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गोरखुर: पीएसएलवी- सी 47 कार्टोसैट-3 के प्रक्षेपण के गवाह बने गोरखपुर के मुकुंद

इसरो ने 13 नैनो उपग्रहों के साथ धरती की निगरानी एवं मानचित्र उपग्रह कार्टोसैट-3 लॉन्च किया. इस सैन्य उपग्रह की मदद से अंतरिक्ष से आतंकी गतिविधियों और घुसपैठ पर नजर रखी जा सकेगी. इसी के गवाह गोरखपुर के एक युवक मुकुन्द शुक्ला बने हैं. मुकुन्द बतौर टेक्नीशियन प्रशिक्षु वहां एक वर्ष से काम कर रहे हैं.

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मुकुंद
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Published : Nov 27, 2019, 3:18 PM IST

गोरखपुर: भारतीयअंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने पीएसएलवी-सी 47 के जरिए धरती की निगरानी एवं मानचित्र उपग्रह कार्टोसैट-3 लॉन्च किया. इसके साथ अमेरिका के 13 नैनो उपग्रहों का प्रक्षेपण भी किया गया. इसी ऐतिहासिक क्षण का गवाह गोरखपुर का भी एक लाल युवा तकनीकी वैज्ञानिक मुकुन्द शुक्ला बने. इस उपलब्धि को हासिल करके देश के साथ गोरखपुर का भी मुकुन्द शुक्ला ने मान बढ़ाया है.

मुकुन्द शुक्ला बने उपग्रह कार्टोसैट-3 के प्रक्षेपण के गवाह
सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्री हरिकोटा आंध्र प्रदेश से बुधवार 27 नवम्बर को कार्टोसेट तीन का प्रक्षेपण हुआ, तो उसे अपनी आंखो से गोरखपुर के मुकुन्द शुक्ला ने भी देखा. वह एक वर्ष से इस अभियान में बतौर टेक्नीशियन प्रशिक्षु काम कर रहे हैं, जो पिछले जून माह से वहां अपनी सेवाएं दे रहे हैं. वहीं जून में मुकुन्द चन्द्रयान के भी गवाह भी बन चुके हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत में मुकुन्द ने बताया कि यहां आकर उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला है.उन्होंने कहा कि यहां के प्रक्षेपण के समय मौजूद होना अपने आप मे गर्व की बात है. भारत को विश्व गुरु बनाने मे इसरो का एक अहम रोल आने वाले दिनों मे होगा.

कार्टोसेट तीन के बारे मे बताते हुए कहा कि इस सैटेलाइट का नाम है - Cartosat-3 (कार्टोसैट-3). यह कार्टोसैट सीरीज का नौवां सैटेलाइट होगा. कार्टोसैट-3 का कैमरा इतना ताकतवर है कि वह अंतरिक्ष से जमीन पर एक फीट से भी कम (9.84 इंच) की ऊंचाई तक की तस्वीर ले सकेगा.

पीएसएलवी-सी47 अभियान के प्रक्षेपण के लिए श्रीहरिकोटा में आज सुबह सात बजकर 28 मिनट पर 26 घंटे की उल्टी गिनती शुरू हो गई थी. इसे 27 नवंबर बुधवार को सुबह नौ बजकर 28 मिनट पर प्रक्षेपित किया गया, जिसकी सफलता पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हर्ष व्यक्त किया है.

पढ़ें: सीएम योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट पर अधिकारी लगा रहे पलीता, प्रभारी मंत्री भी बचा रहे अधिकारियों को

गोरखपुर: भारतीयअंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने पीएसएलवी-सी 47 के जरिए धरती की निगरानी एवं मानचित्र उपग्रह कार्टोसैट-3 लॉन्च किया. इसके साथ अमेरिका के 13 नैनो उपग्रहों का प्रक्षेपण भी किया गया. इसी ऐतिहासिक क्षण का गवाह गोरखपुर का भी एक लाल युवा तकनीकी वैज्ञानिक मुकुन्द शुक्ला बने. इस उपलब्धि को हासिल करके देश के साथ गोरखपुर का भी मुकुन्द शुक्ला ने मान बढ़ाया है.

मुकुन्द शुक्ला बने उपग्रह कार्टोसैट-3 के प्रक्षेपण के गवाह
सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्री हरिकोटा आंध्र प्रदेश से बुधवार 27 नवम्बर को कार्टोसेट तीन का प्रक्षेपण हुआ, तो उसे अपनी आंखो से गोरखपुर के मुकुन्द शुक्ला ने भी देखा. वह एक वर्ष से इस अभियान में बतौर टेक्नीशियन प्रशिक्षु काम कर रहे हैं, जो पिछले जून माह से वहां अपनी सेवाएं दे रहे हैं. वहीं जून में मुकुन्द चन्द्रयान के भी गवाह भी बन चुके हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत में मुकुन्द ने बताया कि यहां आकर उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला है.उन्होंने कहा कि यहां के प्रक्षेपण के समय मौजूद होना अपने आप मे गर्व की बात है. भारत को विश्व गुरु बनाने मे इसरो का एक अहम रोल आने वाले दिनों मे होगा.

कार्टोसेट तीन के बारे मे बताते हुए कहा कि इस सैटेलाइट का नाम है - Cartosat-3 (कार्टोसैट-3). यह कार्टोसैट सीरीज का नौवां सैटेलाइट होगा. कार्टोसैट-3 का कैमरा इतना ताकतवर है कि वह अंतरिक्ष से जमीन पर एक फीट से भी कम (9.84 इंच) की ऊंचाई तक की तस्वीर ले सकेगा.

पीएसएलवी-सी47 अभियान के प्रक्षेपण के लिए श्रीहरिकोटा में आज सुबह सात बजकर 28 मिनट पर 26 घंटे की उल्टी गिनती शुरू हो गई थी. इसे 27 नवंबर बुधवार को सुबह नौ बजकर 28 मिनट पर प्रक्षेपित किया गया, जिसकी सफलता पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हर्ष व्यक्त किया है.

पढ़ें: सीएम योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट पर अधिकारी लगा रहे पलीता, प्रभारी मंत्री भी बचा रहे अधिकारियों को

Intro:गोरखपुर। इसरो के महत्वपूर्ण मिशन पीएसएलवी-सी 47 कार्टोसेट तीन के प्रक्षेपण का गवाह आज बुधवार को गोरखपुर का भी एक लाल युवा तकनीकी वैज्ञानिक बना। शहर के बेतियाहाता निवासी मुकुन्द शुक्ला इस उपलब्धि को हासिल करके देश के साथ गोरखपुर का भी मान बढ़ाये हैं।

Body:सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्री हरिकोटा आंध्र प्रदेश से बुधवार 27 नवम्बर को कार्टोसेट तीन का प्रक्षेपण हुआ तो उसे अपनी आंखो से गोरखपुर के मुकुन्द शुक्ल ने भी देखा। वह इस अभियान में बतौर टेक्नीशियन प्रशिक्षु वहाँ एक वर्ष से काम कर रहा था। जो पिछले जून माह से ही वहां अपनी सेवाएं दे रहा था। जून मे ही गए मुकुन्द चन्द्रयान दो के भी गवाह बन चुके हैं। ईटीवी भारत के टेलीफोनिक बातचीत मे मुकुन्द ने बताया कि यहाँ आकर उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला है। उन्होंने कहा कि यहां के प्रक्षेपण के समय मौजूद होना अपने आप मे गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि भारत को विश्व गुरु बनाने मे इसरो का एक अहम रोल आने वाले दिनों मे होगा। कार्टोसेट तीन के बारे मे बताते हुए कहा कि इस सैटेलाइट का नाम है - Cartosat-3 (कार्टोसैट-3). यह कार्टोसैट सीरीज का नौवां सैटेलाइट होगा. कार्टोसैट-3 का कैमरा इतना ताकतवर है कि वह अंतरिक्ष से जमीन पर 1 फीट से भी कम (9.84 इंच) की ऊंचाई तक की तस्वीर ले सकेगा. यानी आप की कलाई पर बंधी घड़ी पर दिख रहे सही समय की भी सटीक जानकारी देगा. पाकिस्तान पर हुए सर्जिकल और एयर स्ट्राइक पर कार्टोसैट उपग्रहों की मदद ली गई थी. इसके अलावा विभिन्न प्रकार के मौसम में पृथ्वी की तस्वीरें लेने में सक्षम. प्राकृतिक आपदाओं में मदद करेगा.


(मुकुन्द शुक्ल) का मोबाइल नंबर
9450971491




Conclusion:'पीएसएलवी-सी47 अभियान के प्रक्षेपण के लिए श्रीहरिकोटा में आज सुबह सात बजकर 28 मिनट पर 26 घंटे की उल्टी गिनती शुरू हो गई थी. इसे 27 नवंबर बुधवार को सुबह नौ बजकर 28 मिनट पर प्रक्षेपित किया गया जिसकी सफलता पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हर्ष व्यक्त किया है।

मुकेश पाण्डेय
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9415875724
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