गोरखपुरः भारत सरकार के केमिकल एवं रसायन सचिव आरके चतुर्वेदी ने कहा है कि खाद उत्पादन में भारत की आत्मनिर्भरता अब लगातार बढ़ती जा रही है.गोरखपुर का नवनिर्मित खाद का कारखाना जहां खाद का उत्पादन करने लगा है. वहीं अगले 2 महीने के भीतर सिंदरी और बरौनी के कारखाने से भी खाद का उत्पादन शुरू हो जायेगा. जिसके बाद न सिर्फ अपने देश के खाद की जरूरत को पूरा किया जा सकेगा. बल्कि भारत निर्यात की स्थित में भी आ जायेगा.
आर के चतुर्वेदी दो दिवसीय दौरे पर गोरखपुर थे. इस दौरान उन्होंने गोरखपुर खाद कारखाने का निरीक्षण किया और इसके बेहतर भविष्य की अन्य संकल्पना पर भी अधिकारियों के साथ चर्चा की. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लोकल फॉर वोकल के विजन को भी आगे बढ़ाते हुए खाद कारखाने के उपयोग में लाई जाना वाली कुछ वस्तुओं के स्थानीय उद्योगों में उत्पादन पर भी जोर देने की बात कही. जिसके लिए उन्होंने खाद कारखाना और स्थानीय उद्योगों के प्रतिनिधियों के साथ प्रशासनिक पहल करते हुए इसे आगे बढ़ाने पर जोर देने और अमल में लाने का निर्देश दिया है.
यही नहीं उन्होंने रोजगार देने और सृजन में भी स्थानीय लोगों को वरीयता देने का निर्देश दिया है, चाहे वो तकनीकी कर्मचारी हों या टैक्सी ड्राइवर और सफाई कर्मी. उन्होंने कहा कि इस संबंध में दिशा निर्देश जारी कर दिये गये हैं. आदेश भी दिल्ली पहुंचते ही जारी कर दिया जायेगा. उन्होंने ये भी कहा कि कोशिश होगी कि गोरखपुर के खाद कारखाने से निर्मित खाद यहां के औद्योगिक इकाइयों द्वारा निर्मित बोरियों में पैक की जाये. जिसके लिए यहां के चार उद्योगों से बात हुई है.
उन्होंने बताया कि गोरखपुर खाद कारखाना में एक साल में 12.70 लाख मीट्रिक टन यूरिया का उत्पादन किया जायेगा. जरूरत पड़ने पर इससे 115 फीसदी तक उत्पादन लिया जा सकता है. प्रतिदिन उत्पादन 3850 मीट्रिक टन का होगा. प्लांट निर्बाध रूप से चल सके इस दिशा में प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि फैक्ट्री के गेट पर कंपनी का एक आउटलेट खोला जायेगा. जहां पर खाद की उपलब्धता आसानी से हो सकेगी. उन्होंने कहा कि सबसे पहले पूर्वांचल के किसानों की खाद की जरूरतों को पूरा किया जायेगा. 45 किलो की बोरी का कारखाना शुरू हो जाने के बाद हिंदुस्तान उर्वरक रसायन लिमिटेड (HURL) विश्व की सबसे बड़ी कंपनी हो जायेगी. जिसके तहत एक ही प्रबंधन द्वारा संचालित तीन प्लांट में करीब 38.1 लाख मीट्रिक टन यूरिया का उत्पादन हर साल होगा.
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यही नहीं उन्होंने कहा कि देश के खाद कारखानों में काम करने के लिए कुशल लोगों की कमी दूर करने की शुरूआत गोरखपुर से होगी. यहां के खाद कारखाना परिसर में सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल्स इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (सिपेट) द्वारा एक प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया जाएगा. जहां कुशल हाथ तैयार किये जाएंगे. इसमें खाद कारखाना के लिए विभिन्न पाठ्यक्रम तैयार किये जायेंगे. जिसका प्रशिक्षण स्थानीय युवाओं को दिया जायेगा. जिला प्रशासन द्वारा इसके लिए खाद कारखाना परिसर में ही 20 एकड़ भूमि उपलब्ध करायी जा रही है. इसे युवाओं को काफी फायदा होगा और रोजगार के अवसर पैदा होंगे.
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