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गोरखपुर: 'बोनसाई बाबा' पर्यावरण संरक्षण के हैं सजग प्रहरी

गोरखपुर के रवि द्विवेदी बैंक अधिकारी हैं. उन्हें पेड़ लगाने और उनके रखरखाव में काफी रूचि है. इनके पास बोनसाई पेड़ों का संग्रह है. इस वजह से लोग प्रेम से उन्हें 'बोनसाई बाबा' के नाम से पुकारते हैं.

'बोनसाई बाबा' पर्यावरण संरक्षण के हैं सजग प्रहरी.
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Published : Jun 5, 2019, 12:07 AM IST

गोरखपुर: पूरे देश में हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है. वहीं जिले के रवि द्विवेदी बैंक अधिकारी हैं. उन्हें पेड़ लगाने और उनके रखरखाव में काफी रूचि है. उनके घर के आंगन में पेड़-पौधे लहलहाते नजर आते हैं. वहीं पर्यावरण दिवस के अवसर पर ईटीवी भारत ने रवि द्विवेदी से बातचीत की.

'बोनसाई बाबा' पर्यावरण संरक्षण के हैं सजग प्रहरी.
ईटीवी भारत ने रवि द्विवेदी से की बातचीत-
  • इनके पास बोनसाई पेड़ों का संग्रह है. इस वजह से लोग प्रेम से उन्हें 'बोनसाई बाबा' के नाम से पुकारते हैं.
  • उन्होंने 36 सालों में बोनसाई पेड़ों का संग्रह तैयार किया है.
  • पौधे लगाने की प्रेरणा उन्हें अपने एक रिश्तेदार से मिली थी.
  • उनके रिश्तेदार ने उन्हें बोनसाई लगाने की सलाह दी.
  • रवि की बगिया में 36 साल का पुराना बरगद और 24 साल का पाकड़ का पेड़ भी है.
  • उनके बाग में रुद्राक्ष का पौधा भी उपलब्ध है.
  • इनकी बगिया में करीब 450 तरह के पेड़ हैं.
  • इन खास पेड़ों में पीपल, पाकड़, बरगद, जामुन और गूलर का भी पेड़ है, जो छोटे से गमले में फल देता है.
  • अनार, अंजीर, नारियल, बांस, चाय, कॉफी, इलायची, करौंदा, शहतूत, गुड़हल इत्यादि पौधे उनके बाग में हैं.
  • इन पेड़ों को खाद-पानी देने से लेकर संपूर्ण रखरखाव खुद रवि द्विवेदी करते हैं.

पौधों की प्रगति हो इसलिए हर सीजन में मिट्टी बदल देना चाहिए. मिट्टी में सुर्खी, कोयला, नीम की खली, जिंक, फास्फोरस भी मिलाना चाहिए. फ्रूट्स के प्लांट में हड्डी का चूरा अधिक मिलाना चाहिए और पौधों को समय-समय पर काटते-छांटते रहना चाहिए. पौधों में पानी डालने का भी खास ख्याल रखना चाहिए, क्योंकि कुछ पौधे ऐसे होते हैं जिसमें 10 से 15 दिन में सिर्फ एक बार पानी की जरूरत होती है.
-रवि द्विवेदी, बोनसाई बाबा

गोरखपुर: पूरे देश में हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है. वहीं जिले के रवि द्विवेदी बैंक अधिकारी हैं. उन्हें पेड़ लगाने और उनके रखरखाव में काफी रूचि है. उनके घर के आंगन में पेड़-पौधे लहलहाते नजर आते हैं. वहीं पर्यावरण दिवस के अवसर पर ईटीवी भारत ने रवि द्विवेदी से बातचीत की.

