते में भी उसे खाने-पीने के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ा.

घर आने के लिए खरीदी नई साइकिल

मोहन निषाद मंबई के पनवेल में टाइल्स लगाने का काम करता था. लॉकडाउन में उसका काम ठप हो गया. तब उसने घर आने का निर्णय लिया. किसी तरह पैसा जुटा कर उसने एक नई साइकिल और टूल्स कि़ट खरीदा और 20 अप्रैल को पनवेल से साइकिल लेकर गोरखपुर के लिए निकल पड़ा.

रास्ते में कई जगह पंचर हुई साइकिल

मोहन निषाद ने बताया कि, सफर के दौरान वह सुबह से लेकर रात 11 बजे तक साइकिल चलाता था. इस दौरान रास्ते में कई जगहों पर उसकी साइकिल पंचर भी हुई. जिसे उसने अपने पास मौजूद टूल किट की मदद से ठीक किया और आगे बढ़ता रहा. मोहन निषाद ने कहा कि, सफर के दौरान उसे पुलिस से डर भी लग रहा था कि, सड़क पर चलते हुऐ देखकर पुलिस लाठियां ना भांज दें. लेकिन बावजूद इसके उसने हार नहीं मानी और अपनी मंजिल की ओर चलता रहा.

उसने बताया कि, एकांत में ढाबा देखकर वह खाने-पीने के लिए साइकिल रोकता था और कई बार उसे दो रोटी के लिए ढाबे वालों से मिन्नतें करनी पड़ीं. किसी दिन भोजन नसीब होता था तो किसी दिन भूखे पेट रह कर ही साइकिल चलाना पड़ता था.

रास्ते में नहीं हुआ स्वास्थ्य परीक्षण

चौदह दिन बाद रविवार की सुबह मोहन निषाद अपने गांव पहुंचा, घर ना जा कर वह सीधा प्राथमिक विद्यालय पर पहुंचा. जहां ग्राम प्रधान ने खाना खिलाने के बाद उसे आलमीन स्कूल में क्वारंटीन कर दिया. मोहन ने बताया कि इन चौदह दिनों में सैकड़ों किमी की दूरी तय करने के दौरान रास्ते में कई नाके और चेकपोस्ट पड़े लेकिन कहीं भी उसकी स्क्रिनिंग नहीं हुई. वह बिना रोक-टोक साइकिल चलता रहा.

एडीओ पंचायत जगवंश कुशवाहा ने बताया कि भटहट ब्लाक क्षेत्र में बाहर से आने वाले प्रवासी मजदूरों की संख्या करीब छह सौ है. सभी लोगों को क्वारंटाइन किया जा रहा है. रेडजोन जैसे मुंबई, दिल्ली और पंजाब से आने वाले मजदूरों को आलमीन स्कूल में 14 दिन के लिए क्वारंटाइन किया जा रहा है.

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