गोरखपुर: धार्मिक गतिविधियों और पर्यटन के बड़े केंद्र के रूप में स्थापित हो रहे गोरखपुर की चर्चा इन दिनों देश और विदेश में काफी बढ़ी है. इसी क्रम में विश्व प्रसिद्ध इस्कॉन मंदिर के स्थापना की कवायद भी गोरखपुर शहर में शुरू हो गई है. इस्कॉन टेंपल का एक अस्थाई कार्यालय खोलकर उसकी गतिविधियों को आगे बढ़ने का कार्य भी शुरू हो चुका है. साथ ही गुरुवार को एक स्थानीय होटल में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का आयोजन कर इस्कॉन टेंपल समूह इससे खुद को जोड़ता हुआ नजर आया है. वहीं, श्री कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर पूरी तैयारी कर ली गई है.
दुनिया में 200 मंदिर
बता दें कि भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व देश में बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है. गोरखपुर शहर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पूर्व ही शहर में सुबह और शाम इस्कॉन मंदिर से जुड़े अनुयाई भजन कीर्तन कर रहे हैं. साथ ही प्रभात फेरी और सांध्य फेरी निकाल रहे हैं. इसमें शहर के तमाम मेहमान भी पहुंच रहे हैं. गोरखपुर में आयोजन समिति से जुड़े इस्कॉन मंदिर के पदाधिकारी आदिश्याम दास ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी के मंदिर स्थापना के मूल में जन कल्याण और शैक्षणिक गतिविधियों को आगे बढ़ने का कार्य होता है. इसके लिए गोरखपुर शहर में भूमि के चयन और दानदात को ढूंढने का प्रयास किया जा रहा है. आज दुनिया के 200 देशों में इस्कॉन मंदिर स्थापित किया जा चुका है. यह मंदिर भक्ति और ज्ञान मार्ग का अद्भुत संदेश देता है.
पूर्वांचल के घर-घर होगी श्री कृष्ण की भक्ति
गौरतलब है कि, इस्कॉन मंदिर के संस्थापक स्वामी प्रभुपाद थे. जिनका मूल उद्देश्य गीता और श्रीमद् भागवत पुराण के साथ ही श्री कृष्ण भक्ति का प्रचार करना था. आज उनके उद्देश्य को विश्व के लाखों श्रद्धालु सफल बनाने में जुटे हुए हैं. गोरखपुर शहर में किराए का मकान लेकर इसका केंद्र खोला गया है. इसका प्रचार केंद्र खुल जाने से रोज सुबह- शाम हरे कृष्ण महामंत्र का उच्चारण और साप्ताहिक सत्संग का लोगों को लाभ मिल रहा है. शहर के विभिन्न चौक-चौराहा और मोहल्ले में कीर्तन भजन मंडली पहुंचकर हरे कृष्णा के महामंत्र का उच्चारण कर सबको जोड़ने का प्रयास कर रही है. गोरखपुर में इस्कॉन मंदिर के बन जाने से इस शहर में भी सुबह शाम हरे कृष्णा-हरे कृष्णा गूंजता रहेगा. गोरखपुर प्रचार केंद्र के अध्यक्ष आदिश्याम दास का कहना है कि पूर्वांचल के घर-घर में भगवान कृष्ण की भक्ति पहुंचना उनका उद्देश्य है.
अमेरिकी शिष्यों का बड़ा योगदान
उन्होंने कहा कि इसके संस्थापक प्रभुपाद 1971 में गोरखपुर गीता प्रेस आए थे और हनुमान प्रसाद पोद्दार जी से मिलकर बहुत प्रभावित हुए थे. उनकी सोच में गोरखपुर शामिल था. जहां अब इस्कॉन मंदिर को मूर्त रूप देने की प्रक्रिया में संस्थान जुड़ गया है. यहां स्थापित होने वाले इस्कॉन मंदिर में प्रभुपाद के अमेरिकी शिष्यों का बड़ा योगदान रहेगा. जिनसे उन्होंने गोरखपुर में इस केंद्र की स्थापना करने को कहा था. श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर ऐसे भक्तों की बड़ी मंडली देश-विदेश से गोरखपुर पहुंच रही है. जो पूरी भव्यता के साथ इसका आयोजन कर प्रसाद और ग्रंथ का वितरण करेगी.
सातवीं संकीर्तन यात्रा
गोरखपुर प्रचार केंद्र के अध्यक्ष ने बताया कि मंदिर की महत्ता को बताने के लिए पूरे भारत में 38 साल से एक भव्य और मजबूत रथ भी निकला हुआ है. जो देश 6 बार परिक्रमा पूरी कर चुका है. सातवीं संकीर्तन यात्रा 2021 में पुनः द्वारिका से शुरू हुई जो कुरुक्षेत्र, हरिद्वार, वृंदावन, उज्जैन, चित्रकूट, प्रयागराज होते हुए गोरखपुर पहुंची हुई है. यहां से जनकपुर, गया, मायापुर होते हुए यह जगन्नाथ पुरी जाएगी. यह रथ अब तक 3 लाख किलोमीटर से अधिक की यात्रा कर चुका है. इसके बावजूद भी अभी भी पूरी मजबूती के साथ खड़ा है.
अमेरिका के इस्कॉन अनुयाई तीसरी बार रथयात्रा में शामिल
अध्यक्ष आदिश्याम दास ने बताया कि 1984 में द्वारिका से संकीर्तन पदयात्रा शुरू हुई थी. इस रथ को खींचने वाले 2 बैलों की जोड़ी बड़ी ही विशालकाय दिखती है. जिन्हें गुजरात से मंगाया जाता है. इनकी कीमत 70 से 80 हजार रुपए होती है. इस रथ और संकीर्तन मंडली में महाराष्ट्र, गुजरात, जगन्नाथ पुरी, कानपुर, प्रयागराज, पश्चिम बंगाल और नेपाल से भक्तों ने शिरकत किया है. जो लोगों में भजन कीर्तन के साथ धार्मिक पुस्तक भी वितरित करते हैं. अमेरिका के इस्कॉन अनुयाई अखिल धर्मदास इस रथ यात्रा में 2 बार शामिल हुए हैं. इसके साथ ही वह तीसरी बार इसमें शामिल होने के लिए गोरखपुर पहुंचे हैं.
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