गोरखपुरः जिले में नाथ परंपरा को आग बढ़ाने और समाजिक समरता को स्थापित करने में गोरखनाथ पीठ अपनी बड़ी भूमिका अदा करता है. होली के मौके पर भी यह कई तरह के संदेश देने का काम करता है. यही वजह है कि लोगों का भी इस पीठ से इतना जुड़ाव है कि जिस दिन पीठाधीश्वर होली मनाते हैं, गोरखपुर में होली उसी दिन मनाई जाती है. इसी दिन भगवान नरसिंह की शोभायात्रा भी निकाली जाती है. गोरक्षपीठाधीश्वर के रूप में योगी आदित्यनाथ उसकी अगुवाई करते हैं.
लेकिन इससे पहले गोरखनाथ मंदिर में होली की शुरुआत होलिका दहन के बाद सम्मत की राख से तिलक लगाने के साथ होती है. इस परंपरा में एक विशेष संदेश छिपा होता है. जिसमें भक्त प्रहलाद और भगवान श्री विष्णु के अवतार भगवान नरसिंह के भक्ति के शक्ति का एहसास होता है.
गोरखनाथ मंदिर में पीठाधीश्वर के रूप में योगी आदित्यनाथ द्वारा अपने मंदिर के साधु-संतों को राख से तिलक करने और साधु संतों द्वारा उनका तिलक करने के संबंध में मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ कहते हैं कि होलिका दहन की राख से तिलक लगाने के पीछे भक्ति की शक्ति को समाज से जोड़ना है. उन्होंने कहा खुद योगी आदित्यनाथ बतौर पीठाधीश्वर इस बात को कहते हैं कि जब भक्ति अपने उच्च अवस्था में होगी तो भेदभाव, छुआछूत और अस्पृश्यता वहां छू भी नहीं पाएगी. उन्होंने कहा कि गोरखनाथ मंदिर में होलिका दहन की राख से होली मनाने की परंपरा बरसों पुरानी है, जो अभीतक चली आ रही है.
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गोरखपुर की होली को वैश्विक फलक पर सिर्फ पहचान ही नहीं मिल रही ये लगातार अपना आकर्षण भी बढ़ा रही है. गोरक्षपीठाधीश्वर होने के साथ मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने जिस तरह होली के परंपरा को आगे बढ़ाया है, इससे इसका महत्व विदेशी मीडिया में भी चर्चा का विषय बना हुआ है. लोक कल्याण ही नाथ पंथ का मूल है. आपसी भाईचारे के साथ गिले-शिकवे मिटाने के रंगों के इस पर्व पर राख का तिलक लगाने से लेकर अबीर, रंग-गुलाल उड़ाने में साधु संतों के भेष में जब गोरखपुर के लोग योगी आदित्यनाथ को पाते हैं, तो उनका उल्लास बढ़ जाता है. दिन में होली के रंग में लोग सराबोर होते हैं और शाम को फिर वो नाथ मंदिर में आयोजित मिलन समारोह में एक दूसरे से मिलकर गुजिया- मिठाई खाते हैं और गले लगते हैं.
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