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गोरखपुरः गेहूं फसलों को कीटों से कैसे बचाएं, जानिए वैज्ञानिक के सुझाव - कीटों से गेहूं की फसलों को बचाएं

यूपी के गोरखपुर में रबी की प्रमुख फसल गेहूं खेतों में लहलहा रही है. इस दौरान किसानों को गेहूं की फसल का खास ध्यान रखना पड़ता है, क्योंकि इस समय कीट लगने की ज्यादा संभावना होती है.

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रबी फसल को कैसे बचाएं
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Published : Mar 1, 2020, 8:29 AM IST

गोरखपुरः बसंत ऋतु में रबी की प्रमुख फसल गेहूं खेतों में लहलहा रही है. धूप-छांव के साथ घटते-बढ़ते तापमान में फसलों की बढ़वार अच्छी खासी होती है. वहीं बालियां निकलने के समय में कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है जो उत्पादन को काफी हद तक प्रभावित करता है.

रबी फसल को कैसे बचाएं

जनपद में गेहूं की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. रबी फसलों में गेहूं का प्रमुख स्थान है और इन दिनों इसकी खेती जिले में की जा रही है. बदलते मौसम में तापमान धीरे-धीरे बढ़ने लगा है. इसी मौसम में गेहूं की फसल में बालिया निकलना शरू हो जाती हैं. बदलते मौसम की वजह से गेहूं की फसल में कीटों का प्रकोप भी बढ़ता जाता है, जिससे किसानों को नुकसान होने की संभावना अधिक रहती है. कीट का प्रकोप अधिक होने पर गेहूं की फसल अपेक्षित उत्पादन के सापेक्ष पैदावार नहीं होता है. गेहूं की फसल में जो कीट दिखाई देते हैं उनमें सबसे प्रमुख दीमक, सैनिक कीट, और माहू कीट है जिसका खतरा अधिक होता है. हालांकि किसान समय रहते कीटनाशक का उचित झिड़काव करें तो कीटों पर नियंत्रण पाया जा सकता है.

खेतों में नमी के कारण होता है दीमक का प्रकोप
ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी अन्यदाता अपने खेतों में कच्चे गोबर का प्रयोग अधिक करते हैं. किसान जिस खेत में गोबर का छिड़काव करते हैं, उसमें दीमक का प्रकोप अधिक होता है. दीमक, कीट खास तौर पर अंकुरण अवस्था में फसलों को अधिक नुकसान पहुंचाते हैं. नमी कम होने की दशा में गेहूं की जड़ों को काटकर पौधे को सुखा देता है, जिससे गेहूं की फसल का उत्पादन प्रभावित होता है.

कैसे करें नियंत्रण
महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. आर. पी. सिंह बताते हैं कि कीट के नियंत्रण के लिए फिप्रोनिल 0.3 जी की 20 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें अथवा कार्टप हाइड्रोक्लोराइड 4जी की 20 किग्रा/हेक्टेयर की दर से प्रयोग करने से नियंत्रण पा सकते है.

किस रंगरूप के होते हैं सैनिक कीट-(आर्मी वर्म)
सैनिक कीट (आर्मी कीट) के सूड़ियां हल्के भूरे रंग की होती हैं. पीठ पर लंबाई में धारियां दिखाई देती हैं. यह पत्तियों और बालियों को काटकर नुकसान पहुंचाती हैं, जिसके कारण गेहूं का उत्पादन काफी प्रभावित होता है.

नियंत्रण करने के लिए करें छिड़काव
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आरपी सिंह के मुताबिक इंडाक्साकार्ब 14.5% और ऐसीटामीप्रिड 7.7% कि 1 मिली लीटर की मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें. साथ ही इसका दूसरा छिड़काव 10 से 12 दिनों के बाद प्रफेनोफोस 40% साईपरमेथरिन 4% 1.5 से 2.0 मिली प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव अवश्य करें. किसी एक कीटनाशक का छिड़काव करने से कीट पर नियंत्रण पाया जा सकता है.

