गोरखपुर: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(aiims), गोरखपुर के दंत शल्य विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ शैलेश कुमार ने एक जटिल सर्जरी को कॉस्मेटिक तकनीक से गुरुवार को अंजाम दिया है.
असिस्टेंट प्रोफ़ेसर और मैक्सिलोफ़ेशियल सर्जन डॉ. शैलेश ने बताया कि जिले के सोनबरसा कस्बे की निवासी 33 वर्षीय महिला कुछ वर्षों से चेहरे की हड्डी के ट्यूमर से ग्रसित थी. चेहरे की विकृति की चिंता, ऑपरेशन की जटिलता और बहुत महंगे इलाज के कारण मरीज़ ने बहुत सारे डॉक्टरो और अस्पतालों में दिखाया. इसके बाद भी जब समस्या का निदान नहीं हुआ तब मरीज़ ने गोरखपुर एम्स के दंत शल्य विभाग में दिखाने पहुंची. उसकी जांच के बाद यह पता चला की मरीज़ चेहरे के ट्यूमर की समस्या से ग्रसित थी. उसने चेहरे की निचले जबड़े की हड्डी को पूरी तरह से खोखला कर दिया था.
डॉ शैलेश ने बताया कि करीब चार घंटे चले ऑपरेशन मे मरीज़ के गली हुई निचले जबड़े की हड्डी को बिना चेहरे पर चीरा लगाये निकाला गया और कृत्रिम रुप से जबड़े को बनाया गया. मरीज़ की बेहोशी जांच निश्चेतना विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ वर्धान सेठ, डॉ विजेता बाजपेयी, डॉ रवि शंकर द्वारा की गई. ऐसे जटिल ऑपरेशन को बिना चेहरे पर चीरा लगाये करना बहुत ही चुनौतीपूर्ण होता है. मरीज़ की सर्जरी पूर्ण बेहोशी में हुई. चार घंटे चली सर्जरी पूरी तरह से सफल रही. इस ऑपरेशन में दंत शल्य विभाग की सीनियर रेजीडेंट डॉ अनुराधा ने भी योगदान दिया.
एम्स के दंत एवं शल्य विभाग में इस तरह का यह पहला ऑपरेशन है. अभी तक बिना चेहरे पर चीरा लगाये ऐसे मरीज़ो का इतना बड़ा ऑपरेशन देश में बहुत कम जगह होता है. इस तरह के ऑपरेशन से होने वाले चेहरे की विकृति, मरीज के शारीरिक और मानसिक अवस्था पर बहुत बुरा प्रभाव डालती है. चेहरे पर चीरा रहित तकनीक इस तरह के मरीज़ के इलाज के लिए वरदान की तरह है. इसको लेकर एम्स की कार्यकारी निदेशक डॉक्टर सुरेखा किशोर ने टीम को बधाई दी है.
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