'बोनसाई बाबा' पर्यावरण संरक्षण के हैं सजग प्रहरी.
ईटीवी भारत ने रवि द्विवेदी से की बातचीत-
  • इनके पास बोनसाई पेड़ों का संग्रह है. इस वजह से लोग प्रेम से उन्हें 'बोनसाई बाबा' के नाम से पुकारते हैं.
  • उन्होंने 36 सालों में बोनसाई पेड़ों का संग्रह तैयार किया है.
  • पौधे लगाने की प्रेरणा उन्हें अपने एक रिश्तेदार से मिली थी.
  • उनके रिश्तेदार ने उन्हें बोनसाई लगाने की सलाह दी.
  • रवि की बगिया में 36 साल का पुराना बरगद और 24 साल का पाकड़ का पेड़ भी है.
  • उनके बाग में रुद्राक्ष का पौधा भी उपलब्ध है.
  • इनकी बगिया में करीब 450 तरह के पेड़ हैं.
  • इन खास पेड़ों में पीपल, पाकड़, बरगद, जामुन और गूलर का भी पेड़ है, जो छोटे से गमले में फल देता है.
  • अनार, अंजीर, नारियल, बांस, चाय, कॉफी, इलायची, करौंदा, शहतूत, गुड़हल इत्यादि पौधे उनके बाग में हैं.
  • इन पेड़ों को खाद-पानी देने से लेकर संपूर्ण रखरखाव खुद रवि द्विवेदी करते हैं.

पौधों की प्रगति हो इसलिए हर सीजन में मिट्टी बदल देना चाहिए. मिट्टी में सुर्खी, कोयला, नीम की खली, जिंक, फास्फोरस भी मिलाना चाहिए. फ्रूट्स के प्लांट में हड्डी का चूरा अधिक मिलाना चाहिए और पौधों को समय-समय पर काटते-छांटते रहना चाहिए. पौधों में पानी डालने का भी खास ख्याल रखना चाहिए, क्योंकि कुछ पौधे ऐसे होते हैं जिसमें 10 से 15 दिन में सिर्फ एक बार पानी की जरूरत होती है.
-रवि द्विवेदी, बोनसाई बाबा

Intro:गोरखपुर। कहावत है कि 'एक वृक्ष दस पुत्र सामना'। मतलब साफ है की एक पेड़ लगाने का लाभ दस पुत्रों के बराराब का होता है, लेकिन ईटीवी भारत आज पर्यावरण दिवस के अवसर पर आपको एक ऐसे पिता से मिलवाएगा जिसके पास एक दो नहीं बल्कि सैकड़ो ऐसे पेड़ रूपी पुत्र हैं जो सिर्फ जन्म देने वाले पिता के लिए ही वरदान साबित नहीं हो रहे बल्कि समाज को भी बड़ा लाभ पहुंचा रहे हैं। पेड़ों के ऐसे पिता का नाम रवि द्विवेदी है। जो बैंक के अधिकारी हैं। बावजूद इसके पेड़ लगाने की जिज्ञासा, उनके रखरखाव और संवर्धन की ललक ने उन्हें इस क्षेत्र का महारथी बना दिया। उनके घर के आंगन में भारत में पाए जाने वाले सभी अमूल्य पेड़, गमले में पूरे तरो-ताजगी के साथ लहलहाते हुए दिखाई दे देंगे। जो सरकारी मशीनरी और अन्य लोगों के लिए एक प्रेरणा का विषय है। यही वजह है कि इस पर्यावरण प्रेमी को लोग प्रेम से 'बोनसाई बाबा' के नाम से भी पुकारते हैं।...गोरखपुर से मुकेश पाण्डेय की स्पेशल रिपोर्ट...

डेस्क के ध्यानार्थ---पर्यावरण दिवस के लिए विशेष स्टोरी है..इसलिए इसमें मैंने वॉइस ओवर नहीं किया है। किसी महिला सहयोगी की आवाज इसमें अच्छी बन पड़ेगी।