गेहूं, जौ, जई के फसलों पर माहू कीट का प्रकोप
माहू कीट का प्रकोप गेहूं, जौ और जई की फसलों को प्रभावित करता है. माहू कीट हरे रंग का जू के तरह दिखाई देता है जो धूप-छाव में, ठण्ड और बदली के दिनों में बहुत अधिक संख्या में कोमल पत्तों या बालियों पर स्वतः प्रकट होते हैं. गेहूं के पकने तक अपनी चर्म संख्या में पहुंचते है.

गोरखपुरः बसंत ऋतु में रबी की प्रमुख फसल गेहूं खेतों में लहलहा रही है. धूप-छांव के साथ घटते-बढ़ते तापमान में फसलों की बढ़वार अच्छी खासी होती है. वहीं बालियां निकलने के समय में कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है जो उत्पादन को काफी हद तक प्रभावित करता है.

रबी फसल को कैसे बचाएं

जनपद में गेहूं की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. रबी फसलों में गेहूं का प्रमुख स्थान है और इन दिनों इसकी खेती जिले में की जा रही है. बदलते मौसम में तापमान धीरे-धीरे बढ़ने लगा है. इसी मौसम में गेहूं की फसल में बालिया निकलना शरू हो जाती हैं. बदलते मौसम की वजह से गेहूं की फसल में कीटों का प्रकोप भी बढ़ता जाता है, जिससे किसानों को नुकसान होने की संभावना अधिक रहती है. कीट का प्रकोप अधिक होने पर गेहूं की फसल अपेक्षित उत्पादन के सापेक्ष पैदावार नहीं होता है. गेहूं की फसल में जो कीट दिखाई देते हैं उनमें सबसे प्रमुख दीमक, सैनिक कीट, और माहू कीट है जिसका खतरा अधिक होता है. हालांकि किसान समय रहते कीटनाशक का उचित झिड़काव करें तो कीटों पर नियंत्रण पाया जा सकता है.

खेतों में नमी के कारण होता है दीमक का प्रकोप
ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी अन्यदाता अपने खेतों में कच्चे गोबर का प्रयोग अधिक करते हैं. किसान जिस खेत में गोबर का छिड़काव करते हैं, उसमें दीमक का प्रकोप अधिक होता है. दीमक, कीट खास तौर पर अंकुरण अवस्था में फसलों को अधिक नुकसान पहुंचाते हैं. नमी कम होने की दशा में गेहूं की जड़ों को काटकर पौधे को सुखा देता है, जिससे गेहूं की फसल का उत्पादन प्रभावित होता है.

कैसे करें नियंत्रण
महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. आर. पी. सिंह बताते हैं कि कीट के नियंत्रण के लिए फिप्रोनिल 0.3 जी की 20 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें अथवा कार्टप हाइड्रोक्लोराइड 4जी की 20 किग्रा/हेक्टेयर की दर से प्रयोग करने से नियंत्रण पा सकते है.

किस रंगरूप के होते हैं सैनिक कीट-(आर्मी वर्म)
सैनिक कीट (आर्मी कीट) के सूड़ियां हल्के भूरे रंग की होती हैं. पीठ पर लंबाई में धारियां दिखाई देती हैं. यह पत्तियों और बालियों को काटकर नुकसान पहुंचाती हैं, जिसके कारण गेहूं का उत्पादन काफी प्रभावित होता है.

नियंत्रण करने के लिए करें छिड़काव
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आरपी सिंह के मुताबिक इंडाक्साकार्ब 14.5% और ऐसीटामीप्रिड 7.7% कि 1 मिली लीटर की मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें. साथ ही इसका दूसरा छिड़काव 10 से 12 दिनों के बाद प्रफेनोफोस 40% साईपरमेथरिन 4% 1.5 से 2.0 मिली प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव अवश्य करें. किसी एक कीटनाशक का छिड़काव करने से कीट पर नियंत्रण पाया जा सकता है.

गेहूं, जौ, जई के फसलों पर माहू कीट का प्रकोप
माहू कीट का प्रकोप गेहूं, जौ और जई की फसलों को प्रभावित करता है. माहू कीट हरे रंग का जू के तरह दिखाई देता है जो धूप-छाव में, ठण्ड और बदली के दिनों में बहुत अधिक संख्या में कोमल पत्तों या बालियों पर स्वतः प्रकट होते हैं. गेहूं के पकने तक अपनी चर्म संख्या में पहुंचते है.

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