Body:प्रकृति के असल प्रेमी रवि की पेड़ों में जान बसती है। उनके पास बोनसाई पेड़ों का अद्भुत संग्रह है। जो उन्होंने 34 सालों में तैयार किया है। कुदरत की इस अनमोल धरोहर को महफूज रखना उनके जीवन का मकसद बन गया है। सचमुच इतने बड़े पैमाने पर इन छोटे-छोटे बोनसाई पेड़ों को लगाना और उन्हें बचाए रखना रवि द्विवेदी के ही बस की बात है। वह कहते हैं कि इन्हें लगाने की प्रेरणा उन्हें अपने एक रिश्तेदार से मिली जो जयपुर में रहा करते थे। उन्होंने बताया कि अपनी जिज्ञासा को जब रिश्तेदार से शेयर किया तो उन्होंने भी कहा कि बोनसाई लगाना और उससे बचाए रखना सबके बूते की बात नहीं है। फिर क्या था रवि ने इसे चैलेंज के रूप में लिया। वह जयपुर से एक पेड़ लेकर आए और अंजाम क्या है आज उसकी गवाह उनके घर की हरी-भरी बगिया है। रवि की बगिया में 34 साल का पुराना बरगद और 24 साल का पाकड़ का पेड़ तो मिल ही जाएगा, यहां रुद्राक्ष का भी पौधा बरबस ही लोगों को अपनी ओर खींच लाता है। इनकी बगिया में
आज करीब 450 तरह से ज्यादा वैरायटी के पेड़ है। इन खास पेड़ों में पीपल, पाकड़, बरगद ,जामुन और गूलर का भी पेड़ है जो छोटे से गमले में खूब बढ़िया फल देता है। अनार, डेनियम,अंजीर, नारियल, बांस, चाय, कॉफी, इलायची, करौंदा,मनोकामनी, शहतूत, कनेर, पलाश, गुड़हल पनियाला, मतलब ऐसा कोई पौधा शायद ही हो जिस बगिया में ना मिलता हो। खास बात यह है कि इन पेड़ों को खाद- पानी देने से लेकर संपूर्ण रखरखाव खुद दि्वेदी करते हैं
इन्हें किसी माली की जरूरत नहीं।


बाइट--रवि द्विवेदी, बोनसाई पेड़ों के बादशाह


Conclusion:बैंक की शानदार नौकरी के बीच पेड़ -पौधों में अपनी जिंदगी को जीने वाले रवि दिवेदी कहते हैं कि लोग हिल स्टेशनों पर छुट्टियों में घूमने इसीलिए जाते हैं कि उन्हें हरी -भरी वादियां और सुहाना मौसम मिलेगा लेकिन जब हम ऐसा वातावरण अपने घर में ही तैयार कर रखे हों तो बाहर जाने की जरूरत क्या है। उन्होंने कहा कि मौजूदा दौर में पेड़ों का लगाया जाना बेहद जरूरी है। यही नहीं अपनी आने वाली पीढ़ी को भी इससे जागरूक रखने की आवश्यकता है नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब लोगों को डेढ़ सौ रुपए प्रति लीटर पानी भी खरीद कर पीना संभव नहीं होगा। उन्होंने कहा कि किसी भी दिवस को खासकर पर्यावरण और मदर्स डे को एक दिन में बांधकर नही रखा जा सकता क्योंकि इनसे प्रेम तो हर दिन का है और होना भी चाहिए यह हमारे जीवन दाता हैं। उन्होंने कहा कि भारत को पश्चिमी सभ्यता के बजाए अपने ऋषि-मुनियों की परंपरा पर जरूर भरोसा करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि पौधों की प्रगति हो इसलिए हर सीजन में मिट्टी बदल देना चाहिए। मिट्टी में सुर्खी, कोयला, नीम की खली, जिंक, फास्फोरस भी मिलाना चाहिए। फ्रूट्स के प्लांट में हड्डी का चूरा अधिक मिलाना चाहिए और पौधों को समय-समय पर काटते चाहते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि इन पौधों में पानी डालने का भी खास ख्याल करना चाहिए क्योंकि कुछ पौधे ऐसे होते हैं जिसमें 10 से15 दिन में सिर्फ एक बार पानी की जरूरत होती है।

बाइट-रवि द्विवेदी, बोनसाई बाबा

क्लोजिंग पीटीसी...
मुकेश पाण्डेय
Etv भारत, गोरखपुर